मध्यप्रदेश में सरकारी प्रोजेक्ट्स की लेटलतीफी को खत्म करने के लिए सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। अब जमीन अधिग्रहण के बजाय लैंड पूलिंग (Land Pooling) का विकल्प अपनाया जाएगा, जिससे न सिर्फ प्रोजेक्ट्स की गति बढ़ेगी, बल्कि जमीन मालिकों को भी बेहतर मुआवजा मिलेगा। बीते दिन ( 17 मार्च, 2025 ) ही सरकार ने नगर और ग्राम निवेश अधिनियम (T&CP) कानून में संशोधन का बिल विधानसभा में पेश किया, जिसका उद्देश्य भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को अधिक सुगम और पारदर्शी बनाना है।
लैंड पूलिंग क्या है?
लैंड पूलिंग स्कीम में, सरकार जमीन का अधिग्रहण नहीं करती। इसके बदले, जमीन मालिकों को प्रोजेक्ट की 50% विकसित जमीन वापस दी जाती है। यह भूमि प्रोजेक्ट के पास स्थित होगी, जिससे जमीन की कीमत में इजाफा होगा। इस सिस्टम में कोई नकद मुआवजा नहीं दिया जाता है, लेकिन जमीन की कीमत बढ़ने के कारण मालिकों को अच्छा लाभ होता है। अब इसी स्कीम को लेकर आज ( 18 मार्च, 2025 ) विधानसभा में नया कानून पारित होगा।
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क्या बदलाव किए गए हैं?
नए बिल के तहत, सरकार ने विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (SADA) जैसे संस्थाओं को समाप्त कर दिया है, जिससे अन्य सरकारी एजेंसियों को भी विकास परियोजनाओं का हिस्सा बनने का अवसर मिलेगा। अब यह काम हाउसिंग बोर्ड, विकास प्राधिकरण और पीडब्ल्यूडी जैसी एजेंसियां कर सकेंगी। इसके अलावा, सरकार ने गुजरात के फॉर्मूले को अपनाया है, जहां जमीन के बदले डेवलप की हुई जमीन मिलती है।
प्रमुख फायदे
- भूमि मालिकों के लिए बेहतर मुआवजा: अब जमीन के मालिकों को विकसित जमीन मिलेगी, जिससे उनकी संपत्ति की कीमत बढ़ेगी।
- प्रोजेक्ट की गति में वृद्धि: लैंड पूलिंग के जरिए सरकारी परियोजनाओं को तेजी से लागू किया जा सकेगा।
- कम सरकारी औपचारिकताएं: लैंड पूलिंग स्कीम में कई सरकारी औपचारिकताएं खत्म होंगी, जिससे प्रक्रिया सरल और तेज होगी।
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500 करोड़ से अधिक की परियोजनाएं
इस नई व्यवस्था के तहत 500 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं के लिए सरकारी एजेंसियां विशेष क्षेत्र में काम कर सकेंगी। यह कदम मध्यप्रदेश के बड़े शहरों जैसे भोपाल और इंदौर में विकास कार्यों को तेज करने में मदद करेगा।
17 महीने में मिलेगी मंजूरी
नई व्यवस्था के तहत, सरकारी परियोजनाओं को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से अधिकतम 17 महीने में मंजूरी मिलेगी। यह समयसीमा प्रोजेक्ट्स की तेजी से मंजूरी देने के लिए बनाई गई है, ताकि विकास कार्य समय पर पूरे हो सकें।