मनोज परमार, 4 नवंबर को अपना जन्मदिन मना रहे हैं, समर्थकों ने उन्हें कई तमगे दे दिए हैं और जमकर प्रचार वाले विज्ञापन जारी हो चुके हैं। उन्हें इन पोस्टर में अलग-अलग उपमाएं दी गई है, खासकर दलित नेता की। इसी के साथ कुछ जगह बॉस लिखा हुआ है, तो कहीं पर मप्र का शेर भी लिखा गया है। बीते दस सालो में परमार की भूमिका लिस्टेड गुंडे से उबरने के लिए छद्म रूप धारण करता रहा है। राजनीतिक संरक्षण खुलकर मिला हुआ है और इसका रौब अब सड़कों पर दिखता है।
हूटर लगी गाड़ी से चलता है परमार
परमार राजनीतिक संरक्षण की बदौलत अब सामान्य वाहन से नहीं बल्कि हूटर लगे वाहन से अपने आधा दर्जन से ज्यादा गुर्गों के साथ चलता है। हाल ही में हूटर लगी गाड़ी को पुलिस ने एक चौराहे पर रोका, लेकिन हूटर नहीं निकला। बताया जाता है कि खानापूर्ति के लिए चालान जरूर बनाया गया। हालांकि, डीसीपी ट्रैफिक अरविंद तिवारी को इस पूरे कांड की जानकारी नहीं है। द सूत्र ने जब उन्हें इस घटना के बारे में पूछा और वीडियो मांगा तो भी इसके बाद वह कुछ बता नहीं सके। कायदे से चालान बनने के साथ ही हूटर निकलना था, लेकिन राजनीतिक दबाव में पुलिस वाले एक बार फिर आ गए।
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दो दर्जन से ज्यादा केस रहे हैं परमार पर
आठ साल पुराने रिकॉर्ड की बात करें तो मनोज परमार पर हर तरह की गंभीर धाराओं में दो दर्जन से ज्यादा केस रजिस्टर्ड हो चुके हैं। पुलिस एक दुष्कर्म के केस में चित्रकूट से गिरफ्तार भी कर चुकी है और इसी मामले में दस हजार का ईनाम भी घोषित हो चुका है। वह अपने आपराधिक रिकॉर्ड के चलते जिलाबदर भी हो चुका है और मल्हारगंज थाने में उस पर सबसे ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं।
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इस तरह बदलता रहा है रूप
मनोज परमार लिस्टेड गुंडे के बाद इस छवि से उबरने के लिए खुद को आचार्य बताने लगा। छह साल पहले उसने आचार्य की पदवी खुद को ही दे दी और आचार्य परमार कहलाने लगा। इसके बाद वह बलाई समाज की राजनीति से जुड़ा और इसके बाद समाज की जमकर राजनीति शुरू की, जहां भी समाज के मुद्दे, दलित के मुद्दे दिखे वहां पर परमार सक्रिय हुआ। अब वह अपनी छवि दलित नेता की बना रहे हैं और उनकी फोटो के साथ अब डॉ. भीमराव आंबेडकर की भी फोटो लगने लगी है। अब परमार राजनीतिक संरक्षण के चलते इतना बैखोफ हो चुका है कि वह बिंदास हूटर वाली गाड़ी से चलता है।
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