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शराब ठेकों में अप्रैल 2025 से बने नए कारोबारी गणित के बाद शराब ठेकेदारों के बीच गुजरात लाइन पर कब्जे और वर्चस्व की लड़ाई बुरी तरह ठन चुकी है। हालत यह हो गई है कि एक-दूसरे की गुजरात में जा रही गाड़ियों की सूचना लीक होने लगी है और इन्हें पकड़वाने के साथ ही अब ठेकेदारों के नाम भी एफआईआर में जुड़वाने की कोशिश की जा रही है। इस सिंडीकेट के कारोबार पर सरकार भी पूरी नजर रखे हुए है और जल्द ही इसमें बड़ा एक्सपोज़ होने वाला है।
इस एक्सपोज से उजागर होंगे IAS, IPS
इस सिंडीकेट में धार जिले की दो डिस्टलरी भी निशाने पर हैं। इनसे कई गाड़ियां लगातार गुजरात जा रही हैं। अब इनकी जानकारियां ऊपर तक पहुंच गई हैं और ये दोनों डिस्टलरी तथा इनके संचालक निशाने पर हैं। यहां की एक डिस्टलरी की जांच तो तत्कालीन पीएस दीपाली रस्तोगी ने तत्कालीन संभागायुक्त इंदौर पवन शर्मा के जरिए करवाई थी और बड़ी कार्रवाई की तैयारी थी, लेकिन फिर शराब ठेकेदारों की लॉबी ने इस जांच को ही ठंडे बस्ते में डालवा दिया।
वहीं अब इस पूरे गठजोड़ में शामिल कुछ कलेक्टर (IAS), एसपी (IPS) के साथ ही आबकारी विभाग के अधिकारियों के भी नामों पर नजर बनी हुई है। डायरियों में इन सभी को दिए जाने वाले हिसाब-किताब दर्ज हैं, जो इसी सिंडीकेट के जरिए वर्चस्व की लड़ाई में कभी भी उजागर हो सकते हैं। ‘द सूत्र’ के पास इस तरह की कुछ जानकारियां भी पहुंची हैं।
परिवहन के बाद आबकारी डालेगा सरकार को मुश्किल में
कांग्रेस लगातार शराब की अधिक कीमतों और घोटालों को लेकर सरकार पर हमला बोल रही है। हाईकोर्ट ने भी इस मामले में नोटिस देकर जवाब मांगा है। पहले परिवहन विभाग के घोटाले और कांस्टेबल सौरभ शर्मा के कांड ने सरकार को उलझाया और अब आबकारी विभाग फंसाने वाला है। इसकी जो प्रारंभिक रिपोर्टें सामने आ रही हैं, वे सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाली हैं।
पहले भी मिले थे IAS, IPS के नाम
ये पहली बार नहीं है कि जब शराब सिंडिकेट और ठेकेदारों के साथ IAS, आईपीएस अधिकारियों के नाम और विभागीय अधिकारियों के नाम की बात सामने आ रही है। 10 साल पूर्व आयकर विभाग ने कुछ शराब ठेकेदारों पर बड़े छापे मारे थे। इसमें लैपटॉप पर और रजिस्टर में यहां तक हिसाब किताब था कि किस अधिकारी को महीने में कितनी राशि पहुंचाई जा रही है। इसमें विभाग अधिकारी भी थे और कई जिलों के बड़े ias और आईपीएस के भी इसमें नाम थे। बाद में आयकर विभाग ने यह डायरी लोकायुक्त को जांच के लिए दे दी। हालांकि बाद में मामला ठंडा कर दिया गया
इस तरह धार से शुरू हुई सिंडीकेट की लड़ाई
इंदौर से गुजरात लाइन (शराब को गुजरात में खपाने की अवैध सप्लाई लाइन) चलाने के लिए धार रूट सबसे अहम होता है। ऐसे में धार जिला ठेका लेने की सभी को चाह होती है। सूरज रजक ने साल 2024-25 का ठेका उठाकर पूरे शराब कारोबार को चौंका दिया था और पुराने खिलाड़ियों रमेश राय, ए.के. सिंह जैसे नामों को मात दी थी। इस साल जब राजस्व नीति में आया कि ठेके 20 प्रतिशत अधिक बढ़ाकर दिए जाएंगे, तो रजक, राय – ये सभी दूर रहे। उन्हें लगा कि जब कोई नहीं आएगा, तो वह सस्ते में ठेका उठा लेंगे। लेकिन सिद्धार्थ यादव ने विकास जायसवाल के साथ मिलकर ठेका बड़ी दरों पर उठा लिया।
ऐसे में सभी मुंह ताकते रह गए। लेकिन नए कारोबारी से कारोबार संभल नहीं पाया और ऊपर से विकास जायसवाल को बाहर कर दिया गया। वहीं पुराने ठेकेदार, जो धार और गुजरात लाइन से बाहर हो चुके थे, उन्होंने पूरी गुजरात लाइन को ठप कर दिया और जो भी गाड़ियां गुजरात की ओर जातीं, उनकी शिकायते कर-करके पकड़वाना शुरू कर दिया। क्योंकि इसमें पुलिस से लेकर विभागीय अधिकारी भी पुराने ठेकेदारों के ही साथ थे, तो उन्होंने भी सहयोग दिया और गाड़ियों को पकड़ना शुरू कर दिया।
फिर मौका देखकर नया सिंडीकेट बना, रजक को कर दिया बाहर
जैसे ही धार में उठापटक हुई और सिद्धार्थ यादव मुश्किल में पड़े, तो नया सिंडीकेट बनना शुरू हुआ और यादव के साथ पिंटू भाटिया व अल्केश बाकलिया जुड़ गए। अल्केश क्योंकि गुजरात लाइन के लिए माहिर खिलाड़ी हैं, इसलिए उसका जुड़ना जरूरी था। कुछ ही दिन बाद ए.के. सिंह, जो सूरज रजक के विरोधी रहे हैं, वह भी इस सिंडीकेट में शामिल हो गए। इसके बाद रमेश राय की एंट्री हुई, जिन्हें इस क्षेत्र का अनुभव था। वे भी रजक को छोड़कर इस सिंडीकेट का हिस्सा बन गए। इसके बाद रजक का एक और साथी नन्हें सिंह भी उन्हें छोड़कर सिंडीकेट में शामिल हो गया।
मई अंत में गुजरात लाइन फिर धड़ल्ले से शुरू
सिंडीकेट बनने के बाद गुजरात लाइन पर पूरी तरह कब्जा जमाने का खेल शुरू हुआ। मई माह के अंत में यह लाइन फिर से सक्रिय हुई। इसके लिए धार जिले की दो डिस्टलरी के संचालकों व ठेकेदारों ने नए सिरे से IAS, IPS की लॉबी के साथ विभागीय अधिकारियों से जमावट की और धड़ल्ले से माल गुजरात भेजना शुरू कर दिया।
अब इस लाइन में एकमात्र अड़चन सूरज रजक थे, जो अलीराजपुर में एक ग्रुप ले चुके हैं और इंदौर में भी लगभग 400 करोड़ के ठेकों वाले ग्रुप उनके पास है। उनका भी माल कुछ लोग गुजरात पहुंचा रहे थे। ऐसे में सिंडीकेट ने अलीराजपुर में एक बड़ी गाड़ी पकड़वा दी और इसके बाद धार में एक के बाद एक कई गाड़ियां पकड़वा दीं।
यहां रजक पर भी केस होते-होते बचा।
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मंत्री, विधायक का साथ भी काम नहीं आ रहा
रजक को पहले भरोसा था कि सिंडीकेट उसकी लाइन को कुछ नहीं कर पाएगा, क्योंकि वह एक मंत्री और इंदौर के एक विधायक के बहुत ही करीबी हैं। वह धार में भी अच्छी हैसियत में हैं, तो वहां कुछ नहीं होगा। लेकिन ये मुगालते जल्दी टूट गए, जब एक के बाद एक चार बार गाड़ी पकड़ ली गई। मुश्किल से खुद को बचा पाए। नए समीकरण में रजक उलझते चले गए।
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अलीराजपुर में सोम का बड़ा काम
उधर रजक के साथ ही अलीराजपुर में सोम के भी ठेके हैं। चूंकि सोम की डिस्टलरी खुद की है, इसलिए उसे माल सस्ते में पड़ता है और उसका माल गुजरात में अलग दामों पर बिकने के लिए तैयार होता है। रजक की समस्या यह है कि उसके पास बीते धार ठेके में 50 करोड़ का माल डंप पड़ा हुआ है।
वह सिंडीकेट से इसकी भरपाई की मांग कर रहा है, लेकिन बात नहीं बन पा रही है। इसी वजह से सिंडीकेट और रजक के बीच पटरी नहीं बैठ रही है। हालांकि, गुजरात लाइन में वर्चस्व की इस लड़ाई के बाद अब नए सिरे से गठजोड़ के प्रयास ऊपर के स्तर से कराए जा रहे हैं, ताकि लड़ाई में सभी का नुकसान न हो। अब यह चर्चा भी चल रही है कि रजक को वापस इस सिंडीकेट में जोड़ा जाए। इसके लिए कुछ लोग समझौता कराने में भी जुट गए हैं।
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