मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम प्रदेश में पर्यटकों की बढ़ती संख्या और पर्यटन संभावनाओं को देखते हुए अपनी कमाई बढ़ाने और होटल ब्रांड्स के साथ साझेदारी को लेकर नई योजनाओं पर काम कर रहा है। अब तक पर्यटन निगम अपनी संपत्तियों को एकमुश्त प्रीमियम (lump sum premium) के आधार पर लीज पर देता था और इस राशि का 1% सालाना लीजरेंट होता है। अब लीज नीति में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। इसके तहत, निगम अपनी संपत्तियों को निजी समूहों को लीज रेंट पर देने के बजाय रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर विचार कर रहा है, जिससे निगम को साल दर साल ज्यादा इनकम मिल सकेगी।
पर्यटकों की बढ़ी संख्या
इस वर्ष जनवरी से नवंबर तक मध्यप्रदेश में 10.66 करोड़ से अधिक पर्यटक आए हैं। उज्जैन में महाकाल मंदिर के दर्शन करने के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी भारी बढ़त हुई है। महाकाल मंदिर के विस्तार के बाद, रोजाना आने वाले पर्यटकों की संख्या 15 हजार-20 हजार से बढ़कर 2-2.5 लाख हो गई है। इसके अलावा, नए प्रोजेक्ट्स जैसे सरसी आइलैंड और रातापानी टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने से और श्योपुर में चीता प्रोजेक्ट ने भी राज्य में पर्यटकों के लिए आकर्षण बढ़ाया है। हाल के समय में पर्यटन निगम की कुल 18 प्रॉपर्टी लीज पर हैं।
मैनेजमेंट कॉन्ट्रैक्ट से बड़े ब्रांड्स के साथ साझेदारी
राज्य पर्यटन निगम अब प्रतिष्ठित होटल ब्रांड्स के साथ मैनेजमेंट कॉन्ट्रैक्ट करने की योजना बना रहा है। इस मॉडल में निगम की संपत्ति सरकारी के पास रहेगी, लेकिन उसका प्रबंधन बड़े होटल ब्रांड्स जैसे ताज, ओबेरॉय आदि द्वारा किया जाएगा। इससे इन होटलों को अपनी प्रतिष्ठित सेवाएं देने का मौका मिलेगा और पर्यटकों को विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
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लीज की अवधि में बढ़ोतरी
अब तक, निगम की संपत्तियों को 30 साल तक के लिए लीज पर दिया जाता था, लेकिन नए निर्णय के तहत लीज की अवधि 60 और 90 साल तक बढ़ाई जा रही है। इस बदलाव से निगम को लंबी अवधि के लिए आय प्राप्त होगी और होटल ब्रांड्स के लिए यह एक स्थिर व्यापारिक आधार बनेगा।
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