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रामानंद तिवारी @ भोपाल
स्कूल शिक्षा विभाग को शिक्षकों, प्रिंसिपलों और हेड-मास्टरों से ई-अटेंडेंस लगवाने में पसीना आ रहा है। दूसरी ओर शासन के निर्देशों में लापरवाही बरतने वाले ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसरों की वजह से सरकार की फजीहत हो चुकी है। क्योंकि, कई जिलों में पदस्थ बीईओ की ओर से स्टाफ की पूरी जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं करवाई गई। जिससे ट्रांसफरो के मामले में विभाग को मुंह की खानी पड़ी थी।
पोर्टल में सभी कंपोनेंट शुरू होने में लगेगा समय
शिक्षा विभाग के पोर्टल के सभी कंपोनेंट चालू होने में तकरीबन 1 साल से ज्यादा का समय लगेगा। पूर्व में एनआईसी उक्त पोर्टल को चलाता था। जब एनआईसी ने हाथ खड़े कर दिए उसके बाद उक्त पोर्टल की कमान शिक्षा विभाग ने संभाली। जो कि अभी तक लड़खड़ा रही है।
आनन-फानन में शुरू कर दी ई-अटेंडेंस
शासन की मंशा अनुसार लोक शिक्षण संचालनालय कार्यालय ने आधे-अधूरे पोर्टल पर जुलाई शुरू होने से पूर्व 20 जून को ई-अटेडेंस लगवाए जाने का आदेश सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी कर दिए। जब कि शिक्षा विभाग द्वारा तैयार करवाए जाने वाले पोर्टल में बहुत खामिया है।
मध्य प्रदेश सरकार के विभाग के उक्त पोर्टल में शिक्षा विभाग के शिक्षक और सभी अधिकारी के अलावा कर्मचारियों की नौकरी से संबंधित कुंडली दर्ज होगी। प्रमुख सचिव के निर्देश पर निरंतर खामिया दूर करवाई जा रही है। ऐसी स्थिति में विभाग चाहकर भी शिक्षकों, प्रिंसिपल एवं प्रधान अध्यापकों से अपने ई-अटेडेंस वाले निर्देशो का पालन पूरी तरह करवाने में असमर्थ नजर आ रहा है।
ट्रांसफर के मामलों में भी हो चुकी किरकिरी
स्कूल शिक्षा विभाग में ट्रांसफरों के मामले में बवाल कटा था। उक्त बवाल के पापड़ विभाग अब भी ट्रांसफरों में संशोधन कर बेल रहा है। विभाग के निर्देशो को जिलों में पदस्थ ब्लॉक एजूकेशन ऑफिसरों ने गंभीरता से ना लेते हुए अपने स्टाफ के कहने पर अपनी ओके रिपोर्ट डीपीआई को भेज दी। ऐसा एक नहीं ज्यादातर जिलों में हुआ। क्योंकि जिम्मेदार अफसरों ने पोर्टल पर स्टाफ की संपूर्ण जानकारी ही अपलोड नहीं की। जिस वजह से वहां पर रिक्त पद दिखे और उक्त रिक्त पदों पर शासन ने तबादला आदेश जारी कर दिए गए।
ज्यादातर जिलों में रिक्त पद दिखने की वजह से 4 से 6 ट्रांसफर कर दिए गए और जहां रिक्त पद नहीं दिखे उस जगह शिक्षक पदस्थ नहीं हो सके। विभाग की यह चूक विभाग एवं शिकार हुए शिक्षको की गले की फांस बनी हुई है। सरकार द्वारा ट्रांसफर बैन किए जाने के बावजूद विभाग के जिम्मेदार अफसर संशोधन एवं उक्त मलाईदार कार्य में तत्परता से जुटे हुए है।
अधिकारी कर रहे डीपीआई के निर्देशों की अनदेखी
लोक शिक्षण संचालनालय ने दो माह पूर्व एक पत्र जारी कर जिलों के जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देशित किया था कि सभी शिक्षकों से ई-अटेडेंस लगवाई जाए। लेकिन शिक्षकों ने डीपीआई के निर्देशो को दरकिनार किया। उक्त पत्र के दो माह बाद 22 अगस्त को जारी किए गए अपने पत्र में डीपीआई ने यह बात स्वीकार की है कि शिक्षक उनके द्वारा जारी किए गए निर्देशो के आधार पर ई-अटेडेंस नही लगा रहे है। इससे क्लियर है कि डीपीआई के निर्देशो का जिलों में पदस्थ जिम्मेदार अफसर मखौल उड़ा रहे हैं। डीपीआई में पदस्थ वेबस अफसर मूकदर्शक की भूमिका में है। डीपीआई के जिम्मेदार अफसर आदेश की अनदेखी करने वाले शिक्षकों को महज पत्र के माध्यम से अल्टीमेटम देकर रस्मअदायगी कर रहे हैं।
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ई-अटेडेंस सिस्टम हुआ बेहाल
मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग के ई-अटेडेंस सिस्टम को ग्रहण लगता नजर आ रहा है। कुल स्टॉफ 2 लाख 60 हजार 489 में से 22 अगस्त को कुल 1लाख 73 हजार 164 यूजर्स ने लॉगिन किया। उनमें से 88 हजार 343 ने ही ई-अटेडेंस लगाई। लगभग एक माह में डीपीआई के डंडे के बावजूद मजह 8 हजार के लगभग इजाफा हो सका है। वहीं, कुल गेस्ट फैकल्टी 77 हजार 315 है। उनमें से 59 हजार 300 ने ई- अटेडेंस लगाई। रेग्यूलर स्टॉफ और गैस्ट फैकल्टी को मिलाकर कुल 1 लाख 47 हजार 647 ने ई-अटेडेंस लगाई। हालांकि लास्ट सात दिनों में यह आंकडा 1लाख 22 हजार 779 रहा।
यदि इस रफ्तार से ई-अटेडेंस की प्रोग्रेस होगी तो स्वतः ही विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठेंगे।
जिम्मेदार ही नही लगा रहे ई-अटेडेंस
दरअसल, जिन जिलों में पदस्थ अधिकारियों को शिक्षकों से ई-अटेडेंस लगवाए जाने की जिम्मेदारी पूर्ण करवाना थी। जब ऐसे अफसर ही ई-अटेडेंस नही लगा रहे तो ऐसी स्थिति में शिक्षकों से कैसे पालन करवा सकेंगे।
मतदाता सूची के कार्य के नाम पर गायब शिक्षक
सूत्रों के अनुसार, मध्यप्रदेश के जिलों से जिला शिक्षा अधिकारियों ने जो रिपोर्ट भेजी है। उसने लोक शिक्षण संचालनालय को हैरान कर दिया है। करीब 20 हजार ऐसे शिक्षक हैं जो मतदाता सूची के कार्य में उलझे हुए हैं। यह ऐसे शिक्षक हैं। जो सालों से स्कूलों से गायब हैं। जो शिक्षक बीएलओ का कार्य कर रहे हैं, उस मामले में लोक शिक्षण संचालनालय ने कार्यवाही शुरू कर दी है । अफसरों के अनुसार, नियम यही है कि पहले शिक्षक स्कूल में पढ़ाएगा। उसके बाद वह मतदाता सूची का कार्य करेगा। जिला शिक्षा अधिकारियों ने जो रिपोर्ट दी है। उसके अनुसार ज्यादातर शिक्षक कई सालों से स्कूल पहुंच ही नहीं रहे। कलेक्टर, एसडीएम, जिपं जनपद सीईओ और तहसील कार्यालयों में ही यह काम कर रहे हैं। जबकि इनका स्कूलों से वेतन यथावत आहरण हो रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क और बिजली की समस्या
गौरतलब है कि, एमपी स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा शुरु की गई ई.अटेंडेंस को लेकर शिक्षकों की मनमानी सामने आई है। शिक्षा विभाग की ई-अटेंडेंस व्यवस्था, जिसे हमारे शिक्षक ऐप के माध्यम से लागू किया गया है। शिक्षकों के बीच असंतोष और विरोध का कारण बनी हुई है। कई शिक्षक इस प्रणाली को अव्यावहारिक और तकनीकी रूप से त्रुटिपूर्ण बता रहे हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां नेटवर्क और बिजली की समस्या है। इसका परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि एक महीने के दौरान प्रदेश के आधे शिक्षकों ने भी पोर्टल पर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है।
इनका कहना है
ई-अटेडेंस से संबंधित कुछ जानकारी से संबंधित जब जिम्मेदार असिस्टेंट डायरेक्टर नीरज सक्सेना से बात की तो उन्होंने पोर्टल का हाल ही में चार्ज मिलने का हवाला दिया। बिना देखे कुछ नही बता सकूंगा। ई-अटेडेंस से संबंधित जब मेरे द्वारा उन्हें चार्ट व्हाट्स एप किया गया। उसके बाद मोबाईल लगाने पर उन्होंने नही उठाया। इनके अलावा अपर संचालक को भी मोबाइल लगाया लेकिन बात नहीं हो सकी।
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