क्या खत्म होगी रावण दहन की परंपरा? एमपी में ब्राह्मण समाज कर रहा है विरोध

रावण दहन पर महाकाल सेना और ब्राह्मण समाज ने सवाल उठाए हैं। साथ ही, उन्होंने सभी ब्राह्मणों से इस परंपरा को लेकर विवाद करने को कहा है। एमपी में इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है।

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Dablu Kumar
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देशभर में दशहरा की धूम देखी जा रही है। हालांकि, मध्य प्रदेश में इसे लेकर टेंशन जारी है। यहां महाकाल सेना और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन की परंपरा के खिलाफ विरोध जताया है। इन संगठनों ने विशेष रूप से ब्राह्मणों से अपील की है कि वे रावण के दहन जैसे आयोजनों में हिस्सा न लें। इस बार 2 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।

बैठक के बाद मामला गरमाया

मामला तब गरमा गया जब उज्जैन के परशुराम मंदिर में अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज की बैठक हुई। इसमें यह फैसला लिया गया कि देशभर में रावण के दहन का विरोध किया जाएगा। महाकाल सेना ने भी ब्राह्मणों से विशेष रूप से अपील की है कि वे रावण दहन में भाग न लें।

महाकाल सेना के संरक्षक महेश पुजारी ने कहा कि रामायण या इतिहास में कहीं भी रावण के दहन का उल्लेख नहीं मिलता है। यह परंपरा अब केवल मनोरंजन और राजनीति का साधन बन चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग वास्तव में राम के जैसे हैं, उन्हें ही रावण का दहन करना चाहिए। बता दें कि, उज्जैन में रावण दहन रोकने की मांग ने हर किसी को हौरान किया है। 

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उज्जैन रावण दहन पर रोक वाली खबर पर एक नजर

  • दशहरा की तैयारियां जारी, लेकिन मध्यप्रदेश में महाकाल सेना और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन की परंपरा का विरोध किया, खासतौर पर ब्राह्मणों से अपील की है कि वे इसमें हिस्सा न लें।

  • उज्जैन के परशुराम मंदिर में बैठक के बाद महाकाल सेना और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन के खिलाफ विरोध करने का निर्णय लिया। महेश पुजारी ने कहा कि रामायण में रावण का दहन का कोई उल्लेख नहीं है, यह अब मनोरंजन और राजनीति का हिस्सा बन चुका है।

  • उज्जैन के प्रमुख चौराहों पर पोस्टर लगाए गए हैं, जिनमें सवाल उठाया गया है कि रावण दहन क्यों किया जाता है और इस परंपरा को खत्म नहीं किया जाना चाहिए।

  • पोस्टरों में आठ सवाल उठाए गए हैं, जिनमें रावण दहन और श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और सूर्पणखा से जुड़ी धार्मिक और नैतिक पहलुओं पर सवाल पूछे गए हैं।

  • महाकाल सेना ने पिछले साल भी मुख्यमंत्री से रावण के दहन पर रोक लगाने की मांग की थी, और इस बार भी शास्त्रसम्मत उत्तर देने की अपील की है।

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चौराहों पर लगे पोस्टर

उज्जैन के प्रमुख चौराहों पर रावण दहन के खिलाफ पोस्टर लगाए गए हैं, जिनमें रामघाट, गुदरी चौराहा, महाकाल घाटी और फ्रीगंज के शिव मंदिर के पास विशेष रूप से पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टरों में सवाल उठाया गया है कि आखिर रावण का दहन क्यों किया जाता है और क्या इस धार्मिक परंपरा को समाप्त नहीं किया जाना चाहिए? पिछले साल भी महाकाल सेना ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर रावण के दहन पर रोक लगाने की मांग की थी।

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पोस्टर में इन आठ सवालों को पूछा

  1. रावण का दहन क्यों?
  2. रावण अत्याचारी कैसे? स्पष्ट करें।
  3. महान विद्वान, शिव भक्त, शिव तांडव सहित अनेक जन उपयोगी ग्रंथों का रचयिता और राम जी के निवेदन पर रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कराने वाले आचार्य ब्राह्मण का अपमान क्यों?
  4. श्रीराम को नारायण अवतार जानकार भी एक भाई ने अपनी बहन के साथ हुए अत्याचार रूपी चुनौती को स्वीकार किया और मोक्ष प्राप्त किया तो क्या गुनाह किया?
  5. लक्ष्मण क्षत्रिय थे और क्षत्रिय किसी महिला पर शस्त्र नहीं उठाते। सूर्पनखा ब्राह्मण कन्या और स्त्री थी लेकिन एक क्षत्रिय ने उसकी नाक और कान काट दिए, क्या यह उचित था?
  6. यदि आपके परिवार के किसी सदस्य के साथ सूर्पनखा जैसा व्यवहार हो तो आप क्या करेंगे?
  7. एक साधारण व्यक्ति ने परम सती सीता जी पर उंगली उठाकर उनके चरित्र पर संदेह किया और पुन: सीता जी को वनवास जाना पड़ा। उस रजक (धोबी) के विषय में आप क्या कहेंगे और करेंगे।
  8. रावण को मारने पर भगवान श्रीराम को भी ब्रह्म हत्या का पाप लगा था तो रावण दहन में सम्मिलित होने वाले लोगों पर ब्रह्म हत्या का पाप लगेगा या नहीं? सनातन धर्म के लोगों को शास्त्र सम्मत उत्तर देने का कष्ट करें या ब्राह्मणों का अपमान करना बंद करें।
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