ग्वालियर में बिजली कटौती और खराब सड़क के विरोध में अनोखे तरीके से प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों ने बिजली कर्मचारी को माला पहनाकर सम्मानित किया। उखड़ी सड़क पर फूल माला अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। यह प्रदर्शन शहर में चर्चा का विषय बन गया।
ग्वालियर में बिजली कटौती की समस्या
ग्वालियर शहर में मानसून के मौसम के दौरान बिजली की कटौती ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। यह समस्या केवल दिन में नहीं, बल्कि रातभर भी जारी रहती है। खासकर ग्वालियर के थाटीपुर इलाके के लोगों ने इसे बुरी तरह अनुभव किया है। रात 12:30 बजे से सुबह 7:00 बजे तक बिजली गुल रहने के कारण उमस भरी गर्मी में घरवाले बेहाल हो गए। इसके बावजूद बिजली विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अपने दफ्तर से गायब रहते हैं, और कॉल सेंटर पर भी कोई सहायता नहीं मिलती। इस समस्या के खिलाफ एक स्थानीय व्यक्ति, आदित्य ने बिजली विभाग के कर्मचारी को माला पहनाकर उनका सम्मान किया और विभाग की नाकामी पर कटाक्ष किया।
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सड़कों की बदहाली: ग्वालियर में सड़क धंसने की समस्या
इसके साथ ही, ग्वालियर शहर में सड़क निर्माण की खस्ता हालत भी उजागर हुई है। चेतकपुरी चौराहे के पास एक महीने पहले बनी सड़क में भारी खराबी आई है। मानसून की बारिश के बाद सड़क 8 से 10 फीट तक धंस गई है।
गड्ढों में भरी कीचड़ और पानी ने इसे चलने योग्य नहीं छोड़ा। इस खराब सड़क की हालत पर विरोध व्यक्त करते हुए, हाई कोर्ट के एडवोकेट हरीश दीवान और यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव हेवरन कंसाना ने गड्ढे पर माला और फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
उनका कहना था कि यह सड़क गारंटी पीरियड के तहत बनी थी, लेकिन एक महीने के भीतर ही यह सड़क खराब हो गई। इसे अब 'मरा हुआ' मान लिया गया है।
स्थानीय लोगों का आक्रोश
ग्वालियर में बिजली कटौती और सड़क निर्माण की इस बदहाली पर अब स्थानीय लोगों का गुस्सा उबाल मार रहा है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से प्रशासन और ठेकेदारों के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है।
विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि नगर निगम के अधिकारी और ठेकेदार भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इसकी वजह से शहर में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। शहरवासियों का यह मानना है कि यह मुद्दा केवल एक स्थिति नहीं, बल्कि ग्वालियर के नगर निगम और प्रशासन की पूरी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है।
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क्या जिम्मेदार अधिकारी जागेंगे?
स्थानीय लोगों का अब यह सवाल है कि क्या इन समस्याओं का हल निकाला जाएगा? क्या प्रशासन इन मुद्दों पर ध्यान देगा या फिर यह विरोध प्रदर्शन भी अन्य समस्याओं की तरह भुला दिया जाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि स्थानीय सरकार इन समस्याओं का समाधान करने के लिए क्या कदम उठाती है।
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