एमपी में MRP से अधिक कीमत पर शराब बिक्री, कलेक्टर्स की उदासीनता से ठेकेदारों को फायदा!

एमपी में शराब की MRP से अधिक कीमत पर बिक्री हो रही है। कलेक्टरों की उदासीनता से ठेकेदारों को फायदा मिल रहा है। केवल 15 जिलों में जांच हुई, जबकि कई जिलों में कार्रवाई की कमी से राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है।

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Sandeep Kumar
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MP News: मध्य प्रदेश में शराब की अधिकतम विक्रय मूल्य (MRP) से अधिक कीमत पर बिक्री के मामलों में मध्य प्रदेश सरकार की लापरवाही सामने आई है। कलेक्टरों की उदासीनता और आबकारी अधिकारियों की निष्क्रियता से ठेकेदारों को फायदा हो रहा है। शराब के एमआरपी से अधिक कीमत पर बिक्री के मामलों में आबकारी आयुक्त ने सभी जिलों के कलेक्टरों को कार्रवाई के निर्देश दिए थे, फिर भी चालीस जिलों में कोई जांच नहीं की गई।

जांच और जुर्माना

आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने 13 मई को सभी जिला अधिकारियों को निर्देश दिए थे। उन्होंने एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब बेचे जाने के मामलों में कार्रवाई की बात कही थी। हालांकि, केवल 15 जिलों में जांच की गई। इन जिलों में एमआरपी से अधिक पर शराब बेची जाती पाई गई। निरीक्षण के दौरान शराब दुकानों पर 2 करोड़ 32 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।

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जबलपुर में सबसे बड़ी कार्रवाई

प्रदेश में सबसे बड़ी कार्रवाई जबलपुर जिले में की गई। यहां 32 शराब दुकानों पर एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब बेचने पर 1 करोड़ 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। राजधानी भोपाल में 7 दुकानों पर 24 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

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नई आबकारी नीति और पेनल्टी

नई आबकारी नीति के तहत यदि किसी शराब दुकान पर MRP से अधिक या MSP से कम कीमत पर शराब बेची जाती है। पेनल्टी के रूप में उस दुकान के लिए एक दिन की लाइसेंस फीस के बराबर जुर्माना लगाया जाता है। जांच में यदि दुकान पर एमआरपी से अधिक मूल्य पर शराब बिकती पाई जाती है, तो संबंधित दुकान को नोटिस जारी किया जाता है और उनका जवाब संतुष्ट न होने पर पेनल्टी का आदेश कलेक्टर द्वारा जारी किया जाता है।

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हाईकोर्ट में जनहित याचिका

जबलपुर में पिछले सप्ताह एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें एमआरपी से अधिक मूल्य पर शराब बेचने की समस्या उठाई गई है। हाईकोर्ट ने इस मामले पर आबकारी आयुक्त और अन्य अधिकारियों से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

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