एमपी में शिक्षक संगठनों का ई-अटेंडेंस का विरोध, कहा- सौतेला व्यवहार कर रही सरकार

एमपी में शिक्षकों की उपस्थिति, छुट्टी, पेंशन और अन्य सेवा रिकॉर्ड अब "हमारे शिक्षक" ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म पर दर्ज होंगे। शिक्षक संगठनों ने ई-अटेंडेंस का विरोध जताया है। उन्होंने सरकार पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है...

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Sandeep Kumar
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MP News:  मध्य प्रदेश में शिक्षकों की उपस्थिति, छुट्टी, पेंशन और अन्य सेवा रिकॉर्ड अब "हमारे शिक्षक" प्लेटफॉर्म पर दर्ज होंगे। शिक्षा विभाग 23 जून से इस सिस्टम को लागू करेगा। 1 जुलाई से यह सभी जिलों में अनिवार्य हो जाएगा। वहीं, शिक्षकों की बायोमेट्रिक ई-अटेंडेंस को लेकर विवाद शुरू हो गया है। शासकीय शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध किया है।

शिक्षक संगठनों का कहना है कि सरकार शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार न करे। संगठन ने सरकार को खुला पत्र जारी किया है। उन्होंने ई-अटेंडेंस प्रणाली में खामियां और मानवीय दृष्टिकोण से टिप्पणी की है।

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शिक्षक संगठनों का विरोध

शासकीय शिक्षक संगठनों ने इस ई-अटेंडेंस प्रणाली का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह शिक्षकों के प्रति सौतेला व्यवहार है। उनका आरोप है कि सरकार को पहले शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए यह प्रणाली लागू करनी चाहिए। शिक्षक संगठनों ने सरकार को खुला पत्र जारी किया है, जिसमें उन्होंने ई-अटेंडेंस प्रणाली की खामियां उजागर की हैं।

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ई-अटेंडेंस प्रणाली की खामियां

शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह प्रणाली मानवीय दृष्टिकोण से लागू नहीं की गई है और इसके कई गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।

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1. मोबाइल पर निर्भरता और तकनीकी समस्याएं

ई-अटेंडेंस प्रणाली पूरी तरह से मोबाइल उपकरणों पर निर्भर है। यदि शिक्षक का मोबाइल खराब हो जाए, खो जाए या नेटवर्क समस्याएं हों, तो उनकी उपस्थिति गलत तरीके से दर्ज हो सकती है। इससे शिक्षक को अनुचित सजा मिल सकती है, जैसे वेतन में कटौती, जो उनके मनोबल को गिरा सकती है।

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2. नहीं बचेंगी मानवीय संवेदनाएं

शिक्षक केवल विद्यालय में उपस्थित नहीं होते, बल्कि वे विद्यार्थियों के साथ गहरे मानवीय संबंध स्थापित करते हैं। जब शिक्षकों को मशीनों की तरह ट्रैक किया जाएगा, तो यह संबंध यांत्रिक हो जाएगा। मशीनें मानवीय संवेदनाओं को नहीं समझ सकतीं।

3. डेटा मशीन की तरह व्यवहार

शिक्षक भविष्य के नागरिकों का निर्माण करते हैं। यदि उन्हें केवल डेटा बनाने वाली मशीन की तरह देखा जाएगा, तो शिक्षा की प्रकृति बदल जाएगी। यह "मानव निर्माण" से "डेटा निर्माण" प्रक्रिया बन जाएगी।

4. स्थानीय समस्याओं की होगी अनदेखी

राजधानी भोपाल से लाखों विद्यालयों की निगरानी करना व्यावहारिक नहीं है। यह विकेन्द्रीकरण के सिद्धांत के खिलाफ है और स्थानीय समस्याओं की अनदेखी करता है। इसके बजाय, जिला या संकुल स्तर पर प्रभावी मॉनिटरिंग व्यवस्था स्थापित की जानी चाहिए।

सुधार के सुझाव

  • ई-अटेंडेंस को वैकल्पिक सहायक प्रणाली के रूप में लागू किया जाए।
  • विद्यालय स्तर पर हस्ताक्षरयुक्त उपस्थिति रजिस्टर भी मान्य किया जाए।
  • तकनीकी गड़बड़ियों के लिए लचीलापन हो, ताकि शिक्षक मानसिक तनाव से बच सकें।
  • शिक्षकों के लिए हेल्पलाइन और शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किए जाएं।

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