40 लाख गायों को सड़कों से हटाने का मिशन, मोहन सरकार गोशाला के लिए देगी 125 एकड़ जमीन

मध्यप्रदेश में सड़कों पर घूम रही गायों के कारण सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार ने कामधेनु नीति लागू की है। इसमें हर जिले में स्वावलंबी गोशालाएं बनाई जाएंगी।

author-image
Dablu Kumar
New Update
mp cow road out
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

मध्यप्रदेश के हाईवे पर गायों के कारण बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं का मुद्दा एक गंभीर समस्या बन गया है। यह समस्या न केवल हाईवे पर चलने वाले ड्राइवरों के लिए खतरनाक साबित हो रही है, बल्कि सड़कों पर घूम रहे इन गायों के कारण कई बार जानमाल की हानि भी हो चुकी है। मसलन, राजगढ़ में हुई घटना में तेज रफ्तार गाड़ियों ने गायों को कुचल दिया था और इसके बाद विरोध प्रदर्शन भी हुए थे। इसके अलावा छतरपुर जैसे इलाकों में भी गायों के कारण दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें एक की मौत हो गई।

सड़कों पर घूम रहे गायों के कारण स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। आंकड़ों के अनुसार, मध्यप्रदेश में लगभग 40 लाख गायें सड़क पर घूम रही हैं। इनमें निराश्रित और दुधारू गायें दोनों शामिल हैं। इन गायों के कारण दुर्घटनाओं की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, जिसके बाद सरकार ने समाधान के रूप में एक नई पॉलिसी पेश की है। इसे कामधेनु स्कीम का नाम दिया गया है।

सड़क पर घूमने वाले गायों से निपटने का नया तरीका

कामधेनु निवास योजना के तहत सरकार हर जिले में स्वावलंबी गोशालाएं बनाएगी। इस नीति का उद्देश्य सड़कों पर घूम रहे गायों को सुरक्षित स्थान पर रखना है, ताकि दुर्घटनाओं की संख्या को कम किया जा सके। इस योजना के तहत, हर गोशाला में 5000 गायों को रखने का प्रावधान किया गया है और इसमें 30% गायें उन्नत दुधारू नस्ल की होंगी।

कामधेनु स्कीम के बारे में 

गोशाला में गायों की संख्या: एक गोशाला में 5000 गायों को रखना अनिवार्य होगा।

जमीन की उपलब्धता: गोशालाओं के संचालन के लिए 125 एकड़ सरकारी जमीन दी जाएगी।

निर्माण कार्य: गोपालक संस्था को गोशाला के निर्माण के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

वित्तीय प्रावधान: प्रति गाय 40 रुपए की दर से प्रतिदिन अनुदान दिया जाएगा।

सड़कों पर घूम रही गायों वाली खबर पर एक नजर 

  • सड़क दुर्घटनाओं का कारण: मध्यप्रदेश में सड़कों पर घूम रही गायों के कारण सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि हो रही है, जिसमें कई बार जानमाल की हानि हो चुकी है।

  • कामधेनु स्कीम की शुरुआत: गायों के सड़कों पर घूमने की समस्या को सुलझाने के लिए सरकार ने "कामधेनु स्कीम" पेश की, जिसके तहत हर जिले में स्वावलंबी गोशालाएं बनाई जाएंगी।

  • गोशालाओं का निर्माण: योजना के तहत हर गोशाला में 5000 गायों को रखने का प्रावधान है और 30% गायें दुधारू नस्ल की होंगी। इसके लिए 125 एकड़ सरकारी जमीन उपलब्ध कराई जाएगी।

  • फायदा: इस योजना से गायों की देखभाल सुनिश्चित होगी और सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी, जिससे दोनों मानव जीवन और गोवंश की रक्षा होगी।

  • पशुपालन और वित्तीय प्रावधान: सरकार ने प्रति गाय 40 रुपए प्रतिदिन की दर से अनुदान दिया है और योजना के सफल संचालन के लिए आवश्यक संसाधन और वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई है।

हर जिले में बनाई जाएंगी आधुनिक गोशालाएं

8 अप्रैल 2025 को मध्यप्रदेश सरकार ने स्वावलंबी गोशालाओं की नीति को कैबिनेट में मंजूरी दे दी है। इसे कामधेनु निवास नाम दिया गया है। इस नीति के तहत राज्य के हर जिले में आधुनिक गोशालाएं बनाई जाएंगी। जहां निराश्रित गोवंश की संख्या अधिक होगी, वहां एक से ज्यादा गोशालाओं का निर्माण भी किया जा सकता है।

नई नीति के अनुसार, एक गोशाला में 5000 गायों को रखने की अनिवार्यता होगी। इसमें से 30 प्रतिशत गायें या गोवंश उन्नत दुधारू नस्ल के होंगे। इसके अलावा विदेशी नस्ल की गायें या भैंसें गोशालाओं में रखने की अनुमति नहीं होगी। नीति में केवल भारतीय नस्ल की गायों को ही रखने की अनुमति दी गई है, जिनमें 30 प्रतिशत दुधारू नस्ल हो सकती है।

125 एकड़ सरकारी जमीन प्रदान करेगी सरकार

गोशालाओं के संचालन के लिए सरकार 125 एकड़ सरकारी जमीन प्रदान करेगी। यह जमीन यूजर राइट (उपयोग के अधिकार) के आधार पर दी जाएगी। यदि एक गोशाला में 1000 और गोवंश की संख्या बढ़ती है, तो इसके लिए अतिरिक्त 25 एकड़ जमीन दी जाएगी। इसके अलावा व्यवसायिक गतिविधियों के लिए 5 एकड़ अतिरिक्त जमीन भी दी जा सकती है।

पशुपालन और डेयरी विभाग मध्यप्रदेश में गोशालाओं के लिए लैंड बैंक तैयार कर रहा है। इस लैंड बैंक के तहत, 125 एकड़ सरकारी जमीन दी जाएगी। इसे गोशाला के संचालन के लिए उपयोग किया जाएगा। यह जमीन विभाग के स्वामित्व में रहेगी और इसका उपयोग करने के लिए मध्यप्रदेश गो संवर्धन बोर्ड और गोपालक संस्था के बीच एक अनुबंध होगा। यह जमीन अपनी मौजूदा स्थिति में दी जाएगी, यानी जैसी होगी वैसी ही दी जाएगी।

125 एकड़ जमीन पर इस तरह से संचालित होगी गौशाला

20 एकड़: गौशाला, अस्पताल, कर्मचारियों के रहने के लिए आवास।

2.5 एकड़: चरनोई की जमीन।

102.5 एकड़: बायोगैस प्लांट और चारे के लिए घास उगाई जाएगी।

ये भी पढ़िए...MP News: च्यवनप्राश के वजन में हेरफेर करना डाबर को पड़ा भारी! उपभोक्ता फोरम ने लगाया 50 हजार का जुर्माना

जमीन का उपयोग करने का मिलेगा अधिकार 

गोशाला के निर्माण और विकास का कार्य गोपालक संस्था को करना होगा। इसमें फेंसिंग, जलप्रबंधन, बिजली व्यवस्था और गोशाला तक पहुंचने वाली सड़क का निर्माण शामिल होगा। इसके लिए सरकार कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करेगी। यदि गोपालक संस्था प्रोजेक्ट की शुरुआत के बाद किसी अन्य निवेशक के साथ कोई नया कार्य शुरू करना चाहती है, तो उसे पशुपालन विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।

गोशाला का संचालन करने के लिए कोई भी रजिस्टर्ड संस्था जैसे कि फर्म, ट्रस्ट, सोसाइटी, कंपनी या उनके समूह इस योजना में भाग ले सकते हैं। अधिकतम 5 संस्थाओं के समूह को ही मान्यता दी जाएगी, इससे ज्यादा संख्या वाले समूह को अयोग्य माना जाएगा। संस्था को पहले 20 साल तक जमीन का उपयोग करने का अधिकार मिलेगा, जिसके बाद एग्रीमेंट को हर बार 5 साल के लिए बढ़ाया जाएगा।

ये भी पढ़िए... एमपी के बाद अब छत्तीसगढ़ पीसीसी चीफ के घर संदिग्ध की घुसपैठ, कांग्रेस ने लगाया रैकी का आरोप

कामधेनु स्कीम से क्या फायदा

यह नीति सड़कों पर घूमने वाली गायों के रखरखाव के लिए एक दीर्घकालिक समाधान प्रस्तुत करती है। गोशालाओं के निर्माण से न केवल गायों की देखभाल होगी, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी। यह मोहन सरकार का बड़ा फैसला माना जा रहा है। 

राज्य में गायों की बढ़ती संख्या

2019 की पशु संगणना के अनुसार, मध्यप्रदेश में गोवंश की कुल संख्या 1.87 करोड़ है। इसमें निराश्रित गोवंश की संख्या 8.54 लाख है। इस समस्या को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने 3245 गौशालाओं का निर्माण किया है। इसमें से 1794 गोशालाएं बनी हैं और 1563 गोशालाएं संचालित हो रही हैं।

सड़क पर घूमती इन गायों के कारण हर साल हजारों दुर्घटनाएं होती हैं। इसमें न केवल गायों की मौत होती है, बल्कि कई बार इंसान की जान भी जाती है।

ये भी पढ़िए...संभागायुक्त कार्यालय में आगजनी: उसने कमिश्नर दफ्तर पर पेट्रोल नहीं, सिस्टम के खिलाफ आक्रोश उड़ेला

आंकड़ों पर एक नजर 

2019 की पशु संगणना के मुताबिक गोवंश की संख्या: 1.87 करोड़

निराश्रित गोवंश की संख्या: 8.54 लाख

स्वीकृत गौशालाएं: 3245

निर्मित गौशालाएं: 1794

संचालित गौशालाएं: 1563

एक गाय पर प्रतिदिन अनुदान: 40 रुपए

सरकार की नीतियों क्या मतलब

सरकार ने इस मुद्दे से निपटने के लिए स्वावलंबी गोशालाएं बनाने का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत, हर जिले में कम से कम एक गोशाला बनेगी और अधिक संख्या वाले जिलों में एक से अधिक गोशालाएं भी बनाई जा सकती हैं। इस योजना के लागू होने से गायों की संख्या नियंत्रित होने की उम्मीद है।

पशुपालक संस्था पॉलिसी के तहत, गो पालन के अलावा नस्ल सुधार, पंचगव्य (गोबर, गोमूत्र, दूध, दही और घी), मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट, खेती, चारा विकास, उद्यानिकी, ऊर्जा, जैविक खाद, आयुष और पर्यटन जैसी गतिविधियों का संचालन भी किया जा सकता है। इन परियोजनाओं के संचालन के लिए अधिकतम 5 एकड़ जमीन को भी एग्रीमेंट में शामिल किया जा सकता है।

ये भी पढ़िए...लोक गायिका ने दिया सीएम मोहन यादव को 'जीजाजी' का सम्मान, नया टाइटल छाया सोशल मीडिया पर

70% निराश्रित गाय रखने की अनुमति

नीति के अनुसार, संस्थाओं को गोवंश की कुल संख्या में से 70% निराश्रित और 30% दुधारू गायें रखने की अनुमति दी जाएगी। यदि संस्थाएं निर्धारित संख्या से कम गायें रखती हैं या निराश्रित गोवंश को लेने से इनकार करती हैं, तो उन्हें जुर्माना भरना पड़ेगा। प्रति गाय की कमी के लिए 75 रुपए प्रतिदिन की दर से पेनल्टी वसूली जाएगी।

गौवंश के मुद्दे पर सरकार की कोशिशें

मध्यप्रदेश में सड़कों पर रहने वाले गायों की समस्या बढ़ती जा रही है और इसके समाधान के लिए सरकार ने कामधेनु नीति को लागू किया है। इस नीति के तहत गोशालाओं का निर्माण और उनका संचालन होगा, जो न केवल गायों के लिए सुरक्षित स्थान प्रदान करेगा, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं को भी कम करेगा। इसके अलावा सरकार ने इस योजना के लिए आवश्यक संसाधन और वित्तीय प्रावधान भी किए हैं, ताकि यह नीति सफल हो सके और गायों की समस्या को प्रभावी तरीके से हल किया जा सके। 

गाय MP News मध्यप्रदेश गोशाला मोहन सरकार मोहन सरकार का बड़ा फैसला कामधेनु स्कीम
Advertisment