सनातन धर्म के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि के आरंभ का दिन माना जाता है। इसी दिन से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन को लेकर पूरे देश में विभिन्न धार्मिक मान्यताओं का पालन किया जाता है। इस वर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, गुड़ी पड़वा पर 30 मार्च को उज्जैन ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में हिन्दू नववर्ष का उत्सव मनाया जाएगा।
महाकाल मंदिर में पूजन परंपरा
मंदिर में सुबह 10.30 बजे भोग आरती का आयोजन किया जाएगा। जिसमें भगवान महाकाल को श्रीखंड और पूरनपोली का भोग अर्पित किया जाएगा। मंदिर के शिखर पर ध्वज और नैवेद्य कक्ष में गुड़ी आरोहण किया जाएगा, साथ ही नए पंचांग का पूजन भी किया जाएगा। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर की पूजा पद्धति में महाराष्ट्रीयन संस्कृति का प्रभाव देखा जाता है, जो सिंधिया स्टेट के समय से चली आ रही है।
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उत्सव का विशेष समय सारणी
सुबह 7.30 बजे बालभोग आरती के साथ उत्सव की शुरुआत होगी। इस दौरान मंदिर में भगवान महाकाल का नीम मिश्रित जल से अभिषेक और पूजा अर्चना की जाएगी। इसके बाद, मंदिर के शिखर पर नया ध्वज फहराया जाएगा और नैवेद्य कक्ष में गुड़ी आरोहण का आयोजन होगा। सुबह 10 बजे भोग आरती में भगवान महाकाल को केसरिया श्रीखंड और पूरनपोली का भोग अर्पित किया जाएगा।
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नव संवत्सर का स्वागत
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा सृष्टि के आरंभ का दिन है, और इस दिन की शुरुआत कालगणना की नगरी उज्जैन से हुई थी। इसलिए नवसंवत्सर का उत्सव सबसे पहले उज्जैन की पवित्र भूमि पर मनाया जाता है। इस दिन को लेकर विशेष रूप से सूर्य को अर्घ्य देकर नव संवत्सर का स्वागत किया जाता है।
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