एमपी में मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों (non-muslim children ) को धार्मिक शिक्षा (religious education ) देने के मुद्दे पर सियासत शुरू हो गई है। इस मामले में प्रदेश सरकार और कांग्रेस के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। जहां मोहन सरकार के मंत्री और विधायक सरकार के इस आदेश की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस ने सरकार के इस आदेश की आलोचना की है।
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बीजेपी सरकार की ये विफलता है: पीसी शर्मा
सरकार के आदेश को लेकर एमपी के पूर्व मंत्री पीसी शर्मा (Former minister PC Sharma ) ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि हिंदू बच्चे सरकारी सुविधाओं ( hindu children government facilities ) के अभाव में मदरसों में पढ़ने को मजबूर हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 20 सालों से प्रदेश में बीजेपी सरकार होने के बावजूद गांव-गांव में स्कूल नहीं खोले गए। पीसी शर्मा ने कहा है कि अगर सरकार ने समय पर कदम उठाए होते, तो आज हिंदू बच्चे मदरसों में पढ़ने नहीं जाते।
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सरकार का फैसला सही: बीजेपी
बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ( BJP MLA Rameshwar Sharma ) ने कांग्रेस के इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार का फैसला बिल्कुल सही है और इसके लिए मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की सराहना की जानी चाहिए। वहीं प्रदेश सरकार में मंत्री विश्वास सारंग ( Minister Vishwas Sarang ) ने भी इस मुद्दे पर सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि दूसरे धर्म के बच्चों को मदरसों में धार्मिक शिक्षा देना नैतिक और कानूनी रूप से गलत है।
महापुरुष मदरसों से पढ़कर निकले : आरिफ
वहीं इस पूरे मामले में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ( Congress MLA Arif Masood ) ने कहा कि हर अभिभावक को यह आजादी होनी चाहिए कि वे अपने बच्चों को जहां चाहें पढ़ाएं। उन्होंने कहा कि कई महापुरुष ( great man ) मदरसों से पढ़कर निकले हैं।