चंबल नदी पर बनेगा MP का पहला सिक्सलेन केबल-स्टे ब्रिज, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे से जुड़ेगे 3 राज्य

राजस्थान, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश को जोड़ने वाला ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे ग्वालियर से गुजरेगा। एक्सप्रेसवे में चंबल नदी पर MP का पहला 6 लेन केबल-स्टे ब्रिज भी बनेगा।

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Rohit Sahu
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आगरा-ग्वालियर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे से तीन राज्य आपस में जुड़ रहे हैं। एक्सप्रेसवे पर एक केबल स्टे ब्रिज भी बनाया जाएगा। यह मध्यप्रदेश का पहला सिक्सलेन केबल-स्टे ब्रिज होगा। चंबल नदी पर बनने वाला यह ब्रिज प्रयागराज के नैनी ब्रिज जैसा होगा। हालांकि यहां सजावटी लाइटिंग नहीं होगी।

600 मीटर लंबाई वाला ब्रिज, दो राज्यों को सीधे जोड़ेगा

यह पुल 600 मीटर लंबा होगा और 130 मीटर ऊंचे दो बड़े केबल पिलर पर टिकेगा। इसकी खूबी यह है कि यह एमपी और राजस्थान को जोड़ते हुए चंबल अभयारण्य क्षेत्र में स्थित रहेगा। पहले यहां सामान्य पुल प्रस्तावित था, लेकिन अब इसे केबल-स्टे ब्रिज के रूप में डिजाइन किया जा रहा है। इसका डिजाइन प्रयागराज के नैनी ब्रिज की तरह है लेकिन यह क्षेत्र राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में आता है, इसलिए यहां डेकोरेटिव लाइटिंग नहीं की जाएगी। 

केंद्रीय मंत्रालय से निर्माण के लिए मिली हरी झंडी

एनएचएआई के मैनेजर (टेक्निकल) प्रशांत मीणा ने जानकारी दी कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और वाइल्ड लाइफ एडवाइजरी बोर्ड से तीन दिन पहले एनओसी मिल चुकी है। अब नवंबर 2025 में पुल और एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना है।

राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में 3 किमी तक जाएगा हाइवे सेक्शन

88.40 किमी लंबे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे का 3 किलोमीटर हिस्सा अभयारण्य और इको सेंसेटिव ज़ोन में रहेगा। पहले 1 किमी क्षेत्र अभयारण्य के अंतर्गत आएगा, उसके बाद 2 किमी इको सेंसेटिव ज़ोन से गुजरेगा। राजस्थान में भी 1 किमी अभयारण्य और करीब 9 किमी संरक्षित सीमा में यह एक्सप्रेस-वे जाएगा, जिसके लिए एनओसी मिल चुकी है।

मुरैना क्षेत्र में भी हाईवे को मंजूरी, वन विभाग को भुगतान

मध्यप्रदेश के मुरैना के शनिश्चरा क्षेत्र में करीब 1.5 किलोमीटर हाईवे वन क्षेत्र से होकर गुजरेगा। इसके लिए राज्य सरकार से एनओसी मिलने के साथ-साथ 1.5 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है।

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केबल स्टे ब्रिज क्या होते हैं?

केबल-स्टे ब्रिज में पुल के डेक को टावर से जोड़ने के लिए स्ट्रॉन्ग केबल्स का उपयोग किया जाता है। ये केबल्स पुल को ऊपर की ओर सपोर्ट देते हैं और इसे स्ट्रॉन्ग बनाते हैं।

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स्टे ब्रिज की विशेषताएं

1. स्ट्रेंथ: स्टे ब्रिज में उपयोग किए जाने वाले केबल्स पुल को स्ट्रॉन्ग बनाते हैं और इसे अधिक भार सहन करने में सक्षम बनाते हैं।
2. स्टेबिलिटी: स्टे ब्रिज की स्ट्रक्चर स्टेबल होती है और वे हवा और भूकंप जैसे नेचरल डिजास्टर के प्रति अधिक रेजिस्टेंट होते हैं।
3. इकोनॉमिकल: स्टे ब्रिज का निर्माण अन्य प्रकार के ब्रिज की तुलना में अधिक किफायती हो सकता है, खासकर जब लंबी दूरी के ब्रिज की बात आती है।
4. एस्थेटिक: स्टे ब्रिज का डिज़ाइन अट्रैक्टिव होता है और वे अक्सर शहरों के प्रमुख स्थलों में से एक बन जाते हैं।

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