स्कूल चले हम अभियान का पहला चरण फेल, सरकारी स्कूलों में बच्चों को प्रवेश नहीं दिला रहे पेरेंट्स

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में शिक्षा विभाग ने स्कूल चले हम अभियान (School Chale Hum Campaign) की शुरुआत की है। अब दूसरा चरण 16 जुलाई से 31 जुलाई तक फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है।

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Sanjeet kumar dhurwey
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MP News। मध्य प्रदेश में शिक्षा विभाग ने स्कूल चले हम अभियान (School Chale Hum Campaign) की शुरुआत की है। अब दूसरा चरण 16 जुलाई से 31 जुलाई तक फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। पहले चरण में अभियान अपेक्षित सफलता नहीं पा सका। इसलिए अब यह दूसरा प्रयास ज्यादा सक्रिय और व्यापक रूप से किया जाएगा।

सरकारी स्कूलों में एडमिशन बढ़ाने के प्रयास

पिछले कुछ वर्षों में सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन गिरा है, जिससे मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग को गंभीर चिंता है। विशेष रूप से, सरकारी स्कूलों में बच्चों के एडमिशन (Admission) में कमी आई है। चाइल्ड ट्रेकिंग ऐप (Child Tracking App) के माध्यम से इसका समाधान तलाशा जाएगा।

स्कूल शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड्स के अनुसार, इस साल (This Year) पिछले साल के मुकाबले एडमिशन कम हुए हैं। इसी वजह से, 6 से 18 वर्ष के बच्चों को ट्रैक करके उनका नामांकन सुनिश्चित किया जाएगा। इसके लिए एक डोर-टू-डोर अभियान चलाया जाएगा। यह अभियान जुलाई के अंत तक पूरा किया जाएगा।

5 पॉइंट में समझें पूरी खबर 

दूसरा चरण शुरू: स्कूल चले हम अभियान 16 जुलाई से 31 जुलाई तक फिर से शुरू होगा। पहले चरण में सफलता कम मिली थी।

एडमिशन में कमी: सरकारी स्कूलों में बच्चों का एडमिशन कम हुआ है, जिसे चाइल्ड ट्रेकिंग ऐप से सुधारा जाएगा।

चाइल्ड ट्रेकिंग ऐप: 6-18 साल के बच्चों का डेटा चाइल्ड ट्रेकिंग ऐप से कलेक्ट किया जाएगा।

शिक्षकों का प्रशिक्षण: शिक्षकों को यू-ट्यूब लाइव के जरिए चाइल्ड ट्रेकिंग ऐप का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

निगरानी: नोडल अधिकारी इस अभियान की निगरानी करेंगे और समय-सीमा में काम पूरा करने को सुनिश्चित करेंगे।

चाइल्ड ट्रेकिंग ऐप से बच्चों का डेटा करेंगे कलेक्ट 

चाइल्ड ट्रेकिंग ऐप (Child Tracking App) को विकसित किया गया है। इस ऐप से विभाग को 6 से 18 साल के बच्चों की जानकारी प्राप्त होगी। ये बच्चे चाहे स्कूल में पढ़ रहे हों या न पढ़ रहे हों। इस ऐप के जरिए बच्चों को चिन्हित किया जाएगा और उनकी जानकारी शाला (School) में नामांकन के लिए दर्ज की जाएगी।

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चाइल्ड ट्रेकिंग ऐप की क्या है प्रोसेस?

  • बच्चों का नामांकन
  • शाला से बाहर बच्चों की पहचान
  • बच्चों की जानकारी का पोर्टल में पंजीकरण

चाइल्ड ट्रेकिंग ऐप का प्रशिक्षण भी शिक्षकों को दिया जाएगा। इसे यू-ट्यूब लाइव के माध्यम से दिखाया जाएगा। इसमें सभी शैक्षणिक कर्मचारी हिस्सा लेंगे। 

गांवों और वार्डों में बच्चों की ट्रेकिंग

गांवों और शहरी इलाकों में बच्चों की ट्रेकिंग के लिए जिम्मेदारी प्रत्येक विद्यालय (School) के प्रधान को दी जाएगी। यह काम विकासखंड (Development Block) और ग्राम पंचायत (Village Panchayat) स्तर पर होगा। इस दौरान शिक्षक अपने मोबाइल या टैबलेट के माध्यम से बच्चों का डेटा एप में दर्ज करेंगे।

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स्कूल शिक्षा विभाग की निगरानी

इस अभियान की सफलता के लिए विभाग ने हर जिले और विकासखंड में नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। यह अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि ट्रेकिंग कार्य समय सीमा के भीतर पूरा हो जाए।

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