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सावन का पहला सोमवार है, और हर जगह महादेव की पूजा हो रही है। लेकिन जब हम महादेव के बारे में बात करते हैं, तो मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले से महादेव का एक अनोखा रूप देखने को मिलता है। महादेव के इस रूप को मजिस्ट्रेट महादेव (Magistrate Mahadev) के नाम से जाना जाता है।
बता दें कि महादेव के इस मंदिर में हर साल सैकड़ों लोग अपनी समस्याओं का समाधान पाने आते हैं, और यहां भगवान शिव (Lord Shiva) खुद जज के रूप में कार्य करते हैं। यह अदालत सिर्फ एक स्थान नहीं है, बल्कि यहां की कानूनी प्रक्रिया और न्याय के प्रति आस्था अनूठी है। यह अदालती प्रक्रिया सरकारी अदालतों से कुछ कम नहीं है। यहां सभी प्रकार के विवादों का समाधान धार्मिक आस्था और न्याय के सिद्धांतों के तहत किया जाता है।
महादेव की अदालत में हर विवाद का हल
ग्वालियर से 15 किलोमीटर दूर स्थित गिरगांव के महादेव मंदिर में न्याय की प्रक्रिया कुछ अलग ही है। यहां, महादेव खुद मजिस्ट्रेट (Magistrate) के रूप में कार्य करते हैं। उनकी अदालत में लोगों के सभी तरह के मामलों का हल निकाला जाता है। यह अदालती कार्यवाही किसी सरकारी अदालत से कम नहीं होती। इस अदालत में लोग केवल मध्य प्रदेश से ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली से भी अपने विवादों का समाधान पाने के लिए आते हैं।
मजिस्ट्रेट महादेव में कैसे होता है न्याय का फैसला?
मंदिर के पुजारी पंडित देवेंद्र मिश्रा ने बताया कि जब कोई मामला महादेव की अदालत में आता है, तो यहां पंचों का एक पैनल तय किया जाता है, जो मामले की सुनवाई करता है। पंचों के पास गवाहों, सबूतों और दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद फैसला दिया जाता है। एक अनोखी बात यह है कि दोनों पक्षों को धर्म (oath) दिलवाया जाता है। यह कसम महादेव की पिंडी के पास ली जाती है। फैसले के बाद केस को मंदिर के रजिस्टर में दर्ज कर दिया जाता है।
मजिस्ट्रेट महादेव की अदालत की खास बातें...
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गिरगांव की अदालत में हर किस्म के मामले
यहां अदालत में हत्या, चोरी, घरेलू हिंसा, लूट और चरित्र संदेह जैसे मामले भी आते हैं। यही नहीं, मंदिर के रिकॉर्ड के अनुसार हर मामले की पूरी जानकारी सुरक्षित रहती है। न्याय की इस प्रक्रिया को विश्वास और श्रद्धा से जोड़ा जाता है। यही कारण है कि यहां के फैसले बड़े ही असरदार होते हैं।
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महादेव की अदालत का दिलचस्प किस्सा
मजिस्ट्रेट महादेव के अदालत से जुड़े कई रोचक किस्से हैं, जो लोगों के जीवन को बदल देते हैं। 2024 में मुंबई के दो भाईयों का विवाद आधा किलो सोने को लेकर महादेव की अदालत में पहुंचा। दोनों भाईयों को धर्म की कसम दिलवाई गई। फिर पांच दिन में बड़ा भाई खुद को गलत मानते हुए छोटे भाई को उसका हक दे दिया। इस मामले से यह साफ हो गया कि महादेव की अदालत में फैसले केवल आस्था पर नहीं, बल्कि तर्क और सत्य पर आधारित होते हैं।
महादेव की अदलत का अनोखा केस
मिर्ची बाबा, जो पहले धार्मिक कर्मों और पूजा-पाठ के लिए जाने जाते थे, एक विवादित घटना के केंद्र में आ गए। 2022 के अगस्त महीने में, जब वह श्रीमद भागवत कथा आयोजित करने की तैयारी कर रहे थे। तभी चंदे के पैसे को लेकर समिति और उनके बीच विवाद हुआ। हालांकि, मिर्ची बाबा ने मजिस्ट्रेट महादेव के सामने यह दावा किया था कि उन्होंने चंदे के पैसों का कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं लिया। यदि लिया हो तो मैं कल का सूरज नहीं देख पाऊंगा।
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उसी रात उन्हें भोपाल पुलिस ने एक यौन उत्पीड़न मामले में गिरफ्तार कर लिया। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने "मजिस्ट्रेट महादेव" की पूजा की और अपने अनुयायियों से समर्थन हासिल करने की कोशिश की। यह घटनाक्रम धार्मिक नेताओं के प्रति समाज में बढ़ते विश्वास और संशय के बीच एक जटिल तस्वीर प्रस्तुत करता है, जहां धर्म और व्यक्तिगत आस्थाएं अक्सर सामाजिक और कानूनी मुद्दों से टकराती हैं।
मुसलमान भी मानते हैं महादेव की अदालत को
यहां केवल हिंदू ही नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी आस्था रखते हैं। 12 जुलाई 2025 को एक मुस्लिम व्यक्ति सलीम शाह ने महादेव की अदालत में अपने विवाद का निपटारा किया। महादेव की अदालत में फैसले का तरीका न केवल तर्कसंगत होता है, बल्कि यह हर धर्म के लोगों के लिए समान रूप से सम्मानजनक है।
लोगों के जीवन को भी सुधारता है यह अदालत
मजिस्ट्रेट महादेव की अदालत का समाज पर गहरा असर है। यहां फैसले होते हैं, जो न केवल अदालत तक सीमित रहते हैं, बल्कि यह लोगों के जीवन को भी सुधारते हैं। जब लोग धर्म के आधार पर कसम खा कर फैसले करते हैं, तो उनका आस्था और विश्वास मजबूत होता है। यही कारण है कि यहां की अदालत का प्रभाव दूर-दूर तक महसूस किया जाता है।
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