मारुतराज, BHOPAL. एमपी लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha election ) में कांग्रेस उम्मीदवार रहे अक्षय कांति बम के नामांकन फॉर्म लेने की घटना ने भले ही लोगों को आश्चर्य में डाल दिया हो, लेकिन मध्य प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। कांग्रेस के उम्मीदवार इस तहर के झटके पहले भी पार्टी को दे चुके हैं। बम की तरह सबसे पहला झटका कांग्रेस को साल 2009 के लोकसभा चुनाव में मिला था। इसके बाद दूसरा बम फूटा था साल 2014 के लोकसभा चुनाव में। क्या था पूरा मामला आइए आपको बताते हैं विस्तार से…
पटेल का हुआ था फॉर्म रिजेक्ट
मध्य प्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव 2009 में कांग्रेस ने राजकुमार पटेल को उम्मीदवार बनाया था। इस सीट से बीजेपी की सुषमा स्वाराज चुनाव लड़ रही थीं। पटेल ने नामांकन फॉर्म जमा करने के अंतिम दिन अपना फॉर्म जमा किया था। पटेल का फॉर्म बाद में निरस्त हो गया और एक तरह से सुषमा स्वाराज को वॉक ओवर मिल गया था। फॉर्म रिजेक्शन की वजह नामांकन पत्र फॉर्म ए की मूल प्रति न जमा किया जाना बताया गया था। 2004 से केंद्र में सरकार चला रही कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा झटका था। बाद में एके अंटोनी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस की अनुशासन कमेटी ने राजकुमार पटेल को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया था। हालांकि, बाद में उनकी पार्टी में वापसी हो गयी थी।
ये खबर भी पढ़ें...
Lok Sabha Election : विदिशा, गुना और राजगढ़ सीट पर अब गुरिल्ला वॉर का दौर शुरू
टिकट मिलने के बाद बीजेपी जॉइन कर ली
कांग्रेस पर दूसरा बम गिरा था साल 2014 के चुनाव में। मध्य प्रदेश की भिंड दतिया लोकसभा सीट से कांग्रेस ने नौकरशाह रहे भागीरथ प्रसाद को उम्मीदवार बनाया था। प्रसाद 2009 का चुनाव भी कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से लड़ चुके थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी ने हार के बाद भी प्रसाद को 2014 के चुनाव में एक बार फिर उम्मीदवार बनाया था। उन्होंने टिकट की घोषणा होने के बाद दूसरे दिन ही बीजेपी जॉइन कर ली थी। मोदी की लहर पर सवार बीजेपी के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि तो थी ही, लेकिन कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका था। मनमोहन सिंह की सरकार तीसरे कार्यकाल के लिए चुनाव मैदान में थी। प्रसाद ने आरोप लगाया था कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी की वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
2024 का बम कांड…
देश में चल रहे लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने इंदौर लोकसभा सीट से अक्षय कांति बम को उम्मीदवार बनाया था। नाम वापसी के अंतिम दिन बम ने अपना फॉर्म वापस ले लिया। अक्षय कांति के नाम वापस लेने के साथ ही इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस की दावेदारी पूरी तरह से खत्म हो गई और एक तरह से बीजेपी उम्मीदवार शंकर लालवानी को वॉक ऑवर मिल गया। हालांकि, कांग्रेस नोटा पर वोट देने की अपील कर रही है, लेकिन इसका चुनाव परिणाम पर असर होने की उम्मीद कम ही है।