केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2026 तक देश में नक्सलवाद को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इसी को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ मिलकर नक्सलियों को खत्म करने की रणनीति पर काम कर रहे। इसकी वजह ये भी है कि नक्सली इन तीनों राज्यों में एक विशेष जोन बनाकर नक्सल एक्टिविटी करते हैं। अब पुलिस भी इन इलाकों में नक्सल विरोधी रणनीति तैयार करेगी।
तीन राज्यों की संयुक्त कार्रवाई
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के पुलिस अधिकारी एक साथ बैठक करेंगे। इसमें नक्सल गतिविधियों पर खुफिया जानकारी साझा की जाएगी। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सख्त सुरक्षा उपाय किए जाएंगे। इसके साथ ही मध्य प्रदेश में नक्सली गतिविधियों और नक्सलियों की सूचना देने पर पुरस्कार की राशि भी बढ़ाई जाएगी।
मध्य प्रदेश में 70 नक्सली सक्रिय
मध्य प्रदेश में करीब 70 नक्सली सक्रिय हैं। इनमें से केवल तीन ही मध्य प्रदेश के हैं। बाकी नक्सली छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से आए हुए हैं। इनका प्रशिक्षण भी इन्हीं राज्यों में हुआ है। वहीं पडोसी राज्य छत्तीसगढ़ लगातार नक्सल विरोधी अभियान चला रहा है। ऐसे में अंदेशा है कि वहां से नक्सली यहां आ सकते हैं। इसलिए तीनों राज्य इस समस्या पर मिलकर काम करेंगे।
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क्या है प्लान
- तीनों राज्यों की पुलिस मिलकर खुफिया तंत्र को मजबूत करेगी।
- सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
- नक्सली सूचना देने वालों के लिए इनाम की राशि बढ़ेगी।
- पैरामिलिट्री फोर्स की मदद ली जाएगी।
- जब्त सामग्री और दस्तावेजों को साझा करेंगे।
- नक्सली पदाधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद संयुक्त पूछताछ होगी।
- मुठभेड़ के बाद सीमावर्ती इलाकों में चौकसी बढ़ाई जाएगी।
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नक्सल प्रभावित जिलों में विकास कार्य
सरकार बालाघाट, मंडला और डिंडौरी जिलों में विशेष योजनाएं लागू करेगी। इसमें सड़क निर्माण, मोबाइल टावर लगाना और सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना शामिल होगा। आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों की मदद से अन्य नक्सलियों को सरेंडर करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए सरकारी योजनाओं के तहत पुनर्वास की सुविधाएं दी जाएंगी।
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