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मध्यप्रदेश में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) लगवाने का अभियान जारी है। लेकिन इस दौरान एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। राज्य में 2019 से 2022 तक 15 लाख से ज्यादा वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाई गई है। वहीं, परिवहन विभाग के पोर्टल पर इनका रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।
इसका नतीजा यह हुआ है कि भोपाल में ही करीब एक लाख वाहन ऐसे हैं जिनका रिकॉर्ड पोर्टल पर अपडेट नहीं हुआ है। ऐसे वाहन चालकों को पुलिस कार्रवाई के दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
जब पोर्टल पर किसी वाहन का विवरण डाला जाता है, तो यदि उसमें एचएसआरपी से जुड़ी जानकारी नहीं होती है। ऐसे में पुलिस चालान काट देती है। हालांकि, वाहन पर प्लेट लगी होती है। यह स्थिति वाहन मालिकों के लिए काफी मुश्किलें खड़ी कर रही है, क्योंकि उनका रिकॉर्ड परिवहन विभाग के पोर्टल पर नहीं है। ऐसे में अब वाहन नंबर प्लेट को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।
एचएसआरपी का रिकॉर्ड अपडेट क्यों नहीं हुआ?
2019 से 2022 के बीच जिन वाहनों में एचएसआरपी लगाई गई, उनके रिकॉर्ड पोर्टल पर अपडेट नहीं किए गए। इस गड़बड़ी के पीछे डीलर्स और स्मार्ट चिप कंपनी की लापरवाही है। जब वाहन खरीदी जाती है, तो डीलर रोड टैक्स और हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का चार्ज लेता है। वाहन का इंजन और चेसिस नंबर ऑनलाइन पोर्टल पर डालता है। इसके बाद पोर्टल पर वाहन रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज हो जाता है और इसके आधार पर एचएसआरपी बनवाई जाती है।
रिकॉर्ड पोर्टल पर अपडेट नहीं किया गया
लेकिन, 2019 से 2022 तक के वाहनों की एचएसआरपी का रिकॉर्ड पोर्टल पर अपडेट नहीं किया गया। न ही डीलर्स ने इसका ध्यान रखा और न ही स्मार्ट विप कंपनी ने इसका चेक किया। इस कारण से वाहन के नंबर प्लेट का रिकॉर्ड ऑनलाइन मौजूद नहीं है। इससे वाहन मालिकों को परेशानी हो रही है।
इसका प्रमुख निरीक्षण करने का जिम्मा आरटीओ (रोड ट्रांसपोर्ट ऑफिस) पर था। वहीं, आरटीओ के ऑनलाइन कार्यों को संभालने वाली स्मार्ट विप कंपनी को भी इन रिकॉर्ड्स को जांचना चाहिए था, लेकिन उसने इस पर कोई निगरानी नहीं रखी।
एक्सीडेंट के बाद जांच में दिक्कत
वह वाहन जिनकी एचएसआरपी का रिकॉर्ड पोर्टल पर नहीं है, यदि वह किसी दुर्घटना का कारण बनते हैं तो परिवहन विभाग के पोर्टल पर जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। इस स्थिति में वाहन के बारे में जानकारी डीलर्स से प्राप्त की जाती है, जो एक लंबी प्रक्रिया है। यह वाहन मालिकों के लिए और पुलिस प्रशासन के लिए कठिनाई पैदा करता है, क्योंकि वाहन की जानकारी सही समय पर उपलब्ध नहीं हो पाती।
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कैसे लगती है एचएसआरपी?
एचएसआरपी के लिए वाहन खरीदी के दौरान डीलर द्वारा रोड टैक्स और प्लेट का चार्ज लिया जाता है। फिर वाहन के इंजन और चेसिस नंबर को ऑनलाइन फॉर्म में डाला जाता है, जिसे परिवहन विभाग की वेबसाइट पर लोड किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद, वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर पोर्टल पर आ जाता है और डीलर द्वारा एचएसआरपी बनवाकर ग्राहक को सूचना दी जाती है। ग्राहक वाहन लेकर शोरूम पहुंचता है, जहां नंबर प्लेट लगाकर इसकी जानकारी ऑनलाइन अपडेट की जाती है।
लेकिन 2019 से 2022 तक के वाहनों में यह प्रक्रिया सही ढंग से नहीं हुई, जिससे एचएसआरपी का रिकॉर्ड पोर्टल पर अपडेट नहीं किया जा सका।
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कैसे हुआ यह खुलासा?
हाल ही में मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे की मीटिंग में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के मामले पर चर्चा हुई। आरटीओ का ऑनलाइन काम देख रही स्मार्ट विप कंपनी को ये रिकॉर्ड देखना चाहिए था। लेकिन, उसने चेक नहीं किया। मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने परिषान आयुक्त कमिश्नर विवेक शर्मा से कहा कि मध्यप्रदेश का स्थान इस मामले में काफी नीचे है। उनके अनुसार, 2019 से 2022 तक बहुत कम संख्या में एचएसआरपी प्लेटें लगवाई गईं।
इसका जबाव देते हुए शर्मा ने कहा- वे चेक करवाने के बाद मिनिस्ट्री को जवाब देंगे। जब वाहन-4 पोर्टल पर एनआईसी के अधिकारियों से चेक करवाया गया, तो पाया कि प्लेटें लगने का ज्यादातर वाहनों का रिकॉर्ड ही डीलर्स ने परिवहन विभाग की वेबसाइट पर अपडेट ही नहीं किया।
परिषान आयुक्त कमिश्नर विवेक शर्मा ने कहा कि डीलर्स को रिकॉर्ड अपडेट करने को कह दिया है डीलर्स को हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का रिकॉर्ड ऑनलाइन न किए जाने पर नोटिस दिए हैं। उनसे रिकॉर्ड अपडेट करने को कहा है। स्मार्ट चिप कंपनी से भी जानकारी मांगी है।
डीलर्स और स्मार्ट चिप कंपनी की लापरवाही
यह लापरवाही डीलर्स और स्मार्ट चिप कंपनी दोनों की थी। डीलर्स ने वाहनों का रिकॉर्ड अपडेट नहीं किया और स्मार्ट चिप कंपनी को इसे चेक करना चाहिए था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अब परिवहन विभाग ने डीलर्स को नोटिस भेजा है और उनसे रिकॉर्ड अपडेट करने को कहा है। स्मार्ट चिप कंपनी से भी जानकारी मांगी गई है।
क्या है आगे का रास्ता?
परिवहन विभाग ने अब इस मुद्दे पर कार्रवाई करते हुए डीलर्स को एचएसआरपी का रिकॉर्ड ऑनलाइन करने के लिए कहा है। इसके अलावा स्मार्ट चिप कंपनी से भी इस गलती की जांच की जा रही है, ताकि भविष्य में ऐसी समस्या का सामना न करना पड़े।