शराब ठेकेदार राजकुमार तिवारी की कनपटी पर पिस्टल अड़ाने और अपरहरण के आरोपों के मामले में गैंगस्टर हेमंत यादव फिर पुलिस के हाथ नहीं लगा। इसके लिए इंदौर जूनी थाना पुलिस ने भारी तैयार की थी और जिला कोर्ट में केस लगाकर रिमांड मांगी थी, लेकिन पुलिस पिट गई।
यह हुआ कोर्ट में
12वें सत्र न्यायाधीश एका सोनी की कोर्ट में जूनी इंदौर पुलिस भारी पुलिस बल के साथ पहुंची कि यादव को रिमांड पर ले जाना है। ठेकेदार और फरियादी राजकुमार तिवारी ने भी अधिवक्ता खड़े किए। उधर गैंगस्टर हेमंत यादव के समर्थन में सौ से ज्यादा लोग कोर्ट पहुंच गए। गहमागहमी के दौरान गैंगस्टर ने आधा दर्जन वरिष्ठ अधिवक्ताओं की पैनल मैदान में उतार दी। इसके बाद दोनों ओर से लंबी बहस चली।
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हाईकोर्ट के सामने कैसे छोड़ेगा अपहृत व्यक्ति को
इस दौरान यादव के अधिवक्ताओं ने पुलिस में दर्ज केस को झूठा बताते हुए कहा कि यादव और तिवारी के बीच में केवल लेन-देन का मामला है क्योंकि इस दुकान में यादव की भी हिस्सेदारी है, जिसकी राशि तिवारी ने नहीं लौटाई।
किसी का अपहरण करने के बाद क्या उसे हाईकोर्ट के सामने ही आरोपी छोड़ता है क्या, यादव का बायपास हो चुका है और वह प्रापर्टी का काम करके जीवनयापन कर रहा है। वहीं पुलिस ने कहा कि इस केस में सीसीटीवी फुटेज है, हेमंत यादव ने तिवारी को अपहरण कर कार में बैठाया और कनपटी पर पिस्टल रखी थी। लेकिन दोनों पक्षों को सुनने के बाद जिला कोर्ट ने पुलिस की पुलिस रिमांड की याचिका खारिज करते हुए गैंगस्टर यादव को फिर से जेल भेजने के आदेश दे दिए।
उल्लेखनीय है कि एक केस में पांच साल की सजा भुगत रहे हेमंत यादव की हाल ही में पैरोल खत्म हुई और जमानत आगे बढ़ाने की याचिका खारिज होने के बाद कोर्ट में सरेंडर हुआ था, जहां से उसे जेल भेज दिया था।
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