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मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह (Minister Vijay Shah) हाल ही में कर्नल सोफिया कुरैशी (Colonel Sophia Qureshi) को लेकर दिए गए विवादित बयान की वजह से सियासी विवादों में फंसे हुए हैं। उनके खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज हो चुकी है और विपक्ष के साथ-साथ उनकी ही पार्टी बीजेपी (BJP) के अंदर भी इस्तीफे की मांग जोर पकड़ रही है। लेकिन अब जानकारी सामने आ रही है कि उन्होंने इस्तीफा देने से साफ इनकार किया है, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। बता दें कि इस पूरे मामले में द सूत्र के खुलासे के बाद से ही राष्ट्रीय स्तर पर हड़कंप मच चुका है।
इस्तीफा देने के मूड में नहीं विजय शाह
उनके आपत्तिजनक बयान देने के कारण राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर कड़ी आलोचना हो रही है। मामला बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Dr. Mohan Yadav) की मौजूदगी में देर रात सीएम हाउस में एक अहम बैठक हुई। इस बैठक के बाद यह स्पष्ट हुआ कि विजय शाह अभी इस्तीफा देने के मूड में नहीं हैं।
विजय शाह ने इस विवाद में कोर्ट में अपना पक्ष रखने का अनुरोध किया है। उनकी योजना सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की भी है। इससे संकेत मिलता है कि वे इस मामले को कानूनी रूप से लड़ना चाहते हैं।
पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह बात करेंगे मंत्री
सूत्रों के अनुसार, मंत्री विजय शाह ने एफआईआर दर्ज होने के बाद भी इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। इसके बाद वे खंडवा अपने गृहनगर के लिए रवाना हो गए। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे इस विवाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से बात करके ही आगे का फैसला लेंगे।
पार्टी हाईकमान ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए समझाने की कोशिश की, साथ ही कहा कि मामला शांत होने पर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। लेकिन विजय शाह ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। विवाद के बीच वे हरसूद में डेरा डाले हुए हैं और राजनीतिक रणनीति बनाने में जुटे हैं।
आपके लिए ये जानना जरूरी-
मुख्य तथ्य | विवरण |
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मंत्री का नाम | विजय शाह (Minister Vijay Shah) |
विवाद का कारण | कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर विवादित बयान |
एफआईआर दर्ज | हां, इंदौर के मानपुर थाना में |
मुख्यमंत्री की बैठक | सीएम मोहन यादव के नेतृत्व में हुई |
पार्टी का रुख | इस्तीफे की मांग, लेकिन मंत्री का इंकार |
अगला कदम | कोर्ट में पक्ष रखने की योजना, हाईकमान निर्णय |
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कैसे चली इस्तीफा देने की कहानी
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मंत्री विजय शाह ने महू के मानपुर में एक तालाब खुदाई के कार्यक्रम के दौरान मंच से अनर्गल टिप्पणी की और इसमें अप्रत्यक्ष तौर पर कर्नल सोफिया कुरैशी को निशाना बनाया गया।
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मंत्री ने कहा कि जिन्होंने हमारी बेटियों के सिंदूर उजाड़े वह कटे-फटे लोगों को हमने उन्हीं की बहन भेजकर उनकी ऐसी की तैसी करवाई। मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने के लिए उनके घर भेजा।
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द सूत्र के खबर ब्रेक करते ही बीजेपी संगठन हरकत में आया, मंत्री को माफी मांगने के आदेश हुए। इसके बाद उन्होंने बयान दिया कि अन्यथा नहीं लें, उनके बोल का गलत मतलब निकाला गया।
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शाम होते-होते पार्टी ने उन्हें दफ्तर तलब कर लिया, वह हवाई चप्पल में भागे-भागे गए और वहां पर एमपी बीजेपी चीफ वीडी शर्मा ने उन्हें जमकर फटकार लगाई।
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इसके बाद फिर उन्होंने मीडिया से बात की और माफी मांगी, लेकिन इस दौरान भी हंसते रहे, यानी बेशर्म हंसी के साथ माफी मांगी।
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वहीं कांग्रेस ने उनके भोपाल स्थित सरकारी बंगले पर नेमप्लेट पर कालिख फेंकी और प्रदर्शन कर इस्तीफा मांगा।
- इसके बाद बुधवार को मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मंत्री विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए और देर रात उन पर इंदौर जिले में FIR दर्ज हुई।
- वहीं, अब खबर है कि मंत्री विजय शाह ने इस्तीफा देने से साफ इनकार किया है, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
- सूत्रों के अनुसार, वे इस विवाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से बात करके ही आगे का फैसला लेंगे।
राष्ट्रीय मुद्दा बन गया, बीजेपी की चुप्पी बन रही परेशानी
इस पूरे मामले में द सूत्र के खुलासे के बाद से ही राष्ट्रीय स्तर पर हड़कंप मच चुका है। कांग्रेस से लेकर बसपा नेता मायावती व अन्य दलों के नेता भी विरोध में आ चुके हैं। कांग्रेस इस्तीफा मांग रही है। वहीं बीजेपी की चुप्पी भी लोगों को हैरान कर रही है। भले ही बीजेपी संगठन ने शाह को बुलाकर फटकार लगा दी और उन्होंने बाद में माफी भी मांगी लेकिन इससे भी डेमेज कंट्रोल होते नहीं दिख रहा है। बीजेपी पदाधिकारी कुरैशी के मप्र स्थित निवास पर भी मिलने चले गए हैं। लेकिन मामला ठंडा होते नहीं दिख रहा है।
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मंत्री विजय शाह का विवादों से पुराना नाता! कभी कुर्सी गई, कभी लाठी पड़ी
यह कोई पहला मौका नहीं है जब शाह अपने बयानों से बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर चुके हैं। पहले भी में प्रदेश तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान की पत्नी पर की गई टिप्पणी के चलते उन्हें मंत्री पद गंवाना पड़ा था। बार-बार के विवादों ने उनके राजनीतिक करियर को घेर लिया है और अब केंद्रीय नेतृत्व भी उनसे नाराज बताया जा रहा है। पार्टी के भीतर उनकी कुर्सी पर फिर से खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
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साल 2013 में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह की पत्नी साधना सिंह को लेकर बेहूदा टिप्पणी की थी, जिसके बाद उनका इस्तीफा हुआ लेकिन फिर आदिवासी वोट बैंक के चलते वापस आ गए।
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एक कार्यक्रम में लड़कियों को टी-शर्ट बांटते हुए बयान दिया था कि इन्हें दो-दो दे दो, मुझे नहीं पता यह नीचे क्या पहनती है।
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नर्मदापुरम के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (एसटीआर) के कोर एरिया में पूर्व वन मंत्री और विधायक विजय शाह ने चिकन पार्टी की थी। इस पर बाद में तूल पकड़ा तो सफाई दी कि - यहां पर स्टाफ रुकता है और यही पर वॉच टावर भी बन रहा है। इसे देखने के लिए मैं वहां गया था। वहां जो स्टाफ रहता है, वह खुद के लिए खाना बनाता और खाता है। मैं चिकन नहीं खाता और न ही बनवाया है।
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इंदौर नगर निगम का भी उन पर करोड़ों का संपत्तिकर बकाया था इसके लिए उनकी जमीन पर नोटिस भी लगा था।
शिवराज की पत्नी पर टिप्पणी
विजय शाह पहले भी अपने बयानों को लेकर विवादों में रह चुके हैं। एक बार उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी पर डबल मीनिंग टिप्पणी कर दी थी, जिसके बाद उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था। हालांकि चार महीने बाद वे फिर से मंत्री पद पर लौट आए, जिससे उनकी राजनीतिक पकड़ का अंदाजा लगाया जा सकता है।
विद्या बालन की शूटिंग पर रोक
कोविड काल में विद्या बालन अपनी फिल्म 'शेरनी' की शूटिंग कर रही थीं, तब विजय शाह वन मंत्री थे। उन्होंने अभिनेत्री को डिनर का न्योता दिया, जिसे विद्या बालन ने ठुकरा दिया। नाराज होकर मंत्री ने शूटिंग ही रुकवा दी। मामला मीडिया में उछला तो सरकार को पीछे हटना पड़ा और शूटिंग फिर से शुरू हुई।
नियम कायदों की उड़ाई धज्जियां
विजय शाह सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के प्रतिबंधित क्षेत्र में अपने दोस्तों के साथ पार्टी करते नजर आए। चिकन पार्टी का वीडियो वायरल हुआ और जांच के आदेश दिए गए। हालांकि, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यह घटना उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाती है।
टीआई को थप्पड़ मारने पर हुई पिटाई
1998 में विजय शाह ने खंडवा में एक टीआई को थप्पड़ मार दिया था। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने उन्हें घेरकर जमकर पीटा, जिससे उनका पैर फ्रैक्चर हो गया था। यह घटना आज भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय है।
छात्रों से लेकर कैबिनेट तक का रास्ता
विजय शाह का राजनीतिक सफर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरू हुआ। वे कॉलेज राजनीति में सक्रिय रहे और 1990 में पहली बार विधानसभा पहुंचे। उसके बाद से वे आठ बार हरसूद से विधायक चुने गए हैं। आदिवासी नेता के रूप में उनकी पकड़ मजबूत रही है, लेकिन विवादों ने बार-बार उनके कद को चोट पहुंचाई है।
आज को होगी सुनवाई: क्या होगा अगला कदम?
इस मामले में अगली सुनवाई गुरुवार, 15 मई को होगी। इस दौरान डीजीपी को यह बताना होगा कि उन्होंने कोर्ट के आदेश का पालन किया है या नहीं। यदि एफआईआर दर्ज नहीं होती है तो कोर्ट डीजीपी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू कर सकता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि हाईकोर्ट इस मामले को लेकर कितनी गंभीर है और इसके प्रभाव को लेकर वह किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेगा।
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