मप्र में निकाय और पंचायत चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग की नई सिफारिश : परिसीमन आयोग का गठन

मध्य प्रदेश में 2027 में होने वाले नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य परिसीमन आयोग बनाने की सिफारिश की है। यह आयोग चुनावों के परिसीमन, आरक्षण और पुनर्गठन का जिम्मा उठाएगा। इससे चुनाव प्रक्रिया में बदलाव आएंगे।

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Sandeep Kumar
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मप्र में 2027 में होने वाले नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य परिसीमन आयोग बनाने की सिफारिश की है। अगर सरकार इस प्रस्ताव को मंजूर करती है, तो आयोग नगर निगम के मेयर, नगर पालिका-परिषद के अध्यक्ष, पंचायत के पंच-सरपंच, जनपद और जिला पंचायत अध्यक्ष के पदों का आरक्षण और वार्डों का परिसीमन करेगा।

प्रदेश में नगरीय निकायों के वार्डों का परिसीमन और आरक्षण नगरीय प्रशासन विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा किया जाता है। यह व्यवस्था कई बार विवादों का कारण बन चुकी है। ओबीसी आरक्षण और वार्ड परिसीमन पर राजनीति और विवादों ने इसे सवालों के घेरे में डाल दिया है।

2022 के नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में, जब कांग्रेस सरकार थी, कमलनाथ सरकार ने कलेक्टरों को परिसीमन के आदेश दिए थे। इस पर बीजेपी ने आपत्ति जताई और कोर्ट में मामला चला गया। कोर्ट ने आदेश दिया कि परिसीमन की अधिसूचना राज्यपाल से जारी की जानी चाहिए। इसके बाद, ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने का आदेश दिया। इस कारण प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया में देरी हुई।

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परिसीमन आयोग की सिफारिश

राज्य निर्वाचन आयोग ने सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें राज्य परिसीमन आयोग बनाने की सिफारिश की गई है। अगर सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो आयोग के पास चुनावों से जुड़ी विभिन्न जिम्मेदारियां होंगी। इनमें नगर निगम के मेयर, नगर पालिका-परिषद के अध्यक्ष, पंचायत के पंच-सरपंच, जनपद और जिला पंचायत अध्यक्ष के पदों का आरक्षण तय करना और वार्डों के परिसीमन का काम शामिल है। यह आयोग केंद्रीय परिसीमन आयोग के समान अधिकारों से संपन्न होगा। आयोग के फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी, जिससे विवादों से बचने में मदद मिलेगी।

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आयोग के प्रस्तावित अधिकार

आयोग को नगरीय निकायों के परिसीमन और आरक्षण पर अधिकार मिलेगा, साथ ही पंचायत चुनावों के लिए सुधार प्रस्तावित हैं। आयोग का उद्देश्य चुनावों में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है, ताकि राजनीतिक पक्षपाती दृष्टिकोण को कम किया जा सके। आयोग के फैसलों को कानूनी चुनौती से मुक्त रखने की सिफारिश यह स्पष्ट करती है कि इस प्रस्ताव का उद्देश्य चुनावों में त्वरित और पारदर्शी बदलाव लाना है।

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वार्डों का परिसीमन आयोग कैसे करेगा 

👉जिला निर्वाचन अधिकारी पंचायतों और नगर पालिकाओं से जानकारी प्राप्त करने के बाद निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं का निर्धारण करेगा। इसके बाद, प्रारूप अधिसूचना जारी की जाएगी।

👉प्रारूप अधिसूचना को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करने के बाद जनता से आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे।

👉आयोग आपत्तियों और सुझावों पर विचार करेगा। आवश्यकता होने पर, संबंधित व्यक्तियों को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा या दस्तावेजों की जांच की जाएगी।

👉आपत्तियों और सुझावों के निराकरण के बाद आयोग अंतिम आदेश जारी करेगा।

👉अंतिम आदेश राज्य के राजपत्र में प्रकाशित होगा और यह कानून की तरह लागू होगा।

आयोग बनने से चुनावों में बदलाव

राज्य परिसीमन आयोग बनने से चुनावी प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे:

निष्पक्ष परिसीमन और आरक्षण: आयोग की स्थापना से यह सुनिश्चित होगा कि परिसीमन और आरक्षण में किसी प्रकार का पक्षपात न हो, और यह जनता की वास्तविक जरूरतों के हिसाब से हो।

विवादों में कमी: आयोग के निर्णयों को चुनौती नहीं दी जा सकेगी, जिससे राजनीतिक विवादों की संभावना कम होगी।

समय पर चुनाव: आयोग के गठन से चुनाव समय पर और सुव्यवस्थित तरीके से होंगे, जैसा कि पिछली बार परिसीमन और ओबीसी आरक्षण विवाद के कारण चुनावों में देरी हुई थी।

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