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मध्यप्रदेश के लाखों बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। नवरात्रिि के पहले दिन यानी 22 सितंबर से प्रदेश में बिजली 22 पैसे प्रति यूनिट सस्ती हो जाएगी। यह राहत सीधे तौर पर 25 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को मिलेगी, खासकर उन परिवारों को जिनकी औसत मासिक खपत लगभग 300 यूनिट है।
इस बदलाव के चलते उपभोक्ताओं के बिल में करीब 66 रुपए की बचत होगी। यानी सालभर में यह बचत 792 रुपए तक पहुंच सकती है। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह राहत कैसे संभव हुई और उपभोक्ताओं को किस प्रकार फायदा होगा।
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सस्ती हुई बिजली
केंद्र सरकार ने हाल ही में जीएसटी-2 फैसले के तहत कोयले पर टैक्स संरचना बदली है। अब तक कोयले पर 5% जीएसटी और 400 रुपए प्रति टन का कम्पेनसेशन सेस लगता था। केंद्र सरकार ने टैक्स स्ट्रक्चर बदल दिया है। अब कोयले पर जीएसटी 18% कर दिया गया है, लेकिन 400 रुपए वाला सेस हटा दिया गया है।
इस बदलाव से कोयले की कुल कीमत घट गई है। पहले एक टन कोयले की कीमत 1278.85 रुपए पड़ती थी, जो अब कम होकर 987.66 रुपए रह जाएगी। सेस हटने से बिजली उत्पादन की लागत घटेगी। टैरिफ स्लैब तो वही रहेंगे, लेकिन फ्यूल चार्ज कम होगा। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा और बिजली के बिल घटेंगे।
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पहले: 5% जीएसटी + 400 रुपए/टन कम्पेनसेशन सेस।
अब: 18% जीएसटी, लेकिन कम्पेनसेशन सेस समाप्त।
कोयले की कीमत में आई कमी
कोयले पर जीएसटी 5% से बढ़कर 18% हो गया है, लेकिन 400 रुपए प्रति टन का सेस खत्म कर दिया गया है। इससे कोयले की कीमत कम हो गई है।
मध्यप्रदेश के ताप बिजली घरों में एक यूनिट बिजली बनाने के लिए औसतन 750 ग्राम कोयला लगता है। सेस हटने की वजह से उत्पादन लागत 21.83 पैसे प्रति यूनिट घट जाएगी। कोयले की मूल कीमत 837 रु./टन ही रहेगी।
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ध्यान रहे, यह बचत फ्यूल चार्ज में कमी से होगी, न कि टैरिफ स्लैब बदलने से। बिजली बनाने में जो खर्च ढुलाई और ईंधन पर आता है, उसे ही फ्यूल चार्ज कहा जाता है। यही आपके बिल में बेस बिजली दर के ऊपर जोड़ा जाता है।
फ्यूल चार्ज आसान भाषा में
बिजली बनाने के लिए कोयला लाने और ईंधन की लागत को फ्यूल चार्ज कहा जाता है। यह चार्ज उपभोक्ताओं के बिल में बेस टैरिफ के ऊपर जोड़ा जाता है।
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आपके बिजली बिल पर सीधा असर
कोयले पर सेस खत्म होने और जीएसटी बढ़ने के बाद फ्यूल चार्ज घट गया है। इसका असर सीधे उपभोक्ताओं के बिल पर पड़ेगा।
मान लीजिए आपके घर की बिजली दर (बेस एनर्जी चार्ज) 6 रुपए प्रति यूनिट है। पहले सरकार ढुलाई व ईंधन पर 2.59% लेती थी। यानी 6 रु. × 2.59% = 0.155 रु./यूनिट अतिरिक्त। अब यह घटकर 0.97% हो गया है। यानी 6 रु. × 0.97% = 0.058 रु./यूनिट अतिरिक्त। मतलब, हर यूनिट पर अब 10 पैसे कम देने होंगे।
पहले और अब
पहले: बेस बिजली दर (6 रु./यूनिट) पर 2.59% अतिरिक्त। यानी 0.155 रु./यूनिट।
अब: यह घटकर 0.97% रह गया है। यानी 0.058 रु./यूनिट।
मतलब, हर यूनिट पर अब 10 पैसे कम देने होंगे।
उपभोक्ताओं को कैसे होगा फायदा?
मान लीजिए किसी घर में महीने में 150 यूनिट बिजली की खपत होती है:
पहले बिल: 906 रुपए
अब बिल: 840 रुपए
बचत: 66 रुपए प्रति माह (792 रुपए सालाना)
यदि खपत 300 यूनिट है, तो राहत और भी अधिक होगी।