रिजल्ट कम, बना नया मटेरियल, लेकिन टीचर्स ही नहीं, MP सरकार ने माना

मोहन सरकार स्कूल शिक्षा विभाग के बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट को लेकर चिंता में है। इसकी वजह छात्र सबसे ज्यादा गणित, विज्ञान, अंग्रेजी जैसे विषय में फेल हो रहे हैं। अब इसे लेकर स्कूल शिक्षा विभाग ने अंग्रेजी के लिए मटेरियल बनाया है।

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Sanjay gupta
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मप्र सरकार स्कूल शिक्षा विभाग के बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट को लेकर अभी से चिंता में हैं। साल 2023-24 में दसवीं और 12वीं का रिजल्ट कोई खास अच्छा नहीं था। गणित, विज्ञान, अंग्रेजी जैसे विषय में फेल होने का प्रतिशत सबसे ज्यादा है। इसे लेकर अब स्कूल शिक्षा विभाग ने अंग्रेजी के लिए मटेरियल बनाया है और इसे जारी किया है। लेकिन इसके इंट्रोडक्शन में ही ऐसा कुछ लिखा जो वेटिंग शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।

मटेरियल में क्या लिखा है?

इसमें लिखा है कि मप्र के हाईस्कूल, हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों का अंग्रेजी विषय का परीक्षा परिणाम अपेक्षाकृत कम रहता है। यह देखा गया है कि यह विषय उन्हें कठिन और अरुचिकर लगता है, जिसका संकेत परीक्षा परिणाम में भी दिखता है। इसलिए यह माड्यूल को बनाया गया है। 

इस माड्यूल से पढ़ाने की बात

इसमें लिखा गया है कि जो डी व ई ग्रेड के बच्चे हैं उनकी अलग क्लास बनाई जाए और उन पर अलग से ध्यान देकर इसकी तैयारी कराई जाए। जिससे बच्चों को यह सरल भाषा में समझ आए और वह रुचिकर भी लगे इसलिए इसमें इस तरह से सामग्री ली गई है।

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बड़ी बात, छात्रों को पढ़ाएया कौन?

हालांकि, इसमें सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि अंग्रेजी के ही 5 हजार 900 शिक्षकों में से 2 हजार 900 पद रिक्त पड़े हैं। फिर इन बच्चों को पढ़ाएगा कौन। बीते सत्र में डेढ़ लाख बच्चे 12वीं में केवल अंग्रेजी के कारण फेल हुए थे। इसी तरह के हाल गणित और विज्ञान के भी हैं। गणित में भी 3 हजार 700 में से 1 हजार 800 से ज्यादा पद शिक्षकों के रिक्त पड़े हुए हैं। 

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दिसंबर में छहमाही परीक्षा, लेकिन अभी भी भर्ती अटकी

दिसंबर माह में बोर्ड की छह माही परीक्षा होना है। उधर, फरवरी में वार्षिक परीक्षा है, लेकिन अभी तक स्कूलों में शिक्षक भर्ती, च्वाइस फीलिंग जैसे काम जारी है। वेटिंग शिक्षक सत्र की शुरूआत से ही पद बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, ताकि दो चरणों की कठिन परीक्षा पास कर आए योग्य युवाओं को शिक्षक बनाकर सरकार सरकारी स्कूलों में पदस्थ कर सके, लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं है। चयनित में से शिक्षक वर्ग 1 में केवल 2900 की भर्ती हुई है। कई अन्य जगह नौकरी लगने से चयनित काउंसलिंग में ही नहीं आए। उधर, वेटिंग शिक्षकों की लंबी कतार लगी है, जो विषयवार बहुत कम पद निकाले जाने के बाद 85 फीसदी अंक के बाद भी नौकरी से वंचित है। स्कूल में शिक्षकों की तंगी है, जो बच्चों का भविष्य बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

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