IT के फर्जी रिफंड क्लेम का बड़ा खिलाड़ी देवास का सीए नीरज जैन, इसी से खुली पूरी लिंक, लड्डा, जैन और मंत्री सब शामिल

IT के फर्जी रिफंड मामले में सीए नीरज जैन, लड्डा और नेताओं की मिलीभगत उजागर हुई है। आयकर विभाग ने देशभर में छापेमारी की, जिसमें 1045 करोड़ के झूठे दावे सामने आए।

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Sanjay Gupta
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आयकर विभाग के जरिए फर्जी रिफंड मामले में की जा रही देशव्यापी कार्रवाई में इंदौर और देवास के सीए का बड़ा गठजोड़ उजागर हुआ है। इन सीए ने छोटे-मोटे नहीं करोड़ों के फर्जी रिफंड दिलाए हैं। साथ ही इसके लिए करदाता से जमकर कमीशनखोरी की है। पूरा मामला देवास के चर्चित सीए नीरज जैन से ही खुला है। इसके बाद इसमें अब कई नाम सामने आए हैं।

5 महीने पहले देवास के सीए जैन से खुली फाइल

फर्जी रिफंड की फाइल खुलने की बात भी इंदौर, उज्जैन इंकमटैक्स रीजन से ही खुली। इस रीजन में इंकमटैक्स अधिकारियों के संज्ञान में मामला आया कि यहां पर टैक्स जमा के अनुपात में टैक्स रिफंड तेजी से बढ़ा है। खासकर टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) भरने में भारी फर्जीवाड़ा हो रहा है।

इसके जरिए बड़ा वेतन पाने वाले और कमाई करने वाले रिफंड ले रहे हैं। इसमें जब जानकारी जुटाई गई तो सीए नीरज जैन जो देवास में काम करते हैं और उज्जैन सीए ब्रांच में रजिस्टर्ड हैं। उनके एक ही आईपी एड्रेस से कई ईमेल के जरिए टैक्स रिटर्न भरने और रिफंड क्लेम करने की जानकारी सामने आई।

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नेताओं के साथ फोटो खिंचवाने का शौकीन जैन

जैन को अपना शोऑफ करने का भारी शौक है। वह नेताओं, मंत्रियों के साथ घुसकर फोटो खिंचवाकर इसे सोशल मीडिया पर दिखाता है कि उसके बड़े स्तर पर संबंध हैं। उसकी फोटो केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल से लेकर मप्र के कई नेताओं के साथ है।

IT के फर्जी रिफंड क्लेम को एक नजर में समझें...

  • फर्जी रिफंड मामले का खुलासा: देवास के सीए नीरज जैन के खिलाफ आयकर विभाग ने देशव्यापी कार्रवाई की, जिसमें करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी और फर्जी रिफंड की जानकारी मिली।

  • राजनीतिक संबंधों का शौक: सीए नीरज जैन अपने संबंधों को दिखाने के लिए नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के साथ तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करते थे।

  • कमीशनखोरी का खुलासा: जांच में सीए, कर सलाहकार और दलालों के गठजोड़ से बड़े टैक्स रिफंड का दावा किया गया, जिसमें गलत दस्तावेज, फर्जी रसीदें और कटौतियों का उपयोग किया गया।

  • देशव्यापी छापेमारी: आयकर विभाग ने देशभर में 150 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की और 1045 करोड़ रुपए के फर्जी रिफंड मामले का पर्दाफाश किया।

  • नए रैकेट का खुलासा: जांच से यह भी सामने आया कि फर्जी कटौतियों और झूठे टीडीएस रिटर्न के जरिए उच्च रिफंड का दावा करने वाले संगठित रैकेट सक्रिय थे।

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जैन के यहां हुआ छापा तो कई और लिंक मिल गई

इसके बाद आयकर विभाग ने एक फरवरी 2025 को जैन के यहां छापा मारा था। इसके साथ ही कर सलाहकार रफीक शेख और इंदौर के दिनेश पंवार के यहां भी जांच हुई थी। आयकर विभाग ने तब इंदौर, देवास और राजगढ़ में सीए, कर सलाहकारों पर छापे मारकर जांच की। इसमें रिफंड के जरिए करीब 15 करोड़ की टैक्स चोरी सामने आई।

एक सीए के यहां से ही 1300 से ज्यादा फर्जी रिटर्न केस सामने आए। सीए नीरज जैन के यहां से ही भरे गए रिटर्न से पांच करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी सामने आई थी। इसमें पाया गया कि एक ही आईपी एड्रेस से कई फर्जी ईमेल बनाकर यह रिटर्न दाखिल हुए और फर्जी रिफंड दिलवाए गए। इसी छापे में कई और के नाम सामने आए।

जांच में लिंक मिलने के बाद फिर देशव्यापी छापे

सीए नीरज जैन के यहां लिंक मिलने के बाद देश भर में आयकर विभाग इसके लिए अलर्ट हुआ और फिर रिटर्न की स्क्रूटनी की गई। इसमें एआई और खुफिया जानकारी का उपयोग किया गया। इसके बाद फिर देश भर में 150 ठिकानों पर छापे मारे गए।

छापे में इंदौर, रतलाम के ये लोग धराए

आईटी के जरिए फर्जी रिफंड मामले में की गई छापामार कार्रवाई में इंदौर के सीए शुभम लड्डा के यहां जांच हुई है। इसमें उनके सहयोगी निखिल मंत्री व अन्य से भी पूछताछ हुई। वहीं एरोड्रम एरिया में रहने वाले कर सलाहकार प्रकाश जैन के यहां भी टीम पहुंची थी और जांच की गई। रतलाम में कर सलाहकार सुरेश गुप्ता के भी यहां जांच हुई है। उज्जैन में एजेंट सत्येंद्र टूटेजा और संजय चौधरी के यहां भी कार्रवाई हुई।

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लड्डा ने 4 करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी करवाई

आयकर जांच में आया है कि सीए, कर सलाहकार और मध्यस्थों के गठबंधन ने फर्जी रसीद, राजनीतिक चंदे, मेडिकल के फर्जी बिल, ट्यूशन फीस आदि की रसीदें बताकर करदाता को टैक्स रिफंड दिलवाया। साथ ही इसके बदले में जमकर कमीशनखोरी की है। लड्डा के ठिकानों पर जांच में करीब चार से पांच करोड़ की फर्जी इंकमटैक्स छूट, रिफंड का मामला सामने आया है। उनके जरिए कई बड़े वेतन वाले कर्मचारियों के रिटर्न भरे जा रहे थे। रतलाम के सुरेश गुप्ता के यहां भी कैश, ज्वैलरी मिली है।

6 राज्यों में 150 जगह छापे

6 राज्यों में 150 से ज्यादा ठिकानों पर टीम पहुंची है। यहां फर्जी तरीके से आयकर विभाग से रिफंड लेने का मामला है। इसमें दलाल के साथ ही सीए, कंसलटेंट सहित करदाताओं का भी गठजोड़ है। जांच से कुछ आईटीआर तैयार करने वालों और बिचौलियों के जरिए संचालित संगठित रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जो फर्जी कटौतियों और छूटों का दावा करते हुए रिटर्न दाखिल कर रहे थे। अधिक रिफंड के लिए झूठे टीडीएस रिटर्न तक दाखिल हो रहे हैं।

एआई, खुफिया जानकारी से बनाई लिस्ट

आयकर विभाग लंबे समय से इनकी जांच कर रहा था जो अपने रिटर्न में गलत जानकारी देकर आईटी एक्ट के तहत मिलने वाली छूट का बेजा फायदा उठाकर इंकमटैक्स रिफंड ले रहे हैं। इसके लिए आईटी ने खुफिया जानकारी जुटाने के साथ ही एआई का यूज करते हुए करदाताओं की स्क्रूटनी की और पूरी जानकारी जुटाई। इसके बाद महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और मध्य प्रदेश में हाल ही में की गई तलाशी और जब्ती की कार्रवाइयों से इन निष्कर्षों की पुष्टि होती है, जहां विभिन्न समूहों और संस्थाओं के जरिए धोखाधड़ी वाले दावों के सबूत पाए गए।

कंपनियों के साथ उद्योगपति, सार्वजनिक उपक्रम सभी शामिल

आयकर विभाग को सभी जानकारियों के एनालिस से पता चला कि धारा 10(13A), 80GGC, 80E, 80D, 80EE, 80EEB, 80G, 80GGA, और 80DDB के तहत कटौतियों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है। बिना किसी ठोस कारण के छूट का दावा किया गया है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों, सार्वजनिक उपक्रमों, सरकारी निकायों, शैक्षणिक संस्थानों और उद्यमियों के कर्मचारी भी इसमें शामिल हैं।

कमीशन का लालच देकर हुआ काम

आईटी को पता चला कि करदाताओं को अक्सर कमीशन के बदले में बढ़े हुए रिफंड का वादा करके इन धोखाधड़ी वाली योजनाओं में फंसाया जाता है। देखा गया है कि ऐसे आईटीआर तैयार करने वाले अक्सर केवल बल्क रिटर्न दाखिल करने के लिए अस्थायी ईमेल आईडी बनाते हैं। इन्हें बाद में छोड़ दिया जाता है, इसमें बाद में आयकर के नोटिस भी नहीं देखे जाते।

आयकर कार्रवाई में बिचौलिए भी शामिल

आयकर विभाग ने सोमवार को देश भर में कई स्थानों पर बड़े पैमाने पर सत्यापन अभियान शुरू किया। इसका उद्देश्य आयकर रिटर्न (आईटीआर) में कटौती और छूट के फर्जी दावे करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को लक्षित करना था। यह कार्रवाई आयकर अधिनियम, 1961 के तहत कर लाभों के दुरुपयोग, जो अक्सर पेशेवर बिचौलियों की मिलीभगत से होता है।

जांच से कुछ आईटीआर तैयार करने वालों और बिचौलियों के जरिए संचालित संगठित रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जो फर्जी कटौतियों और छूटों का दावा करते हुए रिटर्न दाखिल कर रहे थे। कुछ लोग अत्यधिक रिफंड का दावा करने के लिए झूठे टीडीएस रिटर्न भी जमा करते हैं।

चार महीने में ही 1045 करोड़ के फर्जी रिफंड चिन्हित

आयकर विभाग के जरिए लगातार यह मुहिम चलाई जा रही थी। इसके तहत, पिछले चार महीनों में लगभग 40 हजार करदाताओं ने अपने रिटर्न अपडेट किए हैं। साथ ही स्वेच्छा से 1045 करोड़ रुपए के झूठे दावे वापस लिए हैं। इसके बाद भी कई ने यह रिटर्न वापस नहीं लिए हैं।

इसके बाद यह देशव्यापी छापामारी की गई। फिलहाल आगे की जांच चल रही है। सीबीडीटी के आधिकारिक प्रवक्ता आयकर आयुक्त (मीडिया व तकनीकी नीति) वी. रजिता के जरिए यह जानकारी जारी की गई है।

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