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मध्य प्रदेश में बच्चा गोद लेने के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। हैरानी की बात यह है कि अब लोग बेटे की बजाय बेटियों को ज्यादा गोद ले रहे हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग और बाल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, पैरेंट्स ने 2024-25 में गोद लेने के लिए 3795 बच्चों में से 119 बेटियां थीं। इस बदलाव से यह स्पष्ट होता है कि समाज की मानसिकता में सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है और अब लोग बेटियों को भी समान अधिकार और प्यार देने के लिए आगे आ रहे हैं।
बीते 5 वर्षों में बदलती मानसिकता
पिछले 5 वर्षों में बच्चा गोद लेने की प्रवृत्ति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पहले जहां बेटों को अधिक प्राथमिकता दी जाती थी, अब बेटियों को गोद लेने के आवेदन अधिक आ रहे हैं।
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पिछले 5 वर्षों में बच्चा गोद लेने के आंकड़े
साल | कुल आवेदन | लड़कों के लिए आवेदन | लड़कियों के लिए आवेदन |
---|---|---|---|
2020-21 | 890 | 401 | 361 |
2021-22 | 1100 | 372 | 509 |
2022-23 | 1452 | 305 | 836 |
2023-24 | 2345 | 717 | 1036 |
2024-25 | 3795 | 1022 | 2057 |
2024-25 में बेटियों को गोद लेने के आवेदन बेटों की तुलना में दोगुने से भी अधिक (2057 बनाम 1022) हैं।
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क्यों बढ़ रही है बेटियों को गोद लेने की संख्या?
1. जागरूकता और मानसिकता में बदलाव
पहले के समय में बेटे को ही परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाला माना जाता था, लेकिन अब लोग बेटियों को भी समान अवसर दे रहे हैं।
2. सरकारी नीतियों का प्रभाव
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं, जैसे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ ने समाज की सोच पर सकारात्मक प्रभाव डाला है।
3. बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल
आज के दौर में बेटियां हर क्षेत्र में सफल हो रही हैं। शिक्षा, खेल, विज्ञान और व्यापार में लड़कियों की उपलब्धियां भी माता-पिता को प्रेरित कर रही हैं कि वे बेटियों को अपनाएं।
4. दंपतियों की सोच में बदलाव
गोद लेने वाले दंपति अब यह मानने लगे हैं कि बेटियां भी उतनी ही सक्षम और जिम्मेदार हो सकती हैं जितना कि बेटे।
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सरकार और समाज की भूमिका
बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। कारा (CARA - Central Adoption Resource Authority) द्वारा ऑनलाइन गोद लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है।
सरकार की कुछ पहलें
1. गोद लेने की प्रक्रिया को ऑनलाइन और आसान बनाना।
2. गोद लेने के लिए विशेष परामर्श सेवाएं प्रदान करना।
3. बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देना।