मध्य प्रदेश में नवजातों और प्रसूताओं की मौतों पर चिंता, चौंकाने वाले हैं आंकड़े!

मध्यप्रदेश में मातृ और शिशु स्वास्थ्य की स्थिति चिंताजनक है, जहां शिशु मृत्यु दर 40 और मातृ मृत्यु दर 159 है, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। राज्य में हर एक लाख प्रसव में 159 माताएं और हर एक हजार जन्मों में 40 नवजात अपनी जान गंवा रहे हैं।

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Reena Sharma Vijayvargiya
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MP News : मध्यप्रदेश का मातृ और शिशु स्वास्थ्य क्षेत्र देश में सबसे पीछे है। भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय द्वारा हाल ही में प्रकाशित सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) की 2022 रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में हर एक लाख प्रसव में 159 माताएं और हर एक हजार जन्मों में 40 नवजात अपनी जान गंवा रहे हैं। ये आंकड़े केवल संख्याएं नहीं हैं, बल्कि उन परिवारों के दर्द को दर्शाते हैं जो उचित स्वास्थ्य सुविधाओं और संसाधनों की कमी के कारण अपनों को खो देते हैं।

राज्य की स्वास्थ्य स्थिति पर चिंता

मध्यप्रदेश का शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate, IMR) 40 है, जबकि देश का औसत 26 है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि राज्य में शिशु मृत्यु दर में सुधार के बावजूद, गति बहुत धीमी है। 2013 में राज्य का शिशु मृत्यु दर 53 था, लेकिन अब यह घटकर 40 पर आ गया है, जो कि 35% की कमी को दर्शाता है। इसके विपरीत, भारत के शिशु मृत्यु दर में पिछले दस वर्षों में 35% की कमी आई है। इस धीमी प्रगति के बावजूद, राज्य की स्थिति गंभीर बनी हुई है।

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भेदभाव

राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु मृत्यु दर 42 है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 28 है। यह आंकड़ा यह स्पष्ट करता है कि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और जागरूकता की कमी के कारण शिशु मृत्यु दर अधिक है।

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मातृ मृत्यु दर में भी चिंताजनक स्थिति

मध्यप्रदेश का मातृ मृत्यु दर (Maternal Mortality Ratio, MMR) 159 है, जो भारत के औसत 88 से कहीं अधिक है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश को देश के सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शुमार किया गया है। ममता की देखभाल में इस उच्च दर के कारण, प्रदेश की सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है।

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राज्य सरकार की पहल

राज्य सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं ताकि मातृ और शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सके। इनमें से एक महत्वपूर्ण कदम है मेटर्नल डेथ स्टेट रिव्यू सिस्टम (Maternal Death State Review System) यानी MDSR। इसमें गर्भवती महिलाओं की मौतों के कारणों की समीक्षा की जाती है और सुधारात्मक उपाय किए जाते हैं।

विशेषज्ञों का सुझाव

गर्भवती महिलाओं की देखभाल में सुधार

डॉ. प्रिया भावे चित्तावर, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ, के अनुसार, गर्भवती महिलाओं के लिए नियमित जांच आवश्यक है। वे बताती हैं कि हाई बीपी (High Blood Pressure) और एनीमिया (Anemia) जैसी समस्याएं अक्सर लक्षणहीन होती हैं, जिससे मरीज को इसका पता ही नहीं चलता है। यदि इन समस्याओं का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह जीवन के लिए खतरे का कारण बन सकता है।

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राज्य सरकार ने उठाए ये कदम

सरकार ने कई उपाय किए हैं, जिनमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत करना, प्रसव पूर्व और पश्चात देखभाल में सुधार, और ग्रामीण क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ताओं को अधिक संसाधन मुहैया कराना शामिल है।

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नवजात बच्चों की देखभाल के उपाय

शिशु देखभाल विशेषज्ञ डॉ. भूपेंद्र कुमार गुप्ता के अनुसार, शिशु की देखभाल में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है:

  • सही समय पर फीडिंग कराना

  • इन्फेक्शन से बचाव के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना

  • शिशु के शरीर का तापमान सही रखना

भविष्य के लिए दिशानिर्देश

  1. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का मजबूतीकरण

  2. टीकाकरण और मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की सतत निगरानी

  3. गर्भवती महिलाओं के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित करना

  4. आशा कार्यकर्ताओं को अतिरिक्त संसाधन और प्रशिक्षण देना

FAQs

FAQ

मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर कितनी है और इसका राष्ट्रीय औसत क्या है?
मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर 40 है, जबकि भारत का औसत 26 है। यह दर्शाता है कि राज्य में शिशु मृत्यु दर की स्थिति चिंताजनक है, हालांकि इसमें सुधार हुआ है।
मातृ मृत्यु दर के मामले में मध्यप्रदेश की स्थिति क्या है?
मध्यप्रदेश का मातृ मृत्यु दर 159 है, जो राष्ट्रीय औसत 88 से काफी अधिक है। यह राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता को दर्शाता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए किस प्रकार की देखभाल की जरूरत है?
मध्यप्रदेश में मातृ और शिशु स्वास्थ्य की चिंताजनक स्थिति: 1,000 नवजातों में 40 की मौत, 1 लाख प्रसूताओं में 159 की मृत्यु

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