MP के स्कूलों में शिक्षा की लड़ाई, बिना बिजली और शिक्षक के कैसे होगी पढ़ाई

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। इसने मध्य प्रदेश के स्कूलों की शिक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं प्रदेश के स्कूलों की कई खामिया सामने आई है...

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Amresh Kushwaha
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मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर और बुनियादी सुविधाएं गंभीर संकट में हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) ने हाल ही में यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडाइस) रिपोर्ट (UDISE Report) जारी की है। इसके मुताबिक, प्रदेश के स्कूलों में छात्रों के अनुपात में शिक्षक नहीं हैं, और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। इस रिपोर्ट ने शिक्षा व्यवस्था की गंभीर हालत का पर्दाफाश किया है।

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बुनियादी सुविधाओं की कमी

मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में न तो छात्रों के अनुपात में पर्याप्त शिक्षक हैं, न ही बुनियादी सुविधाएं जैसे बिजली, फर्नीचर और शौचालय जैसी सुविधाएं। रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश के 9 हजार 500 स्कूलों में बिजली नहीं है। वहीं 12 हजार स्कूलों में केवल एक शिक्षक ही मौजूद है। यह संख्या ऐसे स्कूलों की है जहां शिक्षकों की कमी गंभीर रूप से महसूस की जा रही है। इसके कारण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है।

प्राथमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में गिरावट

रिपोर्ट के अनुसार, मप्र की प्राथमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में बहुत सुधार की आवश्यकता है। सकल नामांकन दर (Gross Enrollment Ratio - GER) और नेट नामांकन दर (Net Enrollment Ratio - NER) दोनों ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के लक्ष्यों से काफी नीचे हैं।

MP में स्कूलों की खस्ता हालत पर एक नजर...

  • मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षक और बुनियादी सुविधाओं की गंभीर कमी है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।

  • प्रदेश के 9,500 स्कूलों में बिजली नहीं है, और 12,000 स्कूलों में केवल एक शिक्षक मौजूद है।

  • प्राथमिक शिक्षा में सकल नामांकन दर 78.9% और नेट नामांकन दर 64.3% है, जबकि उच्च माध्यमिक शिक्षा में यह क्रमशः 62% और 25.7% है।

  • सरकार ने सरकारी स्कूलों में शौचालय, पेयजल, और मरम्मत कार्यों के लिए 50 लाख रुपए की स्वीकृति दी है।

  • लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक डीएस कुशवाह ने बुनियादी सुविधाओं में सुधार के लिए निरंतर प्रयासों का संकल्प लिया है।

प्राथमिक शिक्षा में गिरावट

रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर सकल नामांकन दर 78.9% और नेट नामांकन दर 64.3% है, जो चिंताजनक है। इसका मतलब है कि एक बड़ा वर्ग शिक्षा से वंचित है या तो स्कूल छोड़ चुका है।

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उच्च माध्यमिक शिक्षा में स्थिति और खराब

उच्च माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर स्थिति और भी अधिक विकट है। यहां सकल नामांकन दर 62% और नेट नामांकन दर केवल 25.7% है। यह दर्शाता है कि बच्चे हाई स्कूल स्तर तक पहुंचने से पहले ही शिक्षा छोड़ देते हैं, या फिर उच्च शिक्षा की ओर कदम नहीं बढ़ाते।

प्रदेश में शिक्षा सुधार की दिशा में कदम

मध्यप्रदेश सरकार ने इन समस्याओं से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रदेश के सभी जिलों में स्थित सरकारी स्कूलों के लिए शौचालय, पेयजल, और मरम्मत कार्य के लिए 50-50 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई है। इसके अलावा, लगातार व्यवस्थाओं में सुधार किया जा रहा है ताकि छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें और शिक्षा के स्तर को बेहतर किया जा सके।

लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक डीएस कुशवाह (DS Kushwaha) ने कहा कि, हम प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं, ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके।

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