हाई कोर्ट ने पकड़ी शराब तस्करी में आबकारी अफसरों की मिलीभगत, खुद छुड़वाते थे पकड़ी गई शराब

आलीराजपुर में एक ही दिन, एक ही थाना क्षेत्र में दो वाहनों से 14,760 लीटर अवैध शराब जब्त होने पर हाईकोर्ट ने आबकारी अफसरों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए और SIT जांच के आदेश दिए।

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Rohit Sahu
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मध्यप्रदेश के आलीराजपुर जिले में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने हाईकोर्ट को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। दरअसल 24 अक्टूबर 2024 को जोबट थाना क्षेत्र में एक ही दिन दो अलग-अलग जगहों से दो ट्रकों में 14,760 लीटर अवैध अंग्रेजी शराब पकड़ी गई। दिलचस्प बात यह रही कि दोनों वाहनों की जब्ती की कहानी एक जैसी थी और बाद में शराब को विभाग द्वार छोड़ने की प्रोसेस भी हैरान करने वाली थी।

पहले जान लिजिए पूरा मामला

आलीराजपुर के जोबट थाना क्षेत्र में 24 अक्टूबर 2024 को पुलिस ने दो वाहनों से अवैध शराब पकड़ी। पुलिस कंटेनर और ट्रक से कुल 14 हजार 760 लीटर अंग्रेजी शराब जब्त की गई। इसके साथ ही दोनों वाहनों के ड्राइवरों को गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया। फिर दोनों ने पहले जिला कोर्ट और बाद में  हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका लगाई तब इस मामले में कई खुलासे हुए।

कोर्ट ने जमानत याचिकाएं खारिज की

दोनों ट्रक ड्राइवरों, शांतिलाल उर्फ सुनील और गजेंद्र ने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में जमानत याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान पता चला कि शराब का परिवहन बिना वैध परमिट के किया गया था और जो अस्थायी परमिट पेश किया गया था, वह घटना के दो महीने बाद बनाया गया था। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को संदिग्ध माना और ड्राइवरों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं।

इस वजह से कोर्ट को शक

आबकारी विभाग ने बताया कि एक वाहन खराब हो गया था, इसलिए शराब को दूसरे वाहन में भर दिया था। इसके बाद अस्थाई परमिट के आधार पर जब्त वाहन और शराब को छोड़ दिया गया। हालांकि, हाई कोर्ट ने इस मामले में आश्चर्य जताया है कि कैसे डेढ़ घंटे के भीतर वाहन खराब हुआ, वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया, अस्थायी परमिट बनाया गया, दूसरा वाहन आया और शराब को उसमें भर भी दिया गया।

हाईकोर्ट: ये जमानत नहीं, सिस्टम की साख का मामला 

जस्टिस संजीव एस. कलगांवकर की बेंच ने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल जमानत का नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम की पारदर्शिता और उसके काम के तरीके से जुड़ा है। कोर्ट ने शक जताया कि इस पूरे घटनाक्रम में आबकारी अफसरों और तस्करों की मिलीभगत हो सकती है। इसी के चलते कोर्ट ने 21 अप्रैल 2025 को डीजीपी को एसआईटी जांच के आदेश दिए थे।

गंभीर सवालों के घेरे में आबकारी अधिकारी

जांच की प्रक्रिया में यह सामने आया कि आबकारी उपनिरीक्षक राजेंद्र सिंह चौहान 24 अक्टूबर 2024 की रात 8:30 बजे शराब लेकर जा रहे वाहन खराब होने की सूचना मिली थी और 10:10 बजे शराब दूसरे वाहन से रवाना कर दी गई। कोर्ट ने पूछा कि क्या इतनी जल्दी पूरी प्रशासनिक कार्रवाई संभव है? इस पर चौहान कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए।

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जिला कोर्ट को गुमराह करने से HC नाराज

21 अप्रैल 2025 को ट्रक ड्राइवर गजेंद्र की दूसरी जमानत याचिका पर सुनवाई में हाईकोर्ट को बताया कि आलीराजपुर के ADM ने 29 जनवरी 2025 को आदेश दिया था कि अस्थायी परमिट पेश होने के कारण जब्त शराब और वाहन छोड़े जा सकते हैं। हाईकोर्ट ने पाया कि घटना के बारे में यह छिपाया गया कि परमिट घटना के दो महीने बाद जारी हुआ था और उसमें दर्ज बैच नंबर भी जब्त शराब से मेल नहीं खाते थे। जिला कोर्ट को गुमराह किया गया।

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आबकारी कमिश्नर ने दिए आदेश, अधिकारी निशाने पर

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद आबकारी कमिश्नर अभिजीत अग्रवाल ने इस पूरे मामले में संलिप्त अधिकारियों से जवाब मांगा है। सहायक आबकारी आयुक्त विक्रम दीप सांगर से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है और धार जिले के सहायक जिला आबकारी अधिकारी आनंद दंडीर और उपनिरीक्षक राजेंद्र सिंह चौहान को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। 

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