मंदसौर के एक पेशेवर कसाई की याचिका पर इंदौर हाईकोर्ट खंडपीठ ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। याचिका को स्वीकार करते हुए नगरीय निकाय को भैंसों का बूचड़खाना खोलने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया कि मंदसौर के धार्मिक शहर होने के कारण वहां बूचड़खाना खोलने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह मामला धार्मिक आस्थाओं और संवैधानिक अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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पवित्र नगरी के तर्क पर कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मंदसौर को केवल 100 मीटर के दायरे में पवित्र क्षेत्र घोषित किया गया है। इस अधिसूचना के आधार पर पूरे शहर को पवित्र नगरी नहीं माना जा सकता। याचिकाकर्ता साबिर हुसैन ने बताया कि वह जिस स्थान पर बूचड़खाना खोलना चाहते हैं, वह पवित्र क्षेत्र से काफी दूर है। सीएमओ ने उनकी अर्जी को बिना ठोस आधार के खारिज कर दिया था।
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सीएमओ का दावा और अदालत का खंडन
मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) ने अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि मंदसौर को प्रदेश सरकार ने पवित्र नगरी घोषित किया है। कोर्ट ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए इसे गैर-तार्किक बताया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को बूचड़खाना खोलने की अनुमति जल और वायु प्रदूषण कानूनों का पालन करने के बाद ही दी जाएगी।
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