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मध्य प्रदेश के मंडला जिले में 9 मार्च 2025 को पुलिस ने नक्सल विरोधी अभियान के तहत कार्रवाई की, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। जानकारी के अनुसार पुलिस ने शुरू में इसे नक्सली बताया, लेकिन बाद में मृतक की पहचान हिरन सिंह पार्थ के रूप में हुई, जो बैगा (आदिवासी) समुदाय से ताल्लुक रखता था। इस घटना के बाद क्षेत्र में भारी आक्रोश फैल गया और कांग्रेस ने इसकी न्यायिक जांच की मांग की।
'पार्थ जंगल में नक्सलियों के साथ मौजूद था'
बालाघाट जोन के पुलिस महानिरीक्षक संजय कुमार के अनुसार, हिरन सिंह पार्थ जंगल में नक्सलियों के साथ मौजूद था। उन्होंने कहा, हम अभी यह स्पष्ट नहीं कर सकते कि उसका नक्सलियों से क्या संबंध था। नक्सली अक्सर आदिवासियों को अपने साथ रखते हैं, इसलिए इस मामले की गहन जांच की जा रही है।
पुलिस का कहना है कि मुठभेड़ के बाद नक्सलियों से जुड़े दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, हिरन सिंह पार्थ की भूमिका पर अभी भी जांच जारी है।
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'यह फर्जी एनकाउंटर है'
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस घटना को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा, मंडला जिले में हुए कथित नक्सली एनकाउंटर को लेकर नया विवाद सामने आ रहा है! पुलिस ने कान्हा क्षेत्र के जिस नक्सली को मारने का दावा किया था, उसकी पहचान खटिया नारंगी गांव के हीरन सिंह के रूप में हुई है!
मृतक के परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए साफ तौर पर कहा है "यह फर्जी एनकाउंटर है और हीरन निर्दोष है!" इस घटना को लेकर क्षेत्र का आदिवासी समाज भी खासी नाराजगी व्यक्त कर रहा है! राज्य सरकार को इस मामले की गहराई और गंभीरता से जांच करवानी चाहिए! परिजनों की शिकायत के सभी बिंदुओं को भी इस जांच में प्राथमिकता से शामिल किया जाना चाहिए!
मंडला जिले में हुए कथित नक्सली एनकाउंटर को लेकर नया विवाद सामने आ रहा है! पुलिस ने कान्हा क्षेत्र के जिस नक्सली को मारने का दावा किया था, उसकी पहचान खटिया नारंगी गांव के हीरन सिंह के रूप में हुई है!
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) March 15, 2025
मृतक के परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए साफ तौर पर कहा है "यह फर्जी एनकाउंटर…
उन्होंने राज्य सरकार से इस घटना की गंभीरता से जांच करने और दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की।
आदिवासी समाज में आक्रोश
इस घटना के बाद आदिवासी समाज में नाराजगी देखी जा रही है। समुदाय के लोगों ने इस मामले को पुलिस प्रशासन की नाकामी और आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार बताया।
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'घटना अधिकारों के हनन को दर्शाती हैं'
विपक्षी दलों और आदिवासी संगठनों ने इस घटना की निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाएं आदिवासी समुदाय के अधिकारों के हनन को दर्शाती हैं।
राज्य सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन विपक्ष के बढ़ते दबाव के कारण उच्च स्तरीय जांच की संभावना बढ़ गई है।
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