ई-अटेंडेंस एप पर अतिथि शिक्षकों के गंभीर आरोप, देसी एप का अमेरिकी कंपनी से कनेक्शन

मध्यप्रदेश के हमारे शिक्षक एप पर अतिथि शिक्षकों के गंभीर आरोप सामने आए हैं। इसमें डाटा लीक और गोपनीयता की समस्याओं की बात की गई है। जानें इसके बारे में पूरी जानकारी...

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Sanjay Gupta
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स्कूल में अतिथि शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य करने के लिए लोक शिक्षण संचालनालय ने हमारे शिक्षक नाम से एप बनाया है। इस एप के जरिए ही इनकी उपस्थिति दर्ज होती है। इस ई-अटेंडेंस का शुरू से ही विरोध कर रहे शिक्षकों ने इस एप को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं और इससे अहम जानकारी लीक होने की बात कही है।

यह एप पेटी कांट्रैक्ट के जरिए बनवाया गया

इस एप को लेकर अतिथि शिक्षकों ने सीएम मोहन यादव को पत्र लिखकर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसमें कहा गया है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने एनआईसी (NIC) को टेंडर दिया था, लेकिन एनआईसी ने खुद काम न करते हुए इसे थर्ड पार्टी अमेरिकी कंपनी median.co को हायर किया। इस कंपनी में काम करने वाले मूल रूप से पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और चीनी नागरिक हैं।

  • हुनैद हसन, जो कंपनी में डायरेक्टर ऑफ इंजीनियरिंग हैं, पाकिस्तान के हैं।
  • वायन ही, जो चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर हैं, वह चीन के हैं।
  • अब्दुल्ला अबुल हुसैन, जो सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हैं, वह बांग्लादेशी हैं।
  • टायलर ली, जो एकाउंट एक्जीक्यूटिव हैं, वह चीन के हैं।
    (जैसा कंपनी की वेबसाइट पर बताया गया है।)

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ई-अटेंडेंस एप के विवाद को एक नजर में समझें...

  • लोक शिक्षण संचालनालय ने स्कूल में अतिथि शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य करने के लिए एक एप हमारे शिक्षक लॉन्च किया। इसमें ई-अटेंडेंस की सुविधा है।

  • अतिथि शिक्षकों ने इस एप को लेकर गंभीर आरोप लगाए। इसमें कहा गया कि यह एप थर्ड पार्टी अमेरिकी कंपनी median.co के जरिए बनाया गया है, जो पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और चीनी नागरिकों द्वारा संचालित है।

  • इस एप के जरिए चार लाख शिक्षकों का व्यक्तिगत और गोपनीय डेटा जैसे चेहरा, समग्र आईडी, खाता नंबर आदि संग्रहित किया जा रहा है।

  • अतिथि शिक्षकों ने आरोप लगाया कि इस एप के माध्यम से उनके डेटा का लीक होने का खतरा है और यह दूसरे देशों की कंपनी के पास जा रहा है।

  • अतिथि शिक्षकों ने सरकार से एप को बंद करने की मांग की, यह कहते हुए कि यह डेटा साइबर क्राइम का शिकार हो सकता है।

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चार लाख का डेटा जा रहा है दूसरों के पास

अतिथि शिक्षकों ने कहा कि इस हमारे शिक्षक एप पर शिक्षकों से कई जानकारियां ली गई हैं। इसमें चेहरा, समग्र आईडी (जो आधार से लिंक है), नाम, माता-पिता का नाम, जन्म तिथि, खाता नंबर जैसी कई निजी जानकारियां ली जा रही हैं। इससे चार लाख शिक्षकों का गोपनीय डेटा दूसरे देश की कंपनी के पास जा रहा है।

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खुद नहीं बना सकते थे तो ऐसी कंपनी को क्यों दिया

अतिथि शिक्षकों ने कहा कि कई निजी और गोपनीय जानकारियां होती हैं जिनका साइबर क्राइम में उपयोग हो सकता है। जब मध्यप्रदेश शासन स्तर पर इस तरह का एप नहीं बनाया जा सकता था तो इस तरह की कंपनी को क्यों काम पर लगाया गया? ऐसे में सभी के डेटा को लेकर खतरा है। इसलिए इस एप को बंद किया जाए।

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