मप्र में 27 फीसदी OBC आरक्षण पर अब 15 अक्टूबर को होगी सुनवाई, ट्रांसफर याचिका मंजूर करने का लिखित फैसला जारी

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से इस केस को लेकर लगी ट्रांसफर याचिकाएं स्वीकार करने की बात लिखी गई है। साथ ही अगली तारीख 15 अक्टूबर तय की गई है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन द्वारा यह आदेश जारी किया है...

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Sanjay gupta
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INDORE. मप्र में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण ( OBC reservation ) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका पर 20 अगस्त को हुई सुनवाई का औपचारिक लिखित फैसला आ गया है। इसमें मप्र हाईकोर्ट से इस केस को लेकर लगी ट्रांसफर याचिकाएं स्वीकार करने की बात लिखी गई है। साथ ही अगली तारीख 15 अक्टूबर तय की गई है। 

यह जारी किया गया आदेश

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन द्वारा यह आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि फाइल ट्रांसफर की मंजूरी दी जाती है। याचिका नंबर साल 2019 की 20293 व 5901, साल 2022 की 3833, साल 2019 की 25181, साल 2022 की 3668, साल 2021 की 20838, साल 2022 की 30204 और साल 2020 की 3757 इन सभी को हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के आदेश दिए जाते हैं। इन सभी की एसएलपी (सी) डायरी नंबर 30748/2022 के साथ सुना जाएगा। 

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मप्र सरकार से मांगा गया है जवाब

विविध याचिकाओं में दो तरह के सवाल उठे हैं, पहला यह कि 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण करने से सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बैंच द्वारा दिए गए 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिए जाने के फैसले का उल्लंघन हो रहा है। साथ ही मप्र द्वारा भर्ती के सौ फीसदी रिजल्ट नहीं हो रहे और 87-13 फीसदी के आधार पर भर्ती हो रही है और 13 फीसदी पद होल्ड किए हुए हैं। इससे सालों से हजारों, लाखों उम्मीदवार परेशान है। जबकि मप्र हाईकोर्ट पहले ही शासन को आरक्षण 50 फीसदी से अधिक देने पर स्टे दे चुका है, लेकिन इसके बाद भी भर्ती ही सौ फीसदी पर मप्र शासन ने रोक दी और 13 फीसदी पद होल्ड कर दिए। अधिवक्ता आदित्य संघी ने बताया कि इन दोनों ही मुद्दों पर मप्र शासन से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है। 

ओबीसी आरक्षण की वैधानिकता अब सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगी

अधिवक्ताओं द्वारा यह मुद्दा उठाया गया था कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ही तय करे, क्योंकि हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और जो भी फैसला होगा तो वह फिर से अपील में सुप्रीम कोर्ट ही आएगा। इसके चलते सालों से परेशान हो रहे युवा अभ्यर्थियों का इंतजार लंबा हो जाएगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को ट्रांसफर करने का फैसल लिया और अब मप्र में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण होगा या फिर पूर्व की तरह इसे 14 फीसदी पर रखा जाएगा यह सुप्रीम कोर्ट तय करेगी।

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