जी का जंजाल अवैध कॉलोनियां, कार्रवाई कुछ नहीं बस बार-बार बदलती रही बयानबाजी

मध्य प्रदेश सरकार अवैध कॉलोनियों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी में है। नए कानून में अवैध कॉलोनाइजरों पर जुर्माना और 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया जा सकता है। साथ ही, सरकार ने नगरीय निकाय एक्ट में बदलाव करने की योजना बनाई है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL.  एक बार फिर अवैध कॉलोनियों (illegal colonies) पर मध्य प्रदेश सरकार के तेवर तीखे नजर आ रहे हैं। सरकार ने नगरीय निकाय एक्ट यानी नगर पालिका एक्ट में बदलाव की तैयारी भी कर ली है। इसमें अवैध कॉलोनाइजरों पर कड़ी कार्रवाई के रूप में जुर्माने के साथ ही जेल की सलाखों के पीछे भेजने का भी प्रावधान प्रस्तावित है। फिलहाल क्या संशोधन होगा, अवैध कॉलोनी काटने वालों पर कितनी सख्ती होगी ये तो एक्ट बनने के बाद ही साफ होगा, लेकिन इस तैयारी ने रियल एस्टेट सेक्टर में हलचल मचा दी है। 

सरकार की ओर से केवल बयान ही आए सामने

कॉलोनाइजर- बिल्डरों में नए कानून के प्रावधानों को लेकर चर्चा है वहीं मकान- प्लॉट खरीदने वाले आमजन भी गफलत में हैं। सरकार बीते तीन सालों में अवैध कॉलोनियों को लेकर अपनी बयानबाजी बदलती रही है। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के वर्तमान मुखिया डॉ. मोहन यादव सहित नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बयान भी विरोधाभासी हैं। जहां शिवराज के तेवर अवैध कॉलोनियों को वैध करने पर नरमी भरे थे वहीं सीएम मोहन यादव और विजयवर्गीय इन पर कसावट का मन बना चुके हैं। सरकार के नगरीय विकास मंत्री विजयवर्गीय तो अवैध कॉलोनियों के पीछे प्रदेश में बड़ा गिरोह सक्रिय होने का बयान भी दे चुके हैं।

अवैध कॉलोनियों पर कसावट या फिर उनके रहवासियों को रियायत देने की चर्चा एक दशक से भी पुरानी है लेकिन हालिया सरकार के तेवर और बार- बार सामने आ रहे बयानों ने कॉलोनाईजर और ऐसी कॉलोनियों में अपना आशियाना बना चुके हजारों लोगों की चिंता बढ़ा दी है। हांलाकि अभी तक ये भी स्पष्ट नहीं है कि सरकार ये अवैध कॉलोनी का आंकलन किस वर्ष को आधार बनाकर करने की तैयारी कर रही है।

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शिवराज की घोषणा को मोहन सरकार ने पलटा

मध्य प्रदेश में साल 2016 से अवैध कॉलोनियां चिन्हित करने के काम में तेजी आई है। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने तो साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले साल 2016 से पहले बनी अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा भी कर डाली थी। हांलाकि वर्तमान सरकार ने अब तक इस पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है लेकिन नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बयान अवैध कॉलोनाइजरों की मुसीबत बने हुए हैं। क्योंकि चर्चा है कि सरकार कानून में जो संशोधन करने जा रही है उसमें अवैध कॉलोनी काटने वालों पर 10 साल की सजा और 50 साल तक के जुर्माना लगाना प्रस्तावित है। 

शहरों में तेजी से बढ़ रही हैं अवैध कॉलोनियां

सरकार के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में साल 2016 के बाद कराए गए सर्वे के मुताबिक करीब 6077 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां हैं। इनमें सबसे ज्यादा अवैध कॉलोनियां पांच प्रमुख शहर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन में है। जबकि बीते सालों में अवैध कॉलोनियों का यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। बड़े शहरों के साथ ही अब छोटे शहर और कस्बों में भी अवैध कॉलोनियां अस्तित्व में आ चुकी हैं। शहर ग्वालियर में 696, इंदौर में 636, भोपाल में 320, जबलपुर में 224 और उज्जैन में 117 अवैध कॉलोनी हैं। वहीं प्रदेश के 16 नगर निगम क्षेत्रों में यह आंकड़ा 3155 है। वहीं 99 नगर पालिका और 298 नगर परिषद क्षेत्रों में अवैध कॉलोनियों की संख्या 4826 पहुंच चुकी है। यानी अवैध कॉलोनियों का आंकड़ा शहरीकरण के साथ तेजी से बढ़ रहा है।

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क्या प्रभावित होंगे अवैध कॉलोनियों के रहवासी

शहरों के आसपास मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी कर कॉलोनाइजर नगर निगम, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, रेरा जैसी संस्थाओं की अनुमति के बिना कॉलोनी काटने में जुटे हैं। वहीं बाहरी क्षेत्रों में कम कीमत की वजह से लोग इन कॉलोनियों में मकान या प्लॉट खरीद लेते हैं। बाद में यही कम कीमत उनके जी का जंजाल बन जाती है। उन्हें यहां बिजली, पानी, सड़क और सीवर जैसी सुविधाओं के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ता है। इसको देखते हुए सरकार अब बिना अनुमति और नक्शा पास कराए मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी कर कॉलोनी काटने वालों पर सख्ती करने जा रही है। जल्द ही इसके लिए कानून में संशोधन के साथ ही नई गाइडलाइन भी सामने आ जाएगी। इसका असर 2 हजार अवैध कॉलोनियों में रहने वाले परिवारों पर भी पड़ेगा।

बदली बयानबाजी, गाइडलाइन पर रुख नहीं साफ

मई 2023 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने  दिसंबर 2022 तक बनी सभी अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की घोषणा की थी। इसके साथ ही ऐसी कॉलोनियों को विकास शुल्क की राहत देने की भी तैयारी थी लेकिन साल 2023 में सीएम चेहरा बदलते ही सरकार के बयान बदल गए। पूर्व सीएम शिवराज का कहना था मैं मानता हूं कि जब ये कॉलोनियां बन रही थीं, तब ध्यान देना चाहिए था, लेकिन इसमें हमारे भाई-बहनों का क्या दोष? जिंदगीभर की पूंजी लगाकर प्लॉट खरीद लिया। पाई-पाई जोड़कर मकान बना लिया। अब सरकार कहे ये तो अवैध है। यह न्याय नहीं है। अवैध ठहराने का निर्णय ही अवैध है, इस निर्णय को मैं समाप्त करता हूं। 

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के तेवर सख्त

सरकार से उनकी विदाई के बाद डॉ. मोहन यादव के हाथ में प्रदेश की कमान आई। सरकार ने फिर अवैध कॉलोनियों का डेटा जिला स्तर से तलब किया तो पता चला कि पूर्व में कराए गए सर्वे में जो आंकड़ा 6077 था उसमें 1908 नई अवैध कॉलोनियों का इजाफा हो चुका है। नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के तेवर अवैध कॉलोनियों पर खासे सख्त हैं। वे न केवल प्रेस वार्ता में बल्कि विधानसभा में भी इस पर अपना रुख साफ कर चुके हैं। विधानसभा सत्र के दौरान विजयवर्गीय ने अवैध कॉलोनियों के पीछे बड़ा नेक्सस यानी गिरोह सक्रिय होने की बात भी कह डाली थी। 

10 साल की सजा के साथ 50 लाख का जुर्माना

मंत्री विजयवर्गीय के इस रुख के बाद ही प्रदेश में अवैध कॉलोनियों पर कसावट की तैयारी तेज हो गई थी। अब सरकार जल्द ही नगर पालिका एक्ट में संशोधन करने जा रही है। मप्र नगरपालिका अधिनियम 2021 की धारा 292 और 339 की उप धाराओं में अवैध कॉलोनी बनाने वालों के खिलाफ सजा और जुर्माने का प्रावधान होगा। यानी अवैध कॉलोनी काटने वालों को न केवल 50 लाख तक जुर्माना चुकाना होगा बल्कि जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। प्रदेश में अवैध कॉलोनियां कैसे पांव फैला रही है इसे राजधानी भोपाल की स्थिति से समझा जा सकता है। 

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जुटाई जा रही अवैध कॉलोनियों की जानकारी

बीते दो साल में भोपाल की शहरी बसाहट के अलावा बाहरी क्षेत्रों में ही 300 नई अवैध कॉलोनियां आकार ले चुकी हैं। साल 2022 में कराए गए सर्वे में कुल 576 अवैध कॉलोनी का डेटा सामने आया था। इनमें से दिसंबर 2016 से पहले बनी 321 कॉलोनियों अवैध करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी। जबकि इसके बाद की अवधि में कॉलोनी काटने वाले 255 पर कॉलोनाइजर और उनके साथियों पर अपराध दर्ज कराए गए थे। एक्ट में नए संशोधन को ध्यान में रखते हुए अब नए सिरे से अवैध कॉलोनियों की जानकारी जुटाई जा रही है। इस दौरान बीते ढाई दशक में राजधानी में ही अवैध कॉलोनियों की संख्या कई गुना तक बढ़ चुकी है। 

अब जानिए, कानून में क्या बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं

प्राइवेट कॉलोनाइजर ही नहीं दायरे में हाउसिंग बोर्ड भी : सरकार जो संशोधन करने की तैयारी कर रही है उसने कॉलोनी काटने वाले ऐसे कारोबारियों की धड़कन बढ़ा दी है जो गाइडलाइन की अनदेखी करते आए हैं। यानी कॉलोनी काटने के लिए उनके द्वारा न तो रेरा पंजीयन कराया गया और न ही नगरीय निकाय, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग जैसी संस्थाओं की अनुमति लेकर नक्शा स्वीकृत कराए गए। ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए व्यक्ति के साथ ही फर्म, कंपनी, सोसाइटी, संस्था, प्रमोटर या सरकारी इकाई को भी कॉलोनाइजर की कैटेगरी में रखा गया है। न केवल निजी क्षेत्र के कॉलोनाइजर बल्कि हाउसिंग बोर्ड जैसी सरकारी संस्थाएं भी इस दायरे में होंगी। हांलाकि इसमें कॉलोनाइजर को लाइसेंस संबंधी रियायत दी गई है। अब उसे जिला स्तर पर नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस मिलेगा। वहीं जुर्माने के प्रावधान को 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख और सजा को 7 से बढ़ाकर 10 साल करने की भी तैयारी की जा चुकी है। 

जड़ तक जाए बिना नहीं होगा समस्या का समाधान : क्रेडाई के चेयरमैन मनोज सिंह मीक का कहना है अवैध कॉलोनी काटने वालों को चिन्हित कर पाना बड़ा मुश्किल है। आमतौर पर ऐसे लोग किसानों से जमीन खरीदने का करार करते हैं और बिना रेरा पंजीयन, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग या नगरीय निकाय की अनुमति के प्लॉटिंग कर देते हैं। इसमें रजिस्ट्री भी किसान की ओर से ही कराते हैं। ऐसे लोगों पर शिकंजा कस पाना दिक्कत का काम है। अवैध कॉलोनी काटने वाले, खरीदार वर्ग और पंजीकृत कॉलोनाईजर_ डेव्लपर्स के साथ सरकार को चर्चा करनी चाहिए। इससे वास्तविक स्थिति सामने आएगी और उसी के आधार पर समाधान होगा। केवल जुर्माना_सजा बढ़ाने के प्रावधान से अवैध कॉलोनियों पर कसावट कर पाना आसान नहीं है। वहीं शहर में रहवासी रामबाबू यादव का कहना है एक्ट में बदलाव के साथ उसे सख्ती से लागू करना जरूरी है। सरकार जो मसौदा लाने जा रही है उससे अवैध कॉलोनी पर रोक लगी तो आमजन को फायदा होगा। 

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अवैध कॉलोनी वाले शहर

  • ग्वालियर- 696
  • उज्जैन- 117
  • इंदौर- 636
  • भोपाल- 320
  • जबलपुर- 224

ये है नगरीय क्षेत्रों में अवैध कॉलोनियों की स्थिति

  • नगर निगम 16- अवैध कॉलोनी 3155
  • नगर पालिका-99 और नगर परिषद- 298- अवैध कॉलोनी- 4826

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