महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के डायरेक्टर और असिस्टेंट डायरेक्टर को HC का नोटिस

हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी 2200 छात्रों के एडमिशन फॉर्म रोके गए हैं। इस मामले में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान भोपाल पर अवमानना याचिका दायर की गई है।

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Neel Tiwari
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हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान ने लगभग 2200 छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया है। यह अब मैनेजमेंट को भारी पड़ सकता है। हाईकोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए संस्थान के डायरेक्टर और असिस्टेंट डायरेक्टर से जवाब मांगा है।

महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान का अजीबोगरीब आदेश

महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान, भोपाल ने 27 जून 2024 को एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि केवल वही छात्र 10वीं और 12वीं में प्रवेश ले सकेंगे, जिन्होंने 9वीं और 11वीं की पढ़ाई उसी बोर्ड या स्कूल से की हो। इस आदेश के अनुसार इस संस्थान के अपने बोर्ड के अलावा अन्य सभी बोर्ड के छात्रों का एडमिशन महर्षि पतंजलि में रोक दिया गया था। 

इस आदेश से CBSE और अन्य बोर्ड से आए छात्रों का इस संस्थान में दाखिला बंद हो गया। कई छात्रों को तो एडमिशन फॉर्म तक भरने नहीं दिए गए। इसके बाद पुष्पांजलि संस्कृत पुष्यकर माध्यमिक विद्यालय सिंगरौली सहित अन्य संस्कृत स्कूलों ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। इसके बाद जस्टिस विशाल धगत की सिंगल बेंच ने महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के 27 जून 2024 के आदेश पर रोक लगाते हुए छात्रों को बड़ी राहत दी थी।

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हाईकोर्ट ने दिया था अंतरिम राहत का आदेश

वरिष्ठ अधिवक्ता नरिंदर पाल सिंह रूपराह और अधिवक्ता मुस्कान आनंद की दलीलें सुनकर, जस्टिस विशाल धगत की सिंगल बेंच ने 28 अप्रैल को आदेश दिया था। इसमें कहा गया कि 27 जून 2024 का आदेश अगली सुनवाई तक स्थगित रहेगा। जिन छात्रों का नामांकन रुका है, उन्हें परीक्षा फॉर्म भरने की अनुमति दी जाएगी।

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आदेश के बाद भी 2200 छात्रों के फॉर्म नहीं बढ़े आगे

आदेश की प्रति पहुंचने के बाद भी संस्कृत विद्यालयों में करीब 2200 छात्रों के फॉर्म की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई गई। इसके चलते याचिकाकर्ताओं की ओर से हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई। अवमानना याचिका पर सुनवाई जस्टिस विशाल मिश्रा की सिंगल बेंच में हुई। 

संस्कृत विद्यालयों की ओर से अधिवक्ता एन एस रूपराह और मुस्कान आनंद ने कोर्ट को बताया। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी लगभग 2200 छात्रों का एडमिशन फॉर्म महर्षि पतंजलि संस्थान ने प्रोसेस नहीं किया। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि इस संस्थान के डायरेक्टर और असिस्टेंट डायरेक्टर को कोर्ट के आदेश की प्रतियां दी गई थी।

 इसके बाद भी उन्होंने कोर्ट के आदेश को नहीं माना। याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी बताया गया कि पूरक परीक्षाएं 22 अगस्त से शुरू हो रही हैं, और आदेश का पालन नहीं होने से छात्रों को बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है।

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महर्षि पतंजलि संस्थान के डायरेक्टर

अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विशाल मिश्रा ने महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान भोपाल के डायरेक्टर प्रभात राज तिवारी और असिस्टेंट डायरेक्टर एवं परीक्षा प्रभारी रेशम लाल को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है। अब इस मामले की सुनवाई 19 अगस्त को होगी।

यह मामला न केवल इस संस्कृत संस्थान की लापरवाही ही नहीं है बल्कि छात्रों के भविष्य पर सीधे असर डालने वाला बन गया है। अब नजरें 19 अगस्त की सुनवाई पर टिकी हैं,जिसमें इन 2200 छात्रों के भविष्य के साथ ही महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के द्वारा कोर्ट की अवमानना किए जाने पर भी फैसला होगा।

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