मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने गुना के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO), डॉ. राजकुमार को फटकार लगाई। उन्हें एक अहम आदेश का पालन नहीं करने पर यह फटकार लगी है। दरअसल, यह पूरा मामला एक कर्मचारी के प्रमोशन से जुड़ा था, जिसमें डॉ. राजकुमार ने उच्च न्यायालय द्वारा मांगी गई जानकारी को सही तरीके से पेश नहीं किया।
सीएमएचओ ने क्या गलती की?
ग्वालियर खंडपीठ ने सीएमएचओ डॉ. राजकुमार से कर्मचारी का रिकॉर्ड मांगा था। हालांकि, उन्होंने यह रिकॉर्ड भेजने के बजाय केवल केस फाइल भेज दी। इसके बाद अदालत ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा कि क्या वह आदेश हिंदी में लिखवाए, ताकि अधिकारी इसका सही अर्थ समझ सकें। अदालत का यह तर्क यह दर्शाता है कि प्रशासनिक अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को समझने में चूक कर रहे हैं, जिससे कानून और प्रशासन की कार्यवाही में रुकावट आती है।
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बीपी शर्मा का प्रमोशन मामला
इसके अलावा, यह विवाद बीपी शर्मा नामक एक कर्मचारी से जुड़ा हुआ था। बीपी शर्मा ने यह आरोप लगाया था कि उन्हें प्रमोशन नहीं दिया गया, जबकि जूनियर कर्मचारी को इसका लाभ मिला था। उन्होंने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की और सीएमएचओ को तलब किया।
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कोर्ट ने सीएमएचओ को क्यों तलब किया?
हाईकोर्ट ने सीएमएचओ डॉ. राजकुमार को न केवल फटकार लगाई, बल्कि उन्हें मामले की सुनवाई के लिए तलब भी किया। अदालत का यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए था कि सभी दस्तावेज और रिकॉर्ड उचित रूप से पेश किए जाएं और कोई भी सरकारी अधिकारी कानून की अवहेलना न करे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी अधिकारियों की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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