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मध्य प्रदेश में नवजात शिशु मृत्यु दर बाकी राज्यों के मुकाबले देश में सबसे अधिक (4.8 प्रतिशत) है। इसे कम करने के लिए अब आईसीएमआर (Indian Council of Medical Research) और नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) मिलकर काम करेंगे। सोमवार को आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल, डॉ. राजीव बहल ने राज्य के मुख्य सचिव अनुराग जैन से मुलाकात की और प्रदेश में चल रहे 7 प्रोजेक्ट्स पर चर्चा की।
शिशु मृत्यु दर का पता लगाने की कोशिश
भोपाल में पीजीआई चंडीगढ़ और नई दिल्ली के विशेषज्ञों की टीम ने काम शुरू कर दिया है। महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी इस प्रोजेक्ट में शामिल हैं। देश के 10 जिलों में से मध्य प्रदेश का खरगोन जिला इस रिसर्च का हिस्सा बना है। यहां यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर शिशु मृत्यु दर इतनी ज्यादा क्यों है।
अस्पतालों के बजाय घर पर हो रहे प्रसव
खरगोन जिले के कुछ इलाकों, जैसे भगवानपुरा और झिरनिया में लोग अब भी घर पर प्रसव करवा रहे हैं, जिससे मातृत्व और शिशु मृत्यु दर बढ़ रही है। विभाग अब यह जानने की कोशिश कर रहा है कि लोग अस्पतालों में प्रसव के लिए क्यों नहीं जाते। इसके साथ ही प्रसव केंद्रों को मजबूत करने की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत विशेषज्ञ टीम इन्फ्रास्ट्रक्चर, उपकरण और मानव संसाधन की खामियों को ढूंढ कर सुधारने की कोशिश करेगी।
इन अहम प्रोजेक्ट्स पर भी किया जा रहा है काम
चाइल्ड कैंसर पर रिसर्च: ICMR और NHM मिलकर बच्चों में कैंसर की पहचान और इलाज में नई तकनीकों पर काम कर रहे हैं।
मेंटल हेल्थ पर रिसर्च: मानसिक स्वास्थ्य की सेवाओं को बेहतर और सुलभ बनाने के लिए काम किया जा रहा है।
इमरजेंसी केयर रिस्पांस सिस्टम: यह सिस्टम, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इमरजेंसी हेल्थ सेवाओं को तेज करने पर काम करेगा।
एनीमिया मुक्त भारत: महिलाओं और बच्चों में एनीमिया की समस्या को खत्म करने के लिए काम चल रहा है।
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