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MP News: मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण की बड़ी योजना राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंतर्गत बनाए गए स्वसहायता समूहों में चौंकाने वाली गड़बड़ी सामने आई है। 2024-25 तक जहां कुल महिलाएं 62 लाख थीं और समूहों की संख्या 5,लाख 4,213 थी। वहीं आधार लिंक होने के बाद समूह की यह संख्या घटकर 4 लाख 63,361 रह गई। यानि कि 40 हजार समूह रिकॉर्ड से गायब हो गए हैं, जिनसे करीब 6 लाख महिलाएं जुड़ी हुई थीं।
सबसे ज्यादा राजगढ़, विदिशा और रायसेन में गड़बड़ी
इन गायब समूहों में सबसे ज्यादा प्रभाव राजगढ़ जिले में देखा गया, जहां 7 हजार समूहों से जुड़ी 40 हजार महिलाएं लापता हैं। विदिशा में 2,500 समूहों की 20 हजार महिलाएं और रायसेन में 1,500 समूहों से जुड़ी 18 हजार महिलाओं का रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है।
हर साल इतने स्वसहायता समूह बने
| वर्ष | बनाए गए समूह |
|---|---|
| 2012-2020 | 2,81,601 |
| 2020-21 | 40,647 |
| 2021-22 | 39,177 |
| 2022-23 | 74,778 |
| 2023-24 | 66,967 |
| 2024-25 | 1,043 |
| कुल | 5,04,213 |
सरकार की सफाई- महिलाएं सक्रिय नहीं थीं
राष्ट्रीय आजीविका मिशन की सीईओ हर्षिका सिंह का कहना है कि ये महिलाएं इनएक्टिव यानी निष्क्रिय थीं, और जब खातों को आधार से जोड़ा गया तो डेटा मिसमैच हुआ। यही कारण है कि आंकड़ों में अचानक गिरावट आई है।
ग्रामीण आजीविका मिशन को पिछले 5 सालों में मिला बजट
| वर्ष | स्वीकृत राशि (₹ करोड़) | खर्च (₹ करोड़) |
|---|---|---|
| 2020-21 | 411.96 | 383.68 |
| 2021-22 | 512.65 | 391.30 |
| 2022-23 | 610.58 | 595.01 |
| 2023-24 | 610.58 | 621.01 |
| 2024-25 | 495.54 | 304.83 |
हर साल 115 करोड़ की राशि कहां जा रही थी?
इन समूहों को हर साल औसतन 115 करोड़ रुपये का भुगतान होता था। यह भुगतान रिवॉल्विंग फंड और कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड के तहत होता है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले चार साल में करीब 460 करोड़ रुपये का भुगतान इन समूहों को हुआ है। अब सवाल है कि जब ये महिलाएं थीं ही नहीं, तो ये राशि किसके खातों में गई?
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