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मध्यप्रदेश पुलिसकर्मियों के कल्याण को लेकर लंबे समय से उठ रही मांगों पर आखिरकार शुक्रवार, 19 सितंबर को अहम निर्णय लिए गए। एमपी डीजीपी कैलाश मकवाना की अध्यक्षता में रवींद्र भवन में आयोजित राज्य स्तरीय पुलिस परामर्शदात्री और पुलिस कल्याण समिति की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। इन निर्णयों से न केवल पुलिसकर्मियों बल्कि उनके परिवारों को भी सीधा लाभ मिलेगा।
परोपकार निधि में बड़ा बदलाव
अब मध्य प्रदेश पुलिसकर्मी के निधन पर परोपकार निधि (Philanthropy Fund) से परिवार को मिलने वाली मदद 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी गई है। यह बदलाव उन परिवारों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा, जिन्हें आकस्मिक परिस्थितियों में आर्थिक मदद की जरूरत होती है।
योगदान की व्यवस्था
इसके लिए सभी रैंक के पुलिसकर्मियों से सालाना 1200 रुपए (100 रुपए प्रति माह) लिए जाएंगे। हालांकि, पुलिसकर्मी यदि चाहें तो लिखित आवेदन देकर इस योजना से बाहर भी हो सकते हैं।
पुलिसकर्मियों के कल्याण से जुड़े फैसले पर एक नजर
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शिक्षा निधि में 50% बढ़ोतरी
इसके अलावा पुलिसकर्मियों के बच्चों की शिक्षा (Education Fund) में सहयोग के लिए दी जाने वाली राशि को भी बढ़ा दिया गया है। इस बार 50% वृद्धि की गई है। इससे उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों को बेहतर अवसर मिलेंगे।
7,500 आरक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू
डीजीपी कैलाश मकवाना ने बैठक में यह भी स्पष्ट किया कि प्रदेश में 7,500 आरक्षकों (Constables) की भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके अलावा 500 एसआई-सूबेदार (Sub-Inspectors/Subedars) और 500 कार्यालयीन स्टाफ (Clerical Staff) की भर्ती भी जल्द होगी। वहीं, पुलिसकर्मियों की सेवा पुस्तिकाओं को डिजिटल रखने के लिए ई-एचएमआरएस सिस्टम लागू होगा। बैठक के दौरान थानों और पुलिस लाइनों की सुविधाओं, बंदियों की खुराक, छोटे जेल वाहनों जैसे प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई।
सिपाही भर्ती के लिए 15 सितंबर से आवेदन शुरू
मध्य प्रदेश में सिपाही भर्ती के लिए 15 सितंबर से आवेदन शुरू हो गए हैं। माना जा रहा है कि करीब दस लाख युवा उम्मीदवार इसके लिए आवेदन करेंगे। पदों की संख्या 7500 है। इसी माह सब इंस्पैक्टर यानी एसआई भर्ती का भी विज्ञापन संभावित है जो 8 साल बाद आएगा।
वहीं 22 सितंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में मप्र के 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण का केस सुनवाई में आएगा। इसमें सुप्रीम कोर्ट पहले ही साफ कर चुका है कि वह अंतरिम राहत नहीं बल्कि अंतिम आदेश जारी करेगा
इन सभी के बीच यह सवाल उठा है कि आखिर में मध्य प्रदेश में किस कैटेगरी को कितना आरक्षण है और क्या नियम है। वहीं सबसे चौंकाने वाली बात है कि सिपाही भर्ती के विज्ञापन में आरक्षण संबंधी प्रावधानों में एक-दो नहीं सुप्रीम कोर्ट के पूरे सात केस में हुए फैसलों का हवाला दिया है। इसमें एक फैसला इंद्रा साहनी केस का भी है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट पुलिस भर्ती में आरक्षण पर क्या फैसला देती है।
पहले बताते हैं आपको मप्र में आरक्षण की स्थिति
आरक्षण सामान्य तौर पर वर्टिकल और हॉरिजेंटल दो तरह का होता है। वर्टिकल कैटेगरी वाइज होता है, फिर इसमें से पुरूष/महिला, दिव्यांग व अन्य कैटेगरी को हारिजेंटल बांटा जाता है। जैसे अनारक्षित, एसटी, एससी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस यह वर्टिकल हुआ और फिर इसमें से 35 फीसदी पद महिलाओं को देना यह होरिजेंटल हुआ।
मप्र में आरक्षण एक्ट
मप्र में मूल रूप से मप्र का मप्र लोक सेवा (एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों के लिए आरक्षण) एक्ट 1994 पास है। इसमें अनारक्षित के लिए 50 फीसदी, एससी के लिए 16 फीसदी, एसटी के लिए- 20 फीसदी और ओबीसी के लिए 14 फीसदी आरक्षण है।