/sootr/media/media_files/2025/09/20/mp-school-buses-new-changes-2025-09-20-10-43-41.jpg)
मध्य प्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए अब स्कूल जाने से लेकर घर आने तक का सफर और भी आरामदायक और सुरक्षित हो गया है। अब जर्जर और पुरानी स्कूल बसों (old school buses) की जगह नई और आधुनिक बसें चलेंगी। यह बदलाव दिल्ली सरकार (Delhi Government) के हालिया फैसले का परिणाम होगा। जानें क्या हैं दिल्ली सरकार का फैसला और इसका असर एमपी में कैसे देखने को मिलेगा?
ऐसे बदल रहा MP का परिवहन सिस्टम
अब तक दिल्ली में 15 साल पुरानी बसों (old buses) को सड़क पर उतारने की अनुमति नहीं थी। ये बसें भोपाल के ऑपरेटर (operators) द्वारा खरीदकर स्कूल बसों (school buses) के रूप में उपयोग की जाती थीं। लेकिन अब दिल्ली सरकार का नया नियम (new rule) इन बसों को 20 साल तक चलाने की अनुमति देता है। इससे भोपाल में पुरानी बसें खरीदने का रास्ता बंद हो गया है। इस बदलाव के बाद, भोपाल के बस ऑपरेटरों ने नई बसें खरीदने शुरू कर दी हैं। हाल ही में इन नई बसों को शहर की सड़कों पर देखा गया है।
ये खबर भी पढ़िए...मध्यप्रदेश पुलिसकर्मियों के निधन पर परिवार को अब 1 लाख की जगह 5 लाख की मिलेगी मदद
नए परिवहन नियम से बढ़ेगी सुरक्षा
मध्य प्रदेश परिवहन विभाग (MP Transport Department) के अनुसार, स्कूलों (schools) और कॉलेजों (colleges) में 20 साल तक पुरानी बसों को चलाने की अनुमति है। वहीं अब दिल्ली में भी यह नियम लागू हो चुका है। ऐसे में दिल्ली से पुरानी बसें एमपी नहीं लाई जा सकेंगी।
ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (Transport Commissioner) विवेक शर्मा ने कहा कि दिल्ली सरकार का यह निर्णय सराहनीय है, जो बच्चों की सुरक्षा (children’s safety) के लिए एक कदम और आगे बढ़ाएगा।
ये खबर भी पढ़िए...एमपी पुलिस भर्ती 2025 : ASI और सूबेदार पदों के लिए 500 पदों पर निकली भर्ती
राजधानी में 1450 से ज्यादा चल रही स्कूल बसें
भोपाल आरटीओ जितेंद्र शर्मा के अनुसार, भोपाल में इस समय लगभग 1450 स्कूल बसें चल रही हैं। इनमें से कई 15 साल से अधिक पुरानी हैं। अब नई बसों (new buses) से सुरक्षा (safety) में तो इजाफा होगा ही, साथ ही प्रदूषण (pollution) में भी कमी आएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि एसी बसें (AC buses) बच्चों को गर्मी (heat), बारिश (rain), और धूल (dust) से भी बचाएंगी, जिससे उनका सफर और भी आरामदायक बनेगा।
स्कूली वाहनों के लिए ये मानक हैं निर्धारित
बस का रंग: स्कूली वाहनों की बॉडी सुनहरे पीले रंग की हो।
स्कूल का नाम: वाहन की बॉडी पर खिड़की के स्तर से नीचे सभी ओर न्यूनतम 150 एमएम चौड़ा सुनहरा भूरा रंग का बोर्ड पेंट किया जाए। इसमें स्पष्ट रूप से विद्यालय का नाम लिखा हो।
ऑपरेटर के वाहनों पर विवरण: यदि स्कूल किसी वाहन ऑपरेटर से बस या अन्य वाहन किराए पर लेता है, तो उस वाहन के पीछे और सामने "ऑन स्कूल ड्यूटी" प्रदर्शित करना अनिवार्य है।
गति नियंत्रक: स्कूली बसों में गति नियंत्रक उपकरण का होना अनिवार्य है। इसकी अधिकतम गति 40 किमी प्रति घंटा होनी चाहिए।
प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स: सभी वाहनों में एक प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स होना आवश्यक है।
अग्निशमन यंत्र: वाहन में अग्निशमन यंत्र का होना जरूरी है।
रेट्रो रिफ्लेक्टिव टेप: सभी वाहनों में रेट्रो रिफ्लेक्टिव टेप लगे होना अनिवार्य किया गया है।
जीपीएस: प्रत्येक स्कूली वाहन में जीपीएस का होना आवश्यक है।
बैग रखने की व्यवस्था: वाहन में स्कूल बैग रखने के लिए उचित स्थान उपलब्ध होना चाहिए।
विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिए व्यवस्था: शारीरिक रूप से असमर्थ बच्चों के लिए चढ़ने और उतरने की उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए।
पंजीकरण: सभी स्कूली वाहनों का पंजीकरण व्यावसायिक यात्री वाहन के रूप में होना चाहिए।
फिटनेस प्रमाण पत्र: नए वाहनों को जो 8 वर्ष से कम के हों, उन्हें द्विवार्षिक और अन्य सभी वाहनों को वार्षिक फिटनेस प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य है।
आपातकालीन द्वार: प्रत्येक स्कूल बस में दो आपातकालीन द्वार होने चाहिए।
सीसीटीवी कैमरे: सभी स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरे का अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
खिड़कियों पर ग्रिल: बस की खिड़कियों पर क्षैतिज ग्रिल फिट किया जाना चाहिए।