डॉ. नीरज पाठक हत्याकांड : मध्य प्रदेश के छतरपुर की ममता पाठक एक पूर्व रसायन विज्ञान की प्रोफेसर हैं। कुछ साल पहले उन पर अपने पति, सेवानिवृत्त डॉक्टर नीरज पाठक की हत्या का आरोप लगा। हत्या का तरीका असामान्य था। पति को नींद की गोलियां देने के बाद करंट लगाया गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में करंट के निशान पाए गए। 29 जून 2022 को सत्र अदालत ने ममता को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत दोषी करार देकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
ममता को अपील खारिज होने की है आशंका
ममता पाठक ने अपने दोषसिद्धि के खिलाफ हाईकोर्ट में क्रिमिनल अपील क्रमांक 6016/2022 दाखिल की है जो अभी भी लंबित है। लेकिन इसके अलावा उन्होंने हाल ही में एक नई याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने खुली जेल की अपील की है। ममता पाठक ने कोर्ट को इसके लिए अपनी स्वास्थ्य समस्याएं और मानसिक रूप से विकलांग बेटे को वजह बताया है।
ममता का कहना है कि वह कई गंभीर बीमारियों से जूझ रही हैं। जेल में रहकर उनका समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है और उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा है। इसके साथ ही उनका बेटा मानसिक रूप से अस्थिर है और अपनी रोजमर्रा की ज़रूरतें भी खुद पूरी नहीं कर सकता। ऐसे में ममता को अपने बेटे के पास रहना जरूरी है, जो कि खुली जेल व्यवस्था में संभव हो सकता है।
ममता पाठक ने यह मांग पहले राज्य सरकार और जेल महानिदेशक (DG) को लिखित आवेदन के माध्यम से भेजी थी। लेकिन इन अब तक कोई निर्णय नहीं लिया। इसके बाद ममता ने 18 जून 2025 को हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की, जिसमें कोर्ट से अनुरोध किया गया कि शासन को यह निर्देश दिया जाए कि अगर उनकी अपील खारिज होती है तो उन्हें खुली जेल में शेष सजा काटने दी जाए।
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30 दिन में सरकार को करना होगा फैसला
जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस विशाल मिश्रा ने इस मामले में राज्य शासन और जेल DG को यह निर्देश दिया है कि ममता पाठक के आवेदन पर गंभीरता से विचार किया जाए। यह देखा जाए कि उनका बेटा असमर्थ है और ममता खुद बीमार हैं और इस आदेश की कॉपी मिलने के 30 दिन के भीतर निर्णय लिया जाए। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि वह इस याचिका पर निर्णय नहीं ले रहा, बल्कि केवल प्रशासन से यह कह रहा है कि वह अपने स्तर पर तथ्यों का मूल्यांकन करते हुए फैसला लें।
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इसलिए खुली जेल चाहती हैं ममता
खुली जेल, सामान्य जेल से अलग होती है। इसमें कैदी को सीमित स्वतंत्रता दी जाती है। वह दिन में जेल परिसर के बाहर काम कर सकता है, लेकिन रात को वापस आना जरूरी होता है। ऐसे कैदी जिनका व्यवहार अच्छा हो, जो पहली बार सजा काट रहे हों, या जिनका कोई पारिवारिक या स्वास्थ्य कारण हो उन्हें यह सुविधा मिल सकती है। ममता पाठक का तर्क है कि वह अब वृद्ध हैं, बीमार हैं और उनका बेटा अकेले जीवन नहीं जी सकता इसलिए उन्हें खुली जेल में रखा जाए।
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डॉ नीरज हत्याकांड का यह है मामला
मध्य प्रदेश की 60 वर्षीय पूर्व केमिस्ट्री प्रोफेसर ममता पाठक पर 2021 में उनके पति की हत्या का आरोप है। सेवानिवृत्त सरकारी डॉक्टर नीरज पाठक (63) को पहले नींद की गोलियां दी और फिर करंट देकर उनकी हत्या की। ज्यादातर रिपोर्ट्स इस हत्या को इलेक्ट्रोक्यूशन माना गया है क्योंकि डॉक्टर नीरज के शरीर पर पांच स्थानों पर करंट-बर्न के निशान पाए जाने के बाद पोस्टमॉर्टम में मृत्यु का कारण कार्डियो-रेस्पिरेटरी फेल्योर बताया गया था।
2022 में हुई में सजा
सत्र न्यायालय ने हत्या में दोषी मानते हुए ममता पाठक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में आदेश के खिलाफ क्रिमिनल रिवीजन अपील दाखिल की और और बिना किसी वकील के उन्होंने अपने मामले में खुद बहस की ।
हाईकोर्ट में चल रही अपील की सुनवाई
अप्रैल 2025 में जबलपुर बेंच के जस्टिस विवेक अग्रवाल और देव नारायण मिश्रा के सामने ममता ने खुद अपनी पैरवी की, जिसमें उन्होंने अपने केमिस्ट्री के ज्ञान के आधार पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को कठघरे में खड़ा किया।
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ममता पाठक ने दी थी वैज्ञानिक दलील
हाईकोर्ट में पूछे जाने पर कि “क्या इलेक्ट्रिक बर्न को ऑब्जर्वेशन से अलग किया जा सकता है?”, ममता ने बताया था थर्मल और इलेक्ट्रिक बर्न को सिर्फ आँखों से जज नहीं कर सकते। इसमें बिजली से शरीर में धातु कण जमते हैं, जिन्हें एचसीएल या नाइट्रिक एसिड में घोलकर रासायनिक विश्लेषण करना चाहिए। यह तत्व पोस्टमॉर्टम रूम में स्पष्ट नहीं हो पाते, और केवल केमिकल टेस्ट से सही पहचान होती है । यह दलील वीडियो के रूप में वायरल भी हुई थी, जिसमें जज स्वयं चकित हो पूछते हैं, “क्या आप केमिस्ट्री प्रोफेसर हैं?”और ममता ने इसका उत्तर हाँ कह कर दिया था। हालांकि इस मामले में ममता की क्रिमिनल रिवीजन अपील की अदालती सुनवाई चालू है। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित (reserved) रखा है।