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मध्यप्रदेश पुलिस ने राज्य वन विभाग के दो अस्थायी मजदूरों के खिलाफ UAPA (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) लगाया है। दोनों मजदूरों पर नक्सलियों से संबंध और उन्हें राशन उपलब्ध कराने के आरोप लगे हैं। दोनों को हाल ही में गिरफ्तारी किया था। जिसके बाद अब उनपर UAPA के तहत कार्रवाई की जा रही है। हालांकि इस कार्रवाई का विरोध भी हो रहा है। वन कर्मचारी संघ की मंडला इकाई कर्मचारी प्रमुख ने दावा किया की दोनों मजदूर निर्दोष हैं।
क्या है मामला?
दरअसल मंडला जिले में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इसके बाद 9 मार्च को अशोक कुमार वाल्को (28) और संतोष कुमार धुर्वे (28) को गिरफ्तार किया गया। ये दोनों कान्हा टाइगर रिजर्व (Kanha Tiger Reserve) में अस्थायी मजदूर के रूप में काम करते थे। खटिया पुलिस थाने के निरीक्षक कैलाश सिंह चौहान ने बताया कि दोनों ग्रामीणों को नक्सलियों को खाद्य आपूर्ति करने और उनसे संपर्क में रहने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
UAPA समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज
पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपियों पर सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत दंगा करने के मामले में UAPA की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया। कोर्ट के आदेश पर दोनों मजदूरों को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया। इसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
वन कर्मचारियों में रोष, निर्दोष होने का दावा
मध्यप्रदेश वन कर्मचारी संघ की मंडला इकाई के प्रमुख बलसिंह ठाकुर ने दावा किया कि गिरफ्तार किए गए दोनों मजदूर निर्दोष हैं और उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है। ठाकुर ने कहा कि हम जल्द ही मंडला पुलिस अधीक्षक से मिलकर निर्दोष आदिवासियों की रिहाई की मांग करेंगे।
UAPA क्या है?
UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) अधिनियम 1967 में लागू किया गया था। जिसका उद्देश्य देश में आतंकवादी गतिविधियों को रोकना है। इस अधिनियम के तहत, पुलिस उन लोगों को चिह्नित कर सकती है जो आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं। आतंकवादी गतिविधि में शामिल होने पर, जैसे कि आतंकवादी समूहों की मदद करना, आतंकवाद फैलाना, और हथियारों का उपयोग करना, इस अधिनियम के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
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कब लागू होता है एक्ट
इस एक्ट के तहत भारत सरकार किसी भी समूह को आतंकवादी या देश विरोधी गतविधियों में शामिल पाये जाने पर आतंकी संगठन घोषित भी कर सकती है। ये एक्ट इन मामलों लागू होता है। जब कोई व्यक्ति या समूह किसी भी आतंकवादी समूह की मदद करे। आतंकवाद फैलाने के लिए लोगों को तैयार करे या उनकी मदद करे। किसी अन्य तरीके से आतंकवाद गतिविधि में शामिल हो।
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