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मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के डॉ. नीरज पाठक हत्याकांड में उनकी पत्नी ममता पाठक को जबलपुर हाईकोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने उनकी उम्रकैद की सजा बरकरार रखते हुए कहा कि उनके द्वारा कोर्ट में दी गई दलीलें न सिर्फ भ्रामक थीं, बल्कि कई झूठ भी सामने आए जिनका खंडन मेडिकल रिपोर्ट, गवाहों और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों ने पूरी तरह कर दिया।
पति की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुई थी ममता पाठक
डॉक्टर नीरज पाठक 29 अप्रैल, 2021 को, मध्य प्रदेश के छतरपुर शहर में अपने लोकनाथपुरम घर में मृत पाए गए थे। शव की जांच के अनुसार मौत की वजह बिजली का झटका था। कुछ ही दिनों में, उनकी पत्नी ममता, जो एक स्थानीय सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर थीं, उन्हें डॉ. पाठक की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। सेशन कोर्ट ने उसे हत्या का दोषी पाया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद ममता ने फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए हाईकोर्ट में अपील दायर की थी और साल 2024 में उसे जमानत भी मिल गई थी।
सबूतों के सामने ढेर हुए ममता के झूठ
इस मामले की 29 अप्रैल 2025 को हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रखा था। 30 जुलाई 2025 को जारी हुए कोर्ट के आदेश में यह साफ हुआ कि ममता ने सुनियोजित साजिश के तहत पति की हत्या की थी। यह फैसला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की डिविजन बेंच जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस प्रेम नारायण मिश्रा ने सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सबूतों और गवाहों के सामने ममता पाठक के झूठ की पोल खुलने के बाद साफ है कि उन्होंने ही अपने पति की हत्या की थी।
शॉर्ट में समझें ममता पाठक केस में HC में क्या हुआ
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पहला झूठ: डॉ. नीरज की मौत हार्ट अटैक से हुई थी
ममता पाठक ने अदालत में दावा किया कि उनके पति की मौत हार्ट अटैक से हुई थी, करंट से नहीं। लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मृतक के अंडकोष पर बिजली के झटके का निशान (एक्जिट वूंड) मिला। एक्सपर्ट्स ने साफ कहा कि मौत बिजली का झटका लगने से ही हुई थी, भले ही उन्हें दिल की बीमारी रही हो।
दूसरा झूठ: मौत के समय मैं झांसी में थी
ममता ने दावा किया कि मौत वाले दिन वह डायलिसिस के बहाने झांसी में थीं। मगर अदालत ने उनकी ही लिखी ‘मर्ग इत्तिला’ का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने खुद माना कि मौत के दिन वह पति के कमरे में थीं और उनकी नब्ज चेक की थी। ड्राइवर रतन सिंह यादव की गवाही ने भी ये साबित कर दिया कि झांसी में उन्होंने किसी डॉक्टर से संपर्क नहीं किया। यानी झांसी जाना सिर्फ एक बहाना था और झूठ पर झूठ गढ़ा गया।
तीसरा झूठ: घर में लगे थे बिजली सुरक्षा उपकरण
ममता ने कहा कि उनके घर में RCCB और MCB जैसे आधुनिक उपकरण लगे थे, इसलिए बिजली का करंट लगना संभव नहीं। मगर अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ उपकरण लगना काफी नहीं, उनका सही से काम करना ज़रूरी है। बचाव पक्ष के गवाह खुद आरसीसीबी के काम को ठीक से नहीं समझा पाए। साथ ही, जिस तार से करंट दिया गया उसमें अर्थिंग ही नहीं थी क्योंकि वह 2 तार वाला प्लग था।
चौथा झूठ: बेटा नीतीश हत्यारोपी हो सकता है
ममता के वकील ने बेटे नीतीश को भी शक के घेरे में लाने की कोशिश की थी और कहा था कि घर में एक और व्यक्ति के मौजूद होने के बाद भी पुलिस ने इस एंगल से तफ्तीश नहीं की। लेकिन खुद ममता ने अदालत में साफ कहा था कि उनका बेटा इसमें शामिल नहीं है। नीतीश का अपने पिता से अच्छा संबंध था, और वह गंभीर रूप से मानसिक विकलांग भी नहीं था। अदालत ने माना कि उसकी कोई भूमिका नहीं बनती।
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कोर्ट के सामने खुली पूरी साजिश की परतें
अदालत ने अपने फैसले में लिखा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की पूरी श्रृंखला यह बताती है कि ममता ने एक सोच-समझ कर पति की हत्या की योजना बनाई थी। कोर्ट के मुताबिक यह साबित हुआ कि ममता ने पति को बाथरूम में बंद कर रखती थी और खाना तक नहीं देती थी। मौत से पहले उन्हें 'ओलंजापिन' नाम की दवा देकर बेहोश किया गया क्योंकि मौके पर पुलिस को मिली स्ट्रिप में ओलंजापिन की 4 गोलियां कम थी। इसके साथ ही सीसीटीवी फुटेज में किसी बाहरी व्यक्ति की कोई हलचल नहीं दिखी, यानी हत्या घर के अंदर ही हुई थी। कोर्ट में यह भी साबित हुआ कि पति की संपत्ति पर पूरी तरह से अधिकार पाना ही इस हत्या के पीछे उनका मकसद था।
ममता पाठक को दिया सरेंडर करने का आदेश
हाईकोर्ट ने आदेश में साफ शब्दों में लिखा कि "ममता पाठक के झूठ एक-दूसरे से टकराते हैं और prosecution के दिए गए सबूतों की कड़ी को और मज़बूत करते हैं।" और अब ममता पाठक को अपनी उम्रकैद की सजा भुगतनी होगी। कोर्ट ने आदेश देते हुए ममता पाठक को मिली अंतरिम राहत को खारिज कर दिया है और उन्हें तुरंत सरेंडर कर उम्र कैद की सजा काटने के लिए आदेश दिया है। आपको बता दे कि ममता पाठक ने इस मामले में फैसला आने के पहले ही कोर्ट से अपील की थी कि उनका बेटा मानसिक रूप से अस्वस्थ है और यदि उन्हें जेल में रखा जाता है तो खुली जेल में रखा जाए, जिससे यह भी पता चलता है कि उन्हें पहले से ही अंदाजा था कि उनकी झूठी दलीलें कोर्ट के सामने नहीं टिक पाएंगी।
कोर्ट में खुद बहस कर हुई थी सोशल मीडिया में वायरल
मामले की पिछली सुनवाई के दौरान जब हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने ममता पाठक से पूछा कि "आप पर आरोप है कि आपने अपने पति को बिजली का झटका देकर मारा है, पोस्टमार्टम में करंट लगने के निशान मिले हैं।" इस पर ममता ने तर्क दिया था कि पोस्टमॉर्टम के दौरान थर्मल और इलेक्ट्रिक बर्न में अंतर सिर्फ देखकर नहीं किया जा सकता। इसके लिए केमिकल एनालिसिस ज़रूरी होता है। इसके बाद कोर्ट के पूछने पर ममता पाठक ने बताया था कि वह पहले केमिस्ट्री की प्रोफेसर थी। कोर्ट में खुद अपना पक्ष रख रही ममता पाठक का यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल भी हुआ था। लेकिन आखिरकार ममता पाठक को अपने ज्ञान के प्रदर्शन का कोई फायदा नहीं मिला और कोर्ट ने 97 पन्नों का विस्तृत आदेश जारी करते हुए उन्हें दोषी ठहराया है।
यह मामला न केवल एक दिल दहला देने वाली हत्या की कहानी है, बल्कि कोर्ट के सामने ज्ञान के लिबास में पेश किए गए झूठ की भी मिसाल बन गया है।
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