मध्य प्रदेश सरकार चिकित्सा शिक्षा आयुक्त ( Medical Education Commissioner ) का पद खत्म करने जा रही है। चिकित्सा शिक्षा विभाग को स्वास्थ्य आयुक्त (health commissioner ) के अधीन करने की योजना है। स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग की देखरेख के लिए एक ही HOD होगा।
सरकार ने मेडिकल एजुकेशन ( Medical Education ) का स्वास्थ्य विभाग में विलय कर दिया है। विलय के बावजूद, अभी भी दो अलग-अलग प्रमुख हैं। अब सरकार स्वास्थ्य विभाग के लिए एक ही HOD नियुक्त करने की योजना बना रही है। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग (health Department ) जल्द ही आदेश जारी करने जा रहा है। वर्तमान में फिलहाल विवेक पोरवाल स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त एवं प्रमुख सचिव हैं। तरुण पिथोड़े चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त हैं।
मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के लिए पर्याप्त बजट नहीं
राज्य के प्रत्येक जिले में मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभागों का विलय हो चुका है। मेडिकल कॉलेज कायम करने के पहले अस्पताल बनाना जरूरी है। बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाने का वादा किया था।
हालांकि सरकार के पास हर जिले में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बनाने के लिए पर्याप्त बजट नहीं है। जहां मेडिकल कॉलेज नहीं है, वहां मेडिकल कॉलेजों को जिला अस्पतालों से संबद्ध किया जाएगा। समुचित कार्य के लिए दोनों विभागों का विलय कर दिया गया है।
मेडिकल एजुकेशन के नाम पर बने थे अलग- अलग विभाग
साल 1978-79 में मेडिकल एजुकेशन ( medical education ) के नाम पर अलग विभाग बना दिया गया था, जबकि केंद्र सरकार में स्वास्थ्य विभाग एक ही है।
मप्र में एक विभाग मेडिकल टीचिंग, दूसरा स्किल का काम करता आया है। इससे व्यावहारिक दिक्कतें आती थीं। कई बार ऐसा होता है कि मेडिकल कॉलेज से संचालित अस्पताल में स्टाफ अधिक होता, जबकि स्वास्थ्य विभाग के अधीन होने के कारण जिला अस्पताल स्टाफ की कमी से जूझता था।
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