केवल वसूली पर ध्यान, इसलिए बिना हाई सिक्योरिटी प्लेट के सड़कों पर दौड़ रहे वाहन

मध्‍य प्रदेश। परिवहन अधिकारियों को विभाग के आदेश की जरा भी परवाह नहीं है। हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट जरूरी होने के बाद भी सड़कों पर इनके बिना ही वाहन दौड़ रहे हैं।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. वसूली में दिलचस्पी रखने वाले परिवहन अधिकारियों को विभाग के आदेश की जरा भी परवाह नहीं है। बीते महीनों में प्रदेश में हजारों वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन का मामला उजागर होने के बाद भी विभाग ने गंभीरता नहीं दिखाई है। वहीं परिवहन अमला विभागीय आदेश और काम से ज्यादों जांच के नाम पर वसूली में व्यस्त है।

वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट जरूरी होने के बाद भी सड़कों पर बड़ी संख्या में इनके बिना ही वाहन दौड़ते नजर आ रहे हैं। विभाग भी इस उदासीनता को नजरअंदाज कर रहा है। इसी वजह से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के मामले में मध्य प्रदेश कई राज्यों से पिछड़ गया है। 

मध्य प्रदेश के पिछले महीनों में दूसरे राज्यों से आए हजारों वाहनों के पंजीयन का मामला सामने आया था। इनमें से ज्यादातर वाहनों को जिस दिन दूसरे राज्य से एनओसी मिली थी उसी दिन मध्य प्रदेश के परिवहन कार्यालयों में उनका रजिस्ट्रेशन कर दिया गया था।

हजारों किलोमीटर दूर स्थित राज्य से मध्य प्रदेश में ये वाहन एक ही दिन में पहुंचना संभव नहीं होने के बाद भी अधिकारियों ने भौतिक सत्यापन के बिना उनका पंजीयन किया था। इस मामले में परिवहन विभाग ने एक भी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में विभागीय नियमों का उल्लंघन कर अनाधिकृत रूप से वाहनों का पंजीयन करने वाले अधिकारियों के हौंसले बुलंद हुए हैं। 

लक्षद्वीप में दर्ज, अरुणाचल से NOC, एमपी में पंजीयन

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट वाहनों में फर्जी रजिस्ट्रेशन और चोरी की गतिविधियों पर कसावट के लिए शुरू की गई हैं। इसके बावजूद अधिकारी इस महत्वपूर्ण व्यवस्था को बट्टा लगा रहे हैं। इसी वजह से पिछले महीनों में हजारों वाहनों का मध्य प्रदेश के अलग-अलग शहरों में स्थित आरटीओ कार्यालयों में रजिस्ट्रेशन संभव हो गया। यदि इन वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट होती तो इस फर्जीवाड़े को रोका जा सकता था।

जिन वाहनों का रि-रजिस्ट्रेशन मध्य प्रदेश में कराया गया है उनमें से अधिकांश लक्षद्वीप में रजिस्टर थे। इनकी एनओसी अरुणाचल प्रदेश से जारी कराई गई थी। इसी वजह से ये वाहन संदेह के दायरे में हैं और अवैध गतिविधियों में इनके उपयोग की आशंका बनी हुई है। 

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हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट से वंचित 73% वाहन

मध्य प्रदेश में 2.45 करोड़ वाहन परिवहन कार्यालय में पंजीकृत हैं, जिनमें से केवल 65.72 लाख वाहनों पर ही हाई सिक्योरिटी लगाई जा सकी है। जबकि बीते पांच साल से प्रदेश में नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन के दौरान हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना अनिवार्य है।

इसके बावजूद प्रदेश में 1.79 करोड़ वाहन बिना हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इनमें से कुछ वाहनों पर जांच के दौरान ट्रैफिक पुलिस जुर्माना ठोंकती है लेकिन परिवहन विभाग अपनी व्यवस्था पर कसावट नहीं कर पा रही है। इसी वजह से अब भी अधिकांश वाहनों पर पुरानी या साधारण नंबर प्लेट उपयोग की जा रही हैं। अब भी 73 फीसदी से ज्यादा वाहन हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट न लगाने से प्रदेश इस मामले में देश का पांचवा राज्य है। 

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जम्मू- कश्मीर, असम और गुजरात अव्वल

हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाने के मामले में जम्मू - कश्मीर, असम, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल देश के टॉप-5 राज्य हैं। जम्मू कश्मीर में रजिस्टर 24.37 लाख वाहनों में से 22.76 लाख वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लग चुकी हैं। अब केवल 1.61 प्रतिशत वाहन ही शेष बचे हैं। वहीं असम का परिवहन विभाग यहां दर्ज 66.96 लाख वाहनों में से 57.12 लाख वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर लगा चुका है।

गुजरात में 2.68 करोड़ वाहन हैं जिनमें से 2.22 करोड़ वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट हैं। हिमाचल प्रदेश परिवहन विभाग राज्य में पंजीकृत 24.74 लाख वाहनों में से 19.53 लाख वाहनों की नंबर प्लेट बदल चुका है। पश्चिम बंगाल में भी 1.76 करोड़ वाहनों में से अब केवल 42.26 लाख वाहन ही हाई सिक्योरिटी नंबर लगाने से बचे हुए हैं।

इसके उल्ट मध्य प्रदेश के परिवहन अधिकारी यहां पंजीकृत 2.45 करोड़ वाहनों में से अब तक केवल 65.72 लाख वाहनों की नंबर प्लेट ही बदल पाए हैं। अब भी राज्य में 1.79 करोड़ वाहनों को हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का इंतजार है। 

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