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युवाओं में नशे की समस्या बढ़ती जा रही है। वहीं समाज की इस गंभीर समस्या को देखते हुए, मध्य प्रदेश के डीजीपी कैलाश मकवाना ने मंगलवार को 'नशे से दूरी, है जरूरी' अभियान का शुभारंभ किया। इस अभियान का उद्देश्य छात्रों को नशे से बचाना है। इसके तहत, विशेष रूप से स्कूल और कॉलेज के हॉस्टल्स में नशामुक्ति समितियों का गठन किया जाएगा।
15 से 30 जुलाई तक चलेगा अभियान
डीजीपी कैलाश मकवाणा ने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत विभिन्न सरकारी विभाग, एनजीओ, और धार्मिक संस्थान सक्रियता से काम कर रहे हैं। इनकी मदद से यह अभियान 15 जुलाई से 30 जुलाई तक पूरे मध्य प्रदेश में चलाया जाएगा।
हॉस्टल्स में नशामुक्ति समितियों का होगा गठन
डीजीपी मकवाणा ने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि स्कूल और कॉलेजों के हॉस्टल्स में छात्र धीरे-धीरे नशे की तरफ आकर्षित होते हैं। यह नशे की आदत उनके शैक्षिक प्रदर्शन और मानसिक स्थिति को प्रभावित करती है। इसीलिए नशामुक्ति समितियों का गठन किया जाएगा, ताकि छात्रों को नशे से बचाया जा सके।
हॉस्टल्स में बनेंगी नशामुक्ति कमेटी....
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नशे से संबंधित हेल्पलाइन सेवाएं
इस अभियान के तहत, नशे की लत छुड़वाने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1933 और 14446 पर कॉल किया जा सकता है। ये हेल्पलाइन नंबर नशे से संबंधित परामर्श और सहायता देने के लिए उपलब्ध हैं। इसके अलावा, नशे के बारे में जानकारी लेने और शिकायतें करने के लिए वेबसाइट https://ncbmanas.gov.in पर भी सहायता प्राप्त की जा सकती है।
नशे की लत के लक्षण
नशे की लत को समय रहते पहचानना बहुत जरूरी है। नशे की लत के कुछ सामान्य लक्षण होते हैं जिनके आधार पर आप पहचान सकते हैं कि कोई छात्र नशे का शिकार है या नहीं। ये लक्षण निम्नलिखित हैं-
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खराब शैक्षणिक प्रदर्शन (Poor Academic Performance): यदि किसी छात्र का शैक्षणिक प्रदर्शन अचानक गिरने लगे, तो यह एक संकेत हो सकता है कि वह नशे की लत में फंस चुका है।
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तेजी से शरीर का वजन कम होना (Rapid Weight Loss): नशे की लत शरीर पर बुरा असर डालती है और इससे वजन में तेजी से कमी आ सकती है।
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भूख न लगना (Loss of Appetite): नशे की आदत से अक्सर भूख में कमी हो जाती है, जिससे शरीर कमजोर हो सकता है।
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सांसों में दुर्गंध आना (Bad Breath): नशे की लत से सांसों में दुर्गंध भी आ सकती है, जो इसके प्रभावों का एक संकेत है।
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आर्थिक असंतुलन (Financial Imbalance): नशे के लिए पैसे की जरूरत बढ़ जाती है, जिससे छात्र का आर्थिक संतुलन बिगड़ सकता है।
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दोस्तों और परिवार से दूर रहना (Avoiding Family and Friends): नशे की लत से छात्र अक्सर अपने परिवार और दोस्तों से दूरी बना लेते हैं।
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बाहरी सामाजिक गतिविधियों में भाग न लेना (Isolating from Social Activities): नशे की आदत वाले छात्र समाजिक गतिविधियों से कतराते हैं और ज्यादातर अकेले रहते हैं।
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हर वक्त नींद आना (Excessive Sleepiness): नशे के प्रभाव से छात्रों में अक्सर अत्यधिक नींद आने की समस्या हो सकती है।
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चिड़चिड़ापन और गुस्सा (Irritability and Anger): नशे की लत से मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ता है और छात्र चिड़चिड़े हो सकते हैं।
जानें क्यों जरूरी है जागरूकता अभियान
नशे की लत से बचने के लिए जागरूकता अभियान चलाना बहुत जरूरी है। इस अभियान के तहत न केवल छात्रों को नशे से होने वाले खतरों के बारे में बताया जाएगा, बल्कि उन्हें नशे से बचने के उपाय भी दिए जाएंगे। इसके लिए विभिन्न विभागों, एनजीओ, और धार्मिक संस्थाओं के साथ पुलिस भी सक्रिय रूप से काम कर रही है।
कुल मिलाकर, यह अभियान राज्य में युवाओं को नशे से दूर रखने और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
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