रैगिंग के मामले में एमपी का बढ़ा ग्राफ, टॉप-3 की लिस्ट में शामिल

मध्यप्रदेश में रैगिंग की बढ़ती घटनाएं एकदम से बढ़ गई हैं। राष्ट्रीय एंटी रैगिंग हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायतों के मुताबिक मध्य प्रदेश देश में तीसरे नंबर पर है।

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Dablu Kumar
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एमपी के कॉलेजों से आए दिन रैगिंग के मामले सामने आते रहते हैं। राज्य के कई तकनीकी कॉलेजों जैसे भोपाल और रतलाम से भी रैगिंग की शिकायतें सामने आ रही हैं। हालांकि, कई बार ऐसे मामलों को दबा दिया जाता है, लेकिन यूजीसी हेल्पलाइन के आंकड़े इस मामले की गंभीरता को उजागर कर रहे हैं।

रैगिंग के मामलों में एमपी तीसरे नंबर पर 

रैगिंग के मामलों में मध्यप्रदेश देश भर में तीसरे स्थान पर है। राष्ट्रीय एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन पर सितंबर तक कुल 510 शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें उत्तरप्रदेश 140 शिकायतों के साथ पहले स्थान पर है, जबकि बिहार 84 शिकायतों के साथ दूसरे और मध्यप्रदेश 82 शिकायतों के साथ तीसरे स्थान पर है। एमपी में अकेले सितंबर महीने में 13 शिकायतें दर्ज हुई हैं।

रैगिंग में टॉप राज्य

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सितंबर में दर्ज हुए एमपी में रैगिंग के मामले 

1 सितंबर : खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद कॉलेज, भोपाल में एक बार फिर जूनियर छात्र के साथ मारपीट की गई।

3 सितंबर : एम्स भोपाल में एक जूनियर छात्र से दुर्व्यवहार हुआ, वहीं उसी दिन जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में भी एक झगड़ा हुआ।

4 सितंबर : जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग में विवाद सामने आया।
 
5 सितंबर : राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में सीनियर छात्राओं ने जूनियर से दुर्व्यवहार किया। 

8 सितंबर : जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर में एक जूनियर छात्र से रैगिंग हुई, और उसी दिन पीपुल्स मेडिकल यूनिवर्सिटी, भोपाल में भी एक जूनियर छात्र से दुर्व्यवहार किया गया।

9 सितंबर : एनएलआईयू, भोपाल में एक जूनियर को मेंडोरा ले जाकर पीटा गया, जबकि श्रीराम इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, जबलपुर में भी जूनियर से विवाद हुआ। 

10 सितंबर : आरजीपीवी, भोपाल में छात्रों से दुर्व्यवहार किया गया।

11 सितंबर : केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर में भी छात्रों के साथ दुर्व्यवहार की घटना सामने आई। 

15 और 16 सितंबर :आरजीपीवी में नकाबपोश सीनियरों ने दो बार जूनियर छात्र के साथ मारपीट की।

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रैगिंग से परेशान छात्र

राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन ने एंटी-रैगिंग कमेटी और हेल्पलाइन जैसी व्यवस्थाएं स्थापित की हैं, लेकिन इसके बावजूद दर्ज की गई शिकायतें यह स्पष्ट करती हैं कि वास्तविक स्थिति संतोषजनक नहीं है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि कॉलेजों में कागज पर सब पुता है, लेकिन हकीकत में जूनियर-सीनियर की निगरानी की व्यवस्था लचर है।

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एमपी में यह रैगिंग का मामला रहा चर्चा में 

हाल ही में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के आइईटी कॉलेज में 24 सितंबर को सीनियर छात्रों ने जूनियर छात्रों को एक रेस्तरां में बुलाया। इस दौरान उन्हें धमकाया और यह भी चेतावनी दी गई कि यदि किसी ने शिकायत की तो परिणाम गंभीर होंगे। इस तरह के मामले कॉलेज में पहले भी सामने आ चुके हैं। 29 अगस्त को भी इस कॉलेज के फर्स्ट ईयर छात्र के साथ एक शर्मनाक घटना घटी, जब सीनियर छात्रों ने उसका मुंह टॉयलेट पॉट में रखकर फ्लश चला दिया। बता दें कि, लगभग हर कॉलेज में एंटी रैगिंग कमेटी बना होता है। लेकिन रैगिंग का आरोप बढ़ता ही जा रहा है।

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