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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट। Photograph: (JABALPUR)
मध्य प्रदेश हाइकोर्ट विधिक सेवा समिति, जबलपुर ने सभी अधिवक्ताओं से अनुरोध किया है कि वे उन मामलों की सूची तैयार करें और प्रस्तुत करें जिनमें समझौता या सौहार्दपूर्ण समाधान की संभावना हो। यह पहल आगामी स्थाई एवं निरंतर लोक अदालत के आयोजन के मद्देनजर की जा रही है, जिसका उद्देश्य लंबित मामलों को कम करना और पक्षकारों के बीच विवादों का त्वरित, सुलभ, एवं सौहार्दपूर्ण समाधान प्रदान करना है। अधिवक्ता इन माध्यमों से अपने मामलों की सूची प्रस्तुत कर सकते हैं...
मामलों की सूची प्रस्तुत करने के निर्देश
- 1. कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से जमा करना: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जबलपुर के कार्यालय में जाकर सूची जमा की जा सकती है।
- 2. ईमेल के माध्यम से: मामले प्रस्तुत करने के लिए समिति ने दो ईमेल पते जारी किए हैं: mphclsc@gmail.com, sechclscjbp@mp.gov.in
विधिक समिति ने अधिवक्ताओं से अनुरोध किया गया है कि वे सूची जल्द से जल्द भेजें ताकि मामलों की प्राथमिकता तय की जा सके।
मामलों को कम करती है स्थाई लोक अदालत
स्थाई लोक अदालत (Permanent Lok Adalat) विवाद समाधान का एक वैकल्पिक मंच है, जहां मुकदमेबाजी के बजाय आपसी सहमति से समाधान को बढ़ावा दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य कोर्ट में बढ़ते मामलों का भार कम करना है। इस तरह की निपटारे में पक्षकारों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित होंगे और समय और धन की बचत भी होगी। साथ इसके साथ विवादों को त्वरित रूप से निपटाया जाएगा। अधिवक्ताओं की भूमिका इस प्रक्रिया में बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे मामलों की पहचान कर उन्हें लोक अदालत के माध्यम से सुलझाने की प्रक्रिया को आसान बना सकते हैं।
2019 के मामले में जारी हुए आदेश
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने आपराधिक अपील सीआरए 10947/2019 (राम सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य) में 28 मई 2024 को पारित अपने आदेश में वकीलों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं।
यह हैं नए दिशानिर्देश
- 1. ज्ञापन के आधार पर उपस्थिति नहीं होगी मंजूर: क्रिमिनल अपील में वकीलों को केवल उपस्थिति ज्ञापन (Memo of Appearance) दाखिल कर उपस्थिति की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- 2. वकालतनामा है अनिवार्य: हर वकील को अपने मुवक्किल के पक्ष में वकालतनामा (Vakalatnama) दाखिल करना होगा। यह प्रक्रिया अवकाश के दौरान भी पूरी की जा सकती है। यदि अवकाश के दौरान संभव न हो, तो इसे छुट्टी के बाद प्राथमिकता के आधार पर पूरा करना होगा।
- 3. ज्ञापन पर उपस्थिति स्वीकार नहीं: हाईकोर्ट यह साफ कर चुका है कि यदि वकालतनामा दाखिल नहीं किया गया है, तो केवल ज्ञापन के आधार पर वकील की उपस्थिति को मान्यता नहीं दी जाएगी। यानी अब मुव्वकिल की पैरवी करने के लिए वकील को वकालतनामा (Memo of Appearance) जमा करना जरूरी है।
वकालतनामा होता है महत्वपूर्ण
यह निर्देश कोर्ट के मामलों में अनुशासन और पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है। वकालतनामा दाखिल करने की अनिवार्यता से यह पक्का होगा कि हर वकील अपने मुवक्किल का विधिक प्रतिनिधित्व पूरी तरह से करे और न्यायिक प्रक्रिया के लिए गंभीर रहे।
लोक अदालत के जरिये होंगे निपटारे
स्थाई लोक अदालत में विवाद समाधान प्रक्रिया में यह विशेषताएं शामिल होती हैं:
1. दोनों पक्षों की सहमति: मामलों को अदालत में तभी लाया जाता है जब दोनों पक्ष समाधान के लिए तैयार हों।
2. तटस्थ मध्यस्थता: लोक अदालत के सदस्य मामले की निष्पक्षता से सुनवाई करते हैं और समाधान का प्रस्ताव देते हैं।
3. मुकदमेबाजी से बचाव: यहां समाधान होने के बाद इस मामले में पुनः मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता।
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यह हैं निपटारे के लिए संभावित मामले:
- परिवारिक विवाद
- मोटर वाहन दुर्घटना से जुड़े मामले
- श्रम और सेवा विवाद
- संपत्ति से संबंधित विवाद
- अन्य दीवानी मामले जिनमें आपसी समझौता संभव हो।
कोर्ट की ओर से सार्थक कदम
यह पहल न्यायिक प्रक्रिया को तेज, सरल और सुलभ बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। लोक अदालत के जरिये न्याय प्राप्ति के लिए अधिवक्ताओं और पक्षकारों का सहयोग बेहद जरूरी है। हाईकोर्ट के इस निर्णय से कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या में कमी आएगी और लंबित मामलों में न्याय मिलने की प्रक्रिया में तेजी आएगी।
विधिक सेवा समिति ने की अपील
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति ने अधिवक्ताओं और पक्षकारों से अपील की है कि वे इस पहल का अधिकतम लाभ उठाएं और सौहार्दपूर्ण समाधान के मामलों की जानकारी देते हुए सक्रिय भूमिका निभाएं।
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