MP News : इंदौर के सुखलिया स्थित लिटिल वंडर कॉन्वेंट स्कूल में तीन छात्रों को टर्मिनेट करने का मामला सामने आया है। इस मामले में गुरुवार को मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान में लिया और इंदौर के जिला शिक्षा अधिकारी सहित चार सदस्यों का दल बनाकर स्कूल में निरीक्षण किया। इस दौरान आयोग ने स्कूल पहुंचकर मामले की जांच की।
तीनों छात्रों को किया रस्टिकेट
महिला बाल विकास अधिकारी सोनम निनामा ने बताया एक बच्चे को स्कूल से निकालने की शिकायत मिलने पर डीईओ, जनशिक्षक और बीआरसी हम चार लोगों ने स्कूल में निरीक्षण किया। इस दौरान पाया कि उस बच्चे ने अन्य दो बच्चों के साथ मिलकर अपनी टीचर्स के मीम्स बनाकर इंस्टाग्राम पर अपलोड कर दिए। जब इस बात की जानकारी टीचर्स को मिली तो उन्होंने तीनों बच्चों को परमिशन देने के लिए स्कूल से कुछ दिन के लिए रस्टिकेट कर दिया और जब परीक्षा नजदीक आई तो टीचर्स ने कहा कि तीनों बच्चों को नोट्स दिए गए और तीनों को घर पर बैठकर परीक्षा की तैयारी करने और परीक्षा देने की परमिशन दी गई। सोनम निनामा ने बताया कि इसी सिलसिले में स्कूल में निरीक्षण किया गया था और इसी दौरान टीचर्स से भी बात की गई और बच्चों ने माफी मांगी और इसी स्कूल में पढ़ने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा, क्योंकि मप्र बाल आयोग में शिकायत आई थी, इस मामले की पड़ताल के लिए निरीक्षण करना जरूरी था।
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स्कूल प्रबंधन पर लगाया जेजे एक्ट
एक अभिभावक ने आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी और शिकायत में आरोप लगाया था कि स्कूल प्रबंधन ने बिना निष्पक्ष जांच या सुनवाई के उनके बच्चे को स्कूल से निकाल दिया। छात्रों पर आरोप है कि उन्होंने शिक्षकों के मीम्स बनाकर आपत्तिजनक भाषा के साथ सोशल मीडिया पर अपलोड किए। साथ ही स्कूल प्रबंधन पर जेजे एक्ट के उल्लंघन और छात्रों को शिक्षा से वंचित करने के आरोप भी लगाए गए थे।
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क्या है जेजे एक्ट...?
यह धारा उन मामलों पर लागू होती है, जहां कोई व्यक्ति या संस्था किसी बच्चे को किसी भी तरह की हानिकारक स्थिति में डालती है। यदि कोई बच्चा किसी भी प्रकार के शोषण, मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना या शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जाता है तो यह धारा लागू होती है।
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यह है प्रावधान
कोई भी व्यक्ति किसी भी बच्चे को किसी भी प्रकार की सामाजिक, मानसिक, शारीरिक या शैक्षणिक हानि नहीं पहुंचा सकता। अगर कोई संस्था किसी बच्चे को शिक्षा से वंचित करती है या अनुचित व्यवहार करती है, तो यह धारा लागू हो सकती है। इसमें तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
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जेजे एक्ट 2015 की धारा 75
यह धारा उन सभी मामलों पर लागू होती है, जहां किसी बच्चे के साथ क्रूरता बरती जाती है। इसमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक या शैक्षिक शोषण शामिल हो सकता है। कोई भी व्यक्ति बच्चे की देखभाल या संरक्षण की जिम्मेदारी में रहते हुए यदि उसे जानबूझकर शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है, तो यह अपराध होगा। शिक्षा से वंचित करना, स्कूल से निकालना या मानसिक उत्पीड़न करना भी इस धारा के तहत क्रूरता मानी जा सकती है। यह प्रावधान विशेष रूप से अभिभावकों, स्कूल प्रशासन, शिक्षक और देखभाल करने वालों पर लागू होता है।
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सजा का प्रावधान
पहली बार अपराध करने पर 5 साल तक का कारावास या 5 लाख तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। अगर दोबारा अपराध किया गया तो 7 साल तक का कारावास और 5 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है।