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उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर: शिव की नगरी उज्जैन में इस साल शरद पूर्णिमा (6 अक्टूबर 2025) का पर्व बड़े ही श्रद्धा और धूम-धाम से मनाया गया। शरद पूर्णिमा के दिन बाबा महाकाल को खास केसरिया दूध का भोग लगाया गया था।
इसके साथ ही कल 8 अक्टूबर (कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा) से भगवान की तीन प्रमुख आरतियों के समय में भी परंपरा के मुताबिक बदलाव किया गया है। आपको बता दें कि इस बार आस्था का केंद्र श्री महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में सबसे पहले दीपावली उत्सवों की शुरुआत होगी। ऐसे में बाबा महाकाल के दरबार में धनतेरस से लेकर अन्नकूट तक, हर दिन विशेष अनुष्ठान होंगे।
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महाकाल की आरतियों के समय में बदलाव
श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारियों ने भक्तों को सूचित किया है कि अब बाबा की दैनिक आरतियों के समय में बदलाव किया जा रहा है। यह परिवर्तन आज 8 अक्टूबर, बुधवार (कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा) से लागू होगा और फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तक चलेगा। जिन आरतियों के समय में परिवर्तन हुआ है, वे हैं:
द्दयोदक आरती: अब सुबह 7:30 बजे से 8:15 बजे तक होगी। (पहले यह अलग समय पर होती थी)
भोग आरती: इसका समय बदलकर प्रातः 10:30 बजे से 11:15 बजे तक कर दिया गया है।
संध्या आरती: अब यह सायं 6:30 बजे से 07:15 बजे तक होगी।
इन आरतियों का समय में कोई बदलाव नहीं:
भस्मारती: पूर्ववत प्रातः 4:00 बजे से 6:00 बजे तक ही रहेगी।
सायंकालीन पूजन: इसका समय सायं 5:00 बजे से 5:45 बजे तक रहेगा।
शयन आरती: यह रात्रि 10:30 बजे से 11:00 बजे तक अपने निर्धारित समय पर ही होगी।
यह परिवर्तन इसलिए किया जाता है ताकि भक्तगण सुविधानुसार बाबा के दर्शन और आरती का लाभ ले सकें, विशेषकर बदलते मौसम के मुताबिक।
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महाकाल में सबसे पहले मनेगी दिवाली
जैसे ही शरद पूर्णिमा बाबा महाकालभस्म आरती का उत्सव संपन्न हुआ है अब भक्तों की निगाहें दिवाली के महापर्व पर टिक गई हैं। बता दें कि इस बार आस्था का महाकालेश्वर मंदिर में सबसे पहले दीपावली उत्सवों की शुरुआत होगी।
ऐसे में बाबा महाकाल के दरबार में धनतेरस से लेकर अन्नकूट तक हर दिन विशेष अनुष्ठान होंगे। श्री महाकालेश्वर मंदिर में दिवाली (दीपावली की तारीख) से जुड़े पर्वों को भी विशेष उत्साह के साथ मनाया जाएगा:
धनतेरस (18 अक्टूबर 2025, शनिवार):
इस दिन श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा संचालित चिकित्सालय में भगवान श्री धनवंतरी का विशेष पूजन किया जाएगा। साथ ही, मंदिर के पुरोहित समिति द्वारा भगवान महाकालेश्वर का अभिषेक पूजन भी होगा।
रूप चौदस (20 अक्टूबर 2025, सोमवार):
इस दिन, जिसे कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी भी कहते हैं भगवान महाकालेश्वर को अभ्यंग स्नान करवाया जाएगा। इसी दिन से बाबा महाकाल को गर्म जल से स्नान कराने की परंपरा शुरू होगी, जो फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तक जारी रहेगी।
अन्नकूट (20 अक्टूबर 2025, सोमवार):
इसी दिन, प्रातः 7:30 बजे होने वाली आरती में मंदिर प्रबंध समिति की ओर से भगवान महाकालेश्वर को विशाल अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा, जिसमें विभिन्न प्रकार के व्यंजन शामिल होंगे। ये सभी अनुष्ठान एक बार फिर उज्जैन नगरी को भक्ति और आस्था के रंग में रंग देंगे, जिससे श्रद्धालुओं को एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त होगा।
बाबा को मिला अमृत-तुल्य भोग
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, शरद पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं में पूर्ण होता है और इसकी किरणें अमृत के समान गुणकारी मानी जाती हैं।
इसी पवित्र अवसर पर श्री महाकालेश्वर भगवान के भव्य श्रृंगार के बाद संध्या आरती का अनुष्ठान किया गया। मंदिर के पुजारियों ने चांदी के पवित्र पात्र में सुगंधित और गाढ़ा केसरिया दूध भगवान महाकाल को अर्पित किया। यह केवल एक भोग नहीं बल्कि एक प्राचीन परंपरा है जो भगवान और भक्तों के बीच अटूट संबंध को दर्शाता है।
आरती की समाप्ति के बाद विधि-विधान से पुजारी कक्ष में भगवान का पूजन संपन्न हुआ और फिर इस केसरिया दूध रूपी प्रसाद को उपस्थित सभी श्रद्धालुओं में वितरित किया गया।
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