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मध्य प्रदेश पुलिस ने अपनी टीम में 52 विदेशी नस्ल के डॉग्स शामिल करने का निर्णय लिया है। इनके लिए करीब 22 लाख रुपए का खर्च अनुमानित किए हैं।
इन डॉग्स को विशेष रूप से शराब का पता लगाने के लिए 'एल्कोहल ट्रेनिंग' दी जाएगी, जिससे पुलिस की कार्यक्षमता और बढ़ेगी। यह प्रशिक्षण भोपाल स्थित पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में 9 महीने तक चलेगा।
डॉग्स की नस्ल और ट्रेनिंग डिटेल
MP पुलिस द्वारा खरीदी जाने वाली 52 डॉग्स में से 14 जर्मन शैफर्ड, 8 डाबरमैन, 22 लैब्राडोर और 8 बेल्जियम मेलोनाइज नस्ल के डॉग्स होंगे।
इन डॉग्स को पहले से स्थापित विशेष कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया जाता रहा है जैसे कि स्नैफिंग, ट्रैकिंग, नारकोटिक्स की पहचान और आपदा राहत। अब पहली बार उन्हें शराब की पहचान करने के लिए 'एल्कोहल ट्रेनिंग' दी जाएगी।
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4 माहीने तक के पप्पी खरीदे जाएंगे
बता दें कि, यह डॉग्स चार महीने के पप्पी होंगे, जिनकी पेरेंट्स हिस्ट्री पर पूरी नजर रखी जाती है। इन नस्लों की ब्रिडिंग हैदराबाद, कोलकाता और दक्षिण भारत में होती है और इन्हीं क्षेत्रों से इनकी खरीदी की जाएगी।
10 साल बाद रिटायरमेंट
पुलिस में सेवा देने के बाद डॉग्स को 10 साल की उम्र में रिटायर कर दिया जाता है। हालांकि विशेष परिस्थितियों में उनका कार्यकाल 6 महीने तक बढ़ाया जा सकता है। रिटायरमेंट के बाद इन डॉग्स को भोपाल स्थित डॉग वृद्धाश्रम में भेजा जाएगा, जहां उनका पूरा ख्याल रखा जाएगा।
अपराध रोकथाम को मिलेगा नया बल: पुलिस विभाग में 52 डॉग ऑफिसर्स की नियुक्ति
— Home Department, MP (@mohdept) June 4, 2025
👉9 माह की ट्रेनिंग के बाद जिलों में होगी पोस्टिंग
👉3 माह की ट्रेनिंग के बाद दिया जाएगा ट्रेड, 10 साल देंगे विभाग में सेवाएं@DrMohanYadav51 @DGP_MP @CP_Bhopal @MPPoliceDeptt #JansamparkMP #BHOPALNEWS pic.twitter.com/UeSWOJyPRw
MP पुलिस की यह नई पहल
मध्य प्रदेश पुलिस का यह कदम शराब के अवैध व्यापार और अन्य आपराधिक गतिविधियों की पहचान करने में मदद करेगा। इस मिशन से न केवल पुलिस की कार्यक्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि इसे एक नई दिशा में बल मिलेगा।
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जानें MP डॉग ट्रेनिंग सेंटर के बारे में
मध्य प्रदेश पुलिस ने हाल के वर्षों में डॉग ट्रेनिंग के क्षेत्र में एक अनूठी और सराहनीय पहल की है। जहां पहले पुलिस डॉग स्क्वायड में केवल विदेशी नस्लों के कुत्तों (जैसे जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर आदि) को ही प्राथमिकता दी जाती थी, वहीं अब एमपी पुलिस ने देसी कुत्तों को भी अपनी टीम में शामिल कर देशभर में मिसाल कायम की है।
भोपाल स्थित पुलिस ट्रेनिंग अकादमी में स्थापित डॉग ट्रेनिंग सेंटर इस बदलाव का सबसे बड़ा उदाहरण है। आइए जानते हैं, इस सेंटर की खासियत, ट्रेनिंग प्रक्रिया और इसके दूरगामी प्रभावों के बारे में विस्तार से।
भोपाल का पुलिस डॉग ट्रेनिंग सेंटर
भोपाल स्थित 23वीं वाहिनी पुलिस ट्रेनिंग अकादमी में पुलिस डॉग स्क्वायड के लिए विशेष ट्रेनिंग सेंटर स्थापित है। यहां देसी और विदेशी दोनों नस्लों के कुत्तों को पुलिस कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। खास बात यह है कि एमपी देश का पहला राज्य है, जिसने अपनी पुलिस डॉग स्क्वायड में देसी कुत्तों को औपचारिक रूप से शामिल किया है।
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ट्रेनिंग की प्रक्रिया
- अवधि: प्रत्येक कुत्ते को लगभग 9 महीने की गहन ट्रेनिंग दी जाती है।
- प्रशिक्षण क्षेत्र: कुत्तों को चोरी, डकैती, हत्या, ड्रग्स और बम डिटेक्शन, खोज-बचाव जैसे कार्यों के लिए तैयार किया जाता है।
- नस्लें: देसी कुत्तों के अलावा लैब्राडोर, जर्मन शेफर्ड जैसी विदेशी नस्लें भी ट्रेनिंग प्राप्त करती हैं।
- स्रोत: देसी कुत्ते तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हैदराबाद, हरियाणा, हिमाचल आदि राज्यों से लाए जाते हैं।
देसी कुत्तों की खासियत
- कम खर्च: देसी कुत्तों की ट्रेनिंग और देखभाल में विदेशी नस्लों की तुलना में कम खर्च आता है।
- अनुकूलता: ये कुत्ते स्थानीय वातावरण और भाषा को जल्दी समझ लेते हैं।
- स्वास्थ्य: देसी कुत्ते कम बीमार पड़ते हैं और ज्यादा एक्टिव रहते हैं।
- आत्मनिर्भर भारत: यह पहल आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
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